श्री हरिवंश पुराण कथा

सत्यभामा द्वारा कृष्णा का दान करना



हे राजन कृष्णा के स्मरण मात्र से ही नाराज जी वहां आ गए सद्भाव माने समुचित सत्कार किया 1000 में स्वर्ण तथा मणि आए हाथी भारत को दान में दिए नारद जानते थे कि सद्भावना घमंडी है उसी के हठ के कारण कृष्णा ऊपर अजीता परीक्षा का हरण करना पड़ा उन्होंने सत्यभामा के घर तोड़ने के लिए उसके द्वारा दिए गए बहुमूल्य दांत से संतुष्ट ना होने का अभिमान ने किया तब सद्भाव ने कहा है दिवसीय दी इससे संतुष्ट नहीं है तो आपको जो भी प्रिय भाई जीत हो वह मांगे श्री कृष्णा की पत्नी होने के कारण मुझे कुछ भी दान में देना कठिन नहीं है हे राजन सद्भाव को ऐसे कहने पर नारद हंसते हुए खाने लगे देवी करने तथा पत्नी में बहुत अंतर होता है तुम मेरी चिटियां प्रिय वस्तु मुझे नाते सकोगी सद्भाव माने तब प्राण किया किनारा जी को उससे दान में मांगेंगे वह अवश्य नाराज नेताओं का यह देवी मुझे स्वर्णमणि आदि से क्या प्रयोजन मेरे तू परम प्रिय देवा दी पति देव नारायण ही है अतः तुम अपने पति को मुझे दान में दे दे दिए क्योंकि यही श्री कृष्णा वास्तव में नारायण है हे राजन इस प्रकार सद्भावना को वचनबद्ध होने के कारण कृष्ण को दान करना पड़ा तब नारद जी परिहास करते हुए बोले हे कृष्णा तुम्हारी पत्नी ने तुझे मुझ को दान में दे दिया है अतः आप तुम मेरी संपत्ति हो मेरे साथ चलो तब कृष्णा जी आप सदा स्वस्थ व्यवहार करते हुए शीश झुका कर हाथ जोड़कर नारद के पीछे पीछे चल दिए सत्यभामा तब बहुत दुखी हो गई उसका आकार चूर ह चुका था उनके नेत्रों में छाला का अपराजिता के आंसू देख नारद ने कहा एक रिश्ता तुम्हारी प्राण वाला ने पहले तुम को चोर बनाया और आप मेरा दास भी बना दिया है दादा भी आप इससे अपनी भूल का एहसास हो गया है और इसके दिए हुए डांस श्री कृष्णा को पाकर मैं बहुत प्रसन्न है साथ ही ऐसा अनुभव करता हूं कि इतना भारी दान में मैं संभाल नहीं सकता आता है कृष्णा अपने मूल्यों को चुरा चुकाने के लिए आप मुझे एक साथ स्वस्थ कपिला गाय दे दो कृष्णा अमृतसर मुवक्किल के से पूर्ण 108 पात्र दे दिए क्योंकि शंकर भगवान ने यही धान का निष्कर्ष निश्चित किया हुआ है इस प्रकार निष्कर्ष प्राप्त होने पर मैं आपको स्वतंत्र कर दूंगा विश्वनाथ जी ने आगे कहा इस प्रकार मिस कर लेकर नाराज ने पृष्ठ को सद्भावना को वापस कर दिया सद्भाव माने ना राधा कृष्ण अभिषेक शमा याचना की कथा श्री कृष्ण ने हंसते हुए नारी से वर मांगने के लिए कहा इस पर नाराजगी भोले प्रभु मुझे यही वर्दी की नहाती स्नेह और आशीर्वाद आपकी कृपा दृष्टि मुझ पर सदैव बनी रहे और मैं तन मन वचन से सदैव आप भी स्मरण करता आपके चाहने वालों प्राप्त होगा आप की कृष्ण आपकी कृपा से माय आयोग नीच होगा और जन्म जन्मांतर में भी आप ही का परम भक्त ब्राह्मण होगा तब कृष्ण ने कहा है देवर्षि जैसा आप कहते हैं वैसा ही होगा

TRANSLATE IN ENGLISH 

Donation of Krishna by Satyabhama

O Rajan, angered by the mere mention of Krishna, he came there, accepted the goodwill, received proper hospitality, donated 1000 gold and precious elephants to India; He was proud of not being satisfied with the precious teeth given by him to break Satyabhama's house, then Sadhbhava said, "If you are not satisfied with this, then whatever dear brother you win, ask me because I am the wife of Shri Krishna." It is not difficult to give anything in charity, O king, on saying this to Sadbhav, Narad started eating laughing. There is a lot of difference between a goddess and a wife. Of course, this goddess of angry leaders, what is the use of me with gold gems etc. You are my most beloved God, husband Dev Narayan is the only one, so you gave your husband to me in charity because this Shri Krishna is actually Narayan, O Rajan, in this way, be committed to goodwill. Because of Krishna had to donate then Narad ji joked While doing this, he said, O Krishna, your wife has given you to me as a gift, so you are my property, come with me, then Krishna ji, always behaving healthy, you bow your head and follow Narad with folded hands, then Satyabhama will be very sad. Seeing the tears of Aparajita, Narad said, "There is a relationship. Your life partner first made you a thief and you have also made me my servant, grandfather. You have realized your mistake and I am very happy to get the dance Shri Krishna given by him, at the same time I feel that I cannot handle such a huge donation, Krishna, to repay his stolen values, you give me a healthy Kapila cow together, Krishna of Amritsar customer. Gave me full 108 characters because Shankar Bhagwan has fixed the conclusion of the paddy, so after getting the conclusion, I will set you free. The story of Na Radha Krishna Abhishek Shama Yachana Shri Krishna Laughing Na Asking Ri to ask for a groom, displeasure on this, innocent Lord, I am taking bath in this uniform, may your blessings and affection always be on me and I always remember you with my body, mind and words, your loved ones will get your Krishna by your grace. My commission will be mean and your supreme devotee will be Brahmin even in birth after birth, then Krishna has said Devarshi, as you say, it will happen.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ