इंद्र व कृष्णा की प्रवेश योजना
मेरा जान श्रेष्ठता बनावा मार मार कर अपनी पूरी मिला उठ गया उधर इंद्र ने कृष्णा के पास जाकर अपनी समस्या रखी तब कृष्णा ने कहा कि उसके पिता वासुदेव अश्वमेघ यज्ञ करने वाले यज्ञ समाप्ति पर ब्रिज नापाक हो वह मार देगा यद्यपि उसके पूर्व में बिना आज्ञा के वायु की प्रविष्ट नहीं हो शक्ति हीर भी विचार कर कोई उपाय निकालेंगे हे राजा वासुदेव का अश्वमेध यज्ञ समाप्त होने ही वाला था तब मात्र नामक एक नाटक वहां आया रिसीव अपने नृत्य कालवा जी और का हड़ताल से प्रसन्न करके उसने उसमें आकाश गमन की शक्ति रूपांतरित शक्ति स्वार्थ स्वार्थ तथा जंगम प्रणामी से उत्तीर्ण तथा परिक्रमा है प्रवेश की वरदान की प्राप्ति की और साथ हो दीपू वाले पृथ्वी पर विचरण करने लगे उधर कृष्णा की योजना अनुसार इंद्र ने स्वर्ग में रहने वाले दांत राष्ट्र नामक आंसुओं को वजीरपुर में झांक कर भेजा कि वह बाजरा के अत्यंत पूर्व की झील में निवास करेंगे और मौका हाथ लगने पर ब्राजील नाभा की चंद्रमा जैसी परम सुंदरी पुत्री प्रभावती का मन प्रदुमन के रूप छात्रों युवाओं तथा विभवांतर प्रदुमन की ओर आकर्षित करें इस पर उसने ऐसा ही किया इस प्रकार प्रदुमन की ओर आकर्षित हुए हुआ प्रभावती हम सोंग्स से बोली विष्णु ने पृथ्वी पर कृष्ण अवतार लिया है या तो मुझे नारदजी से ज्ञात हुआ था उसके पुत्र प्रदुमन से मेरा विवाह हो इससे बढ़िया और क्या हो सकता मैंने तुमसे पहले भी प्रदुमन द्वारा अंबर अरासु क मारे जाने का वर्णन सुनाया है तभी से मैं उस महावीर की प्रक्रम पर मुफ्त हुआ किंतु मेरे पिता दे तेरा आज ब्रज नवाब रावल देव विरोधी थे फिर भला देव आदि देव विष्णु के पुत्र से मेरा विवाह किस प्रकार हो सकता है यह सोच कर मैं निराश हो जाती हूं तब उस हंसों में सूचित मुखी नामक हंस ने जो कि वह प्रभावती की सखी बन चुकी थी इंद्र द्वारा दिए गए पूर्व निर्देश के अनुसार बोले देवी माई असंभव कार्य को संभव कर सकती हूं तुम केवल अपने पिता के सम्मुख मेरा कथन कौशल्य तथा सर्वत्र ब्राह्मण सिलता के बारे में प्रशंसा कर उनको यहां मेरे पास ले जाओ तब प्रभावती ने ऐसा ही किया वज्रनाभ अपनी पुत्री द्वारा को समझने की प्रशंसा से प्रभावित होकर वहां आया और बोला ही हंसिनी मेरी पुत्री ने तुम्हारे कथा कौशल तथा सर्वत्र ब्राह्मण शीलता के विषय में बहुत कुछ कहा है मुझको भी अपना कौशल दिखाओ इस विषय में जो पूछा तो बहुत तथा आश्चर्यजनक तुमने देखा हो वह सब मुझसे कहो तब सूची मुखी ने शांडिल्य नामक एक मन्हास ने स्त्री के चमत्कार की कथा सुनाकर ब्रज अन्नाभाऊ को खुश किया और ऋषि यों से वरदान प्राप्त भद्रा नामक उस नाथ के विचित्र आश्चर्यजनक तथा अद्भुत कर्तव्यों के बारे में इस प्रकार बताया कि ब्रज रन आभाव पत्र के कौशल देखने को बहुत गुस्सा हो गए तब वहांहे हंसिनी कोई ऐसा उपाय करो कि वह हाथ भूतनाथ हमें भी अपना कौशल दिखाएं इस पर वह हां सही बोली आप निश्चित रहे मैं स्वयं जाकर उसको आप के विषय में कहूंगी आपके गुणों से प्रभावित होकर वह सोता ही वज्र पूरी में कौशल प्रदर्शन हो आ जाएगा
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Entrance Scheme of Indra and Krishna
On the other hand, Indra went to Krishna and told his problem, then Krishna said that his father Vasudev, who performed the Ashwamedh Yagya, would kill the bridge if he became impure, even though without permission before that. The power of air does not enter, Heer will think of a solution O King Vasudev's Ashwamedh Yagya was about to end, then a play called Matr came there, pleased with the strike of his dance Kalva ji and he converted the power of sky movement into it. Selfishness and Jangam Pranami passed and circumambulated to get the boon of entry and together with Deepu people started roaming on the earth, on the other hand according to Krishna's plan, Indra sent tears named Dant Rashtra living in heaven to Wazirpur to see that millet He will reside in the lake of the extreme east and whenever he gets a chance, the mind of Prabhavati, the supremely beautiful daughter like the moon of Brazil Nabha, should be attracted towards Praduman in the form of students, youth and Vibhavantar Praduman. Dejected, Prabhavati said to us from the songs that Vishnu has incarnated as Krishna on earth, or else I had come to know from Naradji that I should marry his son Praduman, and what could be better than this? It has been told that since then I became free in the process of that Mahavir, but my father De Tera, today Braj Nawab Rawal was anti-dev, then how can I get married to the son of Dev Adi Dev Vishnu, then I get disheartened thinking that Among the swans, a swan named Mukhi, who had become Prabhavati's companion, said, "Devi Mai, I can make the impossible work possible, as per the pre-instruction given by Indra, you only tell me in front of your father about Kaushalya and Brahmins everywhere." Praise them and take them here to me, then Prabhavati did the same. Vajranabh came there after being impressed by the praise of his daughter's understanding and said Hansini, my daughter has told a lot about your story skills and Brahmin modesty everywhere. Show your skills Tell me all that you have seen. Kindly told that Braj Ran became very angry seeing the skills of Abhav Patra, then there Hansini, do such a way that that hand Bhootnath should show us his skills too, on this she said yes right, be sure, I myself will go and tell him about you. Impressed by the qualities, as soon as he sleeps, the skills in Vajra Puri will be displayed.
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