नरकासुर की हत्या तथा परिजात की कहानी
राजा जनम जय बोले हे महर्षि बलवान रुक्मी को मार देने के बाद जब कृष्णा आदि द्वारिका पहुंचे तो जो हुआ वो कहे वैसे प्रधान ने कहा नरकासुर नामक दैत्य जॉब प्राया ज्योतिष पूर्व का रहने वाला था श्रीकृष्ण के कार्यों में बाधा उत्पन्न करने लगा और द्वारिका वासियों को कष्ट देने लगा वह भूमि से पैदा हुआ उसूरथा अत्याचार लूटपाट बलात्कार तथा देशद्रोही कार्य में उसे प्रसन्नता मिलती थी एक बार तो वह हाथी का रूप धारण कर 14 वर्षीय ट्रस्ट की पुत्री को उठाकर ले गया था पृथ्वी व समुद्र की साथियों का भी वह हरण करता था गंधर्व मनुष्य आदि की कन्या और अप्सराएं जो उसने बहुत करके प्रयोग जी पूर्व में रखी हुई थी वह संख्या में 16100 थी उन्हीं से देवमाता अदिति के कुंडल का भी हरण किया था अतः इंद्र ने कृष्णा सेना तारकासुर के वध की प्रार्थना की वह वर प्राप्ति के फलस्वरूप विष्णु अवतार कृष्ण के अलावा सभी से आवत था तभी से सद्भावना को साथ लेकर गरुड पर सवार होकर प्रयास ज्योतिष पर पहुंचे नरकासुर पृथ्वी से पैदा हुआ था सद्भावना भी पृथ्वी के अंश से पैदा हुई थी इसलिए कृष्णा सद्भावना को अपने साथ ले गए थे
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The story of Narakasura's killing and Parijat
Raja Janam Jai said, O Maharishi, after killing the strong Rukmi, when Krishna Adi reached Dwarka, what happened, Pradhan said that a demon named Narakasura, who was a resident of ancient astrology, started creating obstacles in the works of Shri Krishna and Dwarka residents He started troubling usuratha, born from the land, he used to take pleasure in atrocities, looting, rape and treasonous acts, once he took the form of an elephant and took away the 14-year-old trust's daughter, he used to abduct the companions of the earth and the sea. The daughters and Apsaras of Gandharva humans etc., which he had kept in the past with a lot of experiments, were 16100 in number, from them the coil of Goddess Aditi was also abducted, so Indra prayed for the slaughter of Krishna's army Tarakasura, as a result of getting the boon Vishnu avatar was incarnated by everyone except Krishna, since then Narakasura reached Prayas Astrology riding on Garuda, Sadbhavana was born from the earth, Sadbhavana was also born from a part of the earth, so Krishna took Sadbhavana with him.
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