षट्पुर निवासी निकुंभ आदि का वध
बेवफा ना बोले हे राजन् त्रिपुरासुर को जब भगवान शिव ने अग्निबाण से विद दिया था उस समय तिरुपुर में 700000 दानों थे उसमें से 600000 दानों भस्म होने से बच गए थे तब उन्होंने जम्मू दीप पर हाथ और सूर्य मुक्त होकर केवल बिना अंजल सांस लेते हुए 100000 वर्ष तक ब्रह्मा की कठिन तपस्या की थी इस प्रकार ब्रह्मा को खुश कर उन्होंने शिव से अपनी जाति वालों का प्रतिशोध लेने के उद्देश्य से वर मांगा था तब ब्रह्मा ने कहा था यह गाना काल के भी काल भला कौन सा प्रतिशोध ले सकता है वह अविनाश भी धर्म और मृत्यु के अंतिम और निर्णायक देवता है इंद्र आदि देवता भी उससे उसमें बिगाड़ कर स्वर्गम में नहीं रह सकते अतः उन महादेव रूद्र से प्रतिशोध के बारे में तो सोचना भी बेकार है ऐसा वर देना मेरे और विष्णु सेवा से बाहर है तुम कोई अन्य वर मांग लो तब द्वारा तुम ने स्वयं को वर का आधिकारिक सिद्ध कर दिया है अतः माय वर देने हेतु बाध्य किंतु जो मेरी क्षमता में नहीं है वह मैं नहीं मैं तुझसे कैसे दे सकता हूं तब उन छैला का शुरू मैया वरदान मांगा कि वे सभी शिव तथा अन्य देवताओं से अधर्म हो उसके पृथ्वी के भीतर छह नगर हो जिसमें से आवश्यकता हुआ सुविधानूसार आ जा सके यह निर्गुण फिर ब्रह्मा ने उन्होंने ऐसा ही वर्ग प्रदान किया किंतु साथ ही यह शर्त भी रखी कि वह कभी सत मार्ग पर चलने वाले ब्राह्मणों को कष्ट नहीं पहुंचा होंगे अन्यथा उसका नाश हो जाएगा क्योंकि सद मार्ग ब्राह्मण पर देवताओं की विशेषकर विष्णु की सादर कृपा रहती है इस प्रकार हुए आशु परिहार पर्वत के नीचे छाया नगर बनाकर और ब्रह्मा के वरदान से सुरक्षित होकर रहने लगे उन्हीं के छह नगर फास्ट फूड के नाम से प्रसिद्ध है शिवजी ने कृष्ण को उन्हीं करने का निर्देश दिया था हिंदी रिपोर्ट दम यज्ञ वैशाली जी का शिव ब्रह्म दत्त नामक एक ब्राह्मण था उसने वासुदेव का अश्वमेध यज्ञ कराया था वह वासुदेव का सहपाठी होने के कारण उनका साथी भी था ना वर्धा नदी के तट पर उसने यज्ञ व्रत की दीक्षा ली उस यज्ञ में वासुदेव के साथ यज्ञ वाले तेवर जैमिनी सुमित जामवली तथा मृत माना अदि रिसीव भी पधारे थे फर्स्ट पूर्वाषी दैत्य नीलकंड महादेव वहां आकर यज्ञ का भाग सोमरा शादी के साथ यजमान ब्रह्म दत्त से कन्याओं की महा करने लगे ब्रह्मा दातारी के विरोध करने पर उन्होंने यज्ञ मंडप तहस-नहस कर दिया और ब्रह्म दत्त की रूप से कन्याओं का हरण करने लग पड़े तब वासुदेव ने कृष्ण बलराम युवा मुग्ध आदि को बुला भेजा कृष्ण ने अपने पुत्र प्रदुमन को कन्याओं की रक्षा के लिए वहां भेजा प्रदुमन ने माया के द्वारा रखी कन्याओं अफसरों को ले जाने को दिया और ब्रह्म दत्त की कन्याओं को बचा लिया वास्तविक मानकर पोस्ट पूर्व ले गए और यज्ञ विदित संपन्न हो गया ब्रह्मा द्वारा नियंत्रित गौरव जरा संघ शिशुपाल संकुन्नी पांडव दत्त व कर्मी आदि राजा तब वहां पहुंचे युद्ध की आकांक्षा को ध्यान में रखकर नारद पोस्ट पोस्ट में गए और निकुंभला दी दानों से बोले अरे मूर्ख शक्तिशाली यादव सेवर लेकर तुम वहां आनंद पड़े हो कृष्ण की मदद से मिलता मित्रता है कृष्ण के प्रताप से ही ब्रह्म दत्त को 500 पत्नियां प्राप्त हुई प्रत्येक से उसने 11 रूपवती कन्या प्राप्त हुई दुर्वासा के वरदान से सभी 64 कलाओं में दक्ष कामशास्त्र में प्रवीण रति क्रिया में परम सुख देने वाली तथा शरीर में दिव्य घर छोड़ने वाली हुए उनमें से 402 ब्रह्म दत्त ने यादों को दे दिया से सबका तुम हरण कर लो वह भी प्रदुमन के छाल से मायावती है वास्तविक नहीं है इस समय यादों से पैर रखने वाले अन्य राजा भी पहुंच आए हुए हैं उनके सहयोग से यादों को कष्ट करके रेप 400 कन्याओं भी प्राप्त कर लो रत्ना आदि के लोग में हुए राजा अवश्य ही आपकी सहायता करने को तैयार हो जाएंगे क्योंकि कृष्णा आदि से हुए शत्रुता रखते हैं हे राजन नारद द्वारा इस प्रकार उत्साह जाने पर निकुंभ आदि दानों में जरासंध शिशुपाल आदि बुलाए गए राजाओं को हमने साथ मिलकर युद्ध छेड़ दिया केवल पांडवों ने इस युद्ध में यादों के विरुद्ध लड़ने से इंकार कर दिया तब यज्ञ स्थल पर ही युद्ध शुरू हो गया पांडवों ने कृष्ण की ओर से युद्ध किया इंद्र पुत्र जयंत तथा इंद्र के नेतृत्व में भी उस युद्ध में श्री कृष्ण का साथिया बलराम सात्विक प्रदुमन गत चार उपदेश संभावना दृष्टि भोज वितरण अनुरोध नीतू 2020 द्वारा उद्धव प्रीत दृष्ट तथा पांडव कृष्ण की ओर से तथा शेष आमंत्रित राजा जरासंध शिशुपाल रुकने दुर्योधन दत्त वक्र दुशासन शकुनी छेदी राज भागवत त्रिगत नरेश शल्य तथा विराट आदि निकुंभ व अन्य दलों की ओर से भयंकर युद्ध करने लफड़े प्रदुमन ने माया से एक गुफा का निर्माण किया और उस युद्ध में पराजित होने वाले महारथियों को पकड़कर उसमें बंद करने लग पड़े गद सामरा सम्राट व अनिरुद्ध आदि से मिलकर पहले महारथी कर्ण को पकड़ा प्रदुमन ने उसे गुफा में फेंक दिया फिर क्रमशाह गादी युद्ध में प्रवीण दुर्योधन शकुनी विराट जरा संघ द्रुपद विद शालिनी अनुरोध भीष्म तथा वरिष्ठ प्रदुमन आदि को पकड़कर गुफा में बंद कर दिया फिर शिशुपाल रुक्मी भागवत आहित आदि शेष राजाओं को पार्षदों से बांध लिया और उन्हें भी गुफा में बंद कर प्रदुमन ने अपने महावीर पुत्र अनिरुद्ध को पहले पर बैठा दिया तब वे से यदुवंशियों के साथ निकुंभ आदि असुर पर टूट पड़े असुर तब श्रीकृष्ण बलराम आदि की यादों से मार खाकर भागने लगे तब निकुंभ ने उनका ललकार करता था युद्ध के लिए प्रेरित किया परंतु वह प्रतापी यादव के सामने ठहरना सकून से प्राण बचाकर वे आकाश की ओर भागते थे तो जैन तथा प्रवर उनकी पिटाई करते थे यज्ञशाला की ओर भागते थे तो भीष्मा तथा अर्जुन उनकी धुनाई कर देते थे और पास्ट पूर्व की ओर भारतीय थे तो कृष्णा और बलराम उनकी जीत आई करते थे वही करते रहते तो प्रदुमन गद सामरा दी उसकी पिटाई करते थे तब अत्यंत कुपित होकर महा बलशाली निंबा से प्रवर को अपने पारीक से आहत कर जमीन पर गिरा दिया मैंने तब उदित होकर निकुंभ को बाण से विचारधारा इन सुधारों की ओर ध्यान ना देते हुए निकुंभ ने जयंत को भी घायल कर दिया उसे कृतवर्मा वितरण चार उद्दीन अन्यत्र ईस्ट आदि अनेक महा वीर युद्ध यदुवंशियों को घायल कर माया से मूर्छत कर दिया और एक अंधेरे गुफा में बंद कर दिया महान धनुर्धर अर्जुन का गांड में भी उसे रोक नहीं सका तब आपने जीत से उत्साहित होकर वह कृष्णा कि वह उसी प्रकार पक्का जैसे आपने मृत्यु से अन्य वीक पतंग दीपशिखा की ओर खिंचा चला जाता है अनिरुद्ध कृष्णा और निकुंभ मे भयंकर कृष्ण युद्ध हुआ त्रस्त होकर भागता हुआ निकुंभ उसी गुफा में घुस गया जहां उसे कुछ यदुवंशियों को कह दी बना रखा था तब श्री कृष्णा और उसके पीछे प्रदुमन का पांडव आदि भी गुफा में प्रवेश कर गए प्रदुमन ने बंधी हुई यदुवंशियों को रिहा किया और निकुंभ पर चढ़ दौड़े एक बार फिर गुफा में एक दिल दहला देने वाला महासंग्राम हुआ अंत में शिव द्वारा कृष्ण के कान में आकाशवाणी करने पर कृष्ण ने निकुंभ को बाजरा के द्वारा मालिया तब तक गुफा से बाहर बलराम बाद सारंग तथा अन्य यदुवंशियों ने श्रद्धालुओं को ठिकाने लगाया था इस प्रकार ब्रह्मा के वरदान से रक्षित विनीत कुंभा दीक्षा लाख आशु ब्रह्म दत्त नामक ब्राह्मण को अपमानित करने के कारण नष्ट हो गए हे जन्म जस्ट पूर्व के विनाश का यह प्रसंग पढ़ने और सुनने वाले को अवश्य युद्ध में विजय प्राप्त होती है धन ही धन पुत्र हिंदू पुत्र रोग तथा कष्टों से ग्रसित व्यक्ति को स्वास्थ्य तथा अभय लाभ प्राप्त होता है बंदी को मुक्ति मिलती है उस महान गर्भधान में इस प्रसंग को अवश्य पढ़ना चाहिए श्रद्धा में इसे पढ़ने से पितरों को और क्षत्रिय प्राप्त होती है ऐसा इस प्रश्न का प्रताप कहा गया है
TRANSLATE IN ENGLISH
Nikumbh, a resident of Shatpur, was killed.
Do not speak unfaithful, O king, when Lord Shiva had killed Tripurasura with his arrow of fire, at that time there were 700,000 grains in Tiruppur, out of which 600,000 grains were saved from being destroyed. Brahma had done austerity for a year, thus pleasing Brahma, he asked Shiva for a boon to take revenge on his caste people, then Brahma had said that this song, who can take revenge even from time to time, that too Avinash. Indra is the final and decisive god of religion and death, even gods like Indra cannot live in heaven by spoiling him, so it is useless to even think about revenge from that Mahadev Rudra, giving such a boon is out of service to me and Vishnu, you are any other boon. Ask for it, then you have proved yourself as the official of the groom, so I am bound to give the groom, but what is not in my capacity, I am not, how can I give it to you? If there is unrighteousness with other gods, there should be six cities inside the earth from which the need arises. This Nirguna can come according to the convenience, then Brahma gave him such a category, but at the same time he also put a condition that he would never harm the Brahmins who walk on the right path, otherwise he would be destroyed, because on the right path Brahmins the deities, especially Vishnu This is how Ashu Parihar started living under the shadow of the mountain and was protected by the boon of Brahma. His six cities are famous as fast food. Vaishali ji had a Brahmin named Shiva Brahma Dutt. Sumit Jamwali and dead Mana Adi Receive had also arrived. The first Purvashi demon Neelkand Mahadev came there and took part in the Yagya. Virgo as When Vasudev started abducting them, Krishna sent Balaram, young Mugdha etc. Krishna sent his son Praduman there to protect the girls. Praduman gave the girls kept by Maya to the officers and saved the girls of Brahma Dutt Taking the post as real, took it to the east and the yagya was completed. Controlled by Brahma, Gaurav Jara Sangh, Shishupala, Sankunni, Pandavas, Dutt and Karmi etc. kings reached there, keeping in mind the desire of war, Narad went to the post post and Nikumbhala said to the donations, O fool. With the mighty Yadav savior you are happy there Friendship is attained by the help of Krishna By Krishna's majesty Brahma Dutt got 500 wives from each he got 11 beautiful girls By Durvasa's boon Skilled in all 64 arts Proficient in Kamasastra Rati Kriya I am the giver of ultimate happiness and the one who left the divine home in the body, 402 of them Brahma Dutt gave to the memories, you abduct them all; having arrived With their co-operation, rape 400 girls by troubling the memories and get even 400 girls. The kings among the people of Ratna etc. will definitely be ready to help you because they have enmity with Krishna etc. We waged a war together with the kings called Jarasandh Shishupala etc. in donations, only the Pandavas refused to fight against the memories in this war, then the war started at the place of Yagya itself. Pandavas fought on behalf of Krishna, Indra's son Jayant Sri Krishna's companion in that war also under the leadership of Indra Balarama Satvik Praduman Last four sermons Sambhavna Drishti Bhoj distribution request by Neetu 2020 Uddhav Preet Drishta and Pandavas on behalf of Krishna and the remaining invited King Jarasandh Shishupala Rukne Duryodhana Dutt Vakra Dushasan Shakuni Chedi Raj Bhagwat Praduman, who fought a fierce war on behalf of Trigat King Shalya and Virat etc. Nikumbh and other parties, built a cave with Maya and after catching the Maharathis who were defeated in that war, started locking them in it. First, Praduman caught the great charioteer Karna and threw him into the cave, then in the battle of Kramshah Gadi, Praveen Duryodhana, Shakuni, Virat, Jara Sangha, Drupada with Shalini, caught Bhishma and senior Praduman etc. and locked them in the cave, then Shishupala, Rukmi Bhagwat Ahit, etc. Tied them and locked them in the cave, Praduman made his Mahavir son Anirudh sit on the first, then they along with the Yaduvanshis attacked Nikumbh etc. Asuras, then Shri Krishna started running away after being beaten by the memories of Balram etc., then Nikumbh challenged them. Used to motivate for war, but he stayed in front of Pratapi Yadav, he ran towards the sky, then Jain and Pravar used to beat him, then Bhishma and Arjun used to thrash him and past east. And if there were Indians, then Krishna and Balram used to win them, while doing the same, Praduman used to beat him with Gad Samara.Ignoring these reforms from life, Nikumbh injured Jayant as well, injured him, Kritavarma distribution, four uddin, elsewhere in the east, injured many great warriors of the Yaduvanshis, bewitched them with illusion and locked them in a dark cave, the great archer. Arjuna could not stop him even in his ass, then Krishna, elated with his victory, that he is sure of death in the same way as the other week kite gets pulled towards Deepshikha. Entered the same cave where he had kept some Yaduvanshis, then Shri Krishna and Praduman's Pandavas etc. also entered the cave after him. A heart-wrenching great battle took place. In the end, when Shiva recited Akashvani in Krishna's ear, Krishna garlanded Nikumbh with millet, till then Balram, after Sarang and other Yaduvanshis had sheltered the devotees out of the cave, thus protecting Vineet from the blessings of Brahma. kumbha diksha lakh ashu One who reads and listens to this story of the destruction of a just prior birth has been destroyed because of insulting a Brahmin named Brahm Dutt. One definitely gets victory in the war. The prisoner gets freedom, in that great conception, this context must be read, by reading it with reverence, ancestors get more Kshatriyas, this question has been called the glory
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