श्री हरिवंश पुराण कथा

वेद भी स्वयंवर तथा रुक्मी वध



वेश्या बनाने आगे कहा जब रुक मैं अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करने में असफल रहा तो वह वापस कुंडला पूर्व नहीं लौटा विदर्भ देश में उन्हें उससे भोज कट नामक पूर्व का निर्माण किया और वहीं रहने लगा कुछ विशेष समय बीतने पर रुकने की पुत्री वेद भी शुरू होंगी विवाह योग्य हो गई थी तो उसे स्वयंवर में कृष्ण के पुत्र प्रदुमन का वरुण कर लिया प्रदुमन ने यहां वेदर वी से अनुरोध नामक पुत्र पैदा हुआ बाद में अनुरोध ने रुक्मी की पोती रुक हुआ 30 को विवाह के लिए चुन लिया यदि पी रुक मीका कृष्णा सेवर भाव था किंतु अपनी बहन और बेटी का कृष्णा और उसके बेटे से विश्वास से ही सही विवाह के कारण और अनुरोध के अत्यंत ही योग्य होने के कारण तथा अपनी पुत्री का भी अनुरोध से प्रतीत प्रेम देखकर रुक्मी ने उनके विवाह की विधिवत आज्ञा देकर बैर भाव को खत्म कर दिया हे राजन तब कृष्ण बलराम आदि विषयों के साथ अनुरोध को लेकर रुकने के पास पहुंचे शुभ तिथि में अनुरोध व रूपवती का विवाह संपन्न हुआ बाद में आंसून महान चारों वेद उदार तथा सरिता दी रोकने के पक्ष के राजा ने सभा आरोप में मनोरंजन के लिए जुड़े का प्रस्ताव रखा बलराम दूध खरीद के दक्षिणा थे किंतु शौकीन अवश्य थे तथा हुए संघर्ष मान गए इस प्रकार सर्वनाश और कला की जड़ भूत आरंभ हो गया सबसे पहले बलराम और रुकने की बाजी लगी रोशनी ने बलराम से 10000 स्वर्ण मुद्राएं जीत ली पुनः बाजी लगी रुक्मी इतनी ही मुद्राएं फिर जितनी बार बार जीत रहा था और ऋतिक रीना में अनारी बलराम को उकसा कर मोटे मोटे ताऊ लगाता रहा और वह उसके साथी विजय और मदिरा की धरा में बलराम को अपमानित करने लगे युद्ध में अजय इस श्रीमान जी को मैंने गीत में हरा दिया यह मुसल और गधा ही चलाने में दक्ष है पासे खेलना इसके बस की बात नहीं है इस प्रकार के मजाक उड़ाते हुए बलराम को अपमानित करने लगे हे राजन बलराम ने ग्रित करीना के नियमों को ध्यान में रखकर अपना क्रोध पीलिया और ताऊ में 10 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का दाव लगा दिया सहयोग की बात हुआ दाव रुक्मी हार गया तब बलराम ने खुश होकर कहा कि अब तुम हार गए मगर रुक्मी ने बेईमानी करते हुए अपनी हार ना माने और पड़ गया उस समय आकाशवाणी हुई कि धर्मात्मा विजय बलराम की ही हुई है यह सुनकर बलराम भड़क गए और उन्होंने स्वर्ण भारी अष्टपद इसे मैच विस्तार पर जुआ खेलते हैं उठाकर रुकने के सिर पर मार दिया जोर जोर से हंसने वाले कलिंग नरेश जयत के दांत तोड़ डाले स्वामी स्तंभ को उखाड़कर रुकने के पक्ष में तमाशा देखने वाले अन्य लोगों को अंकित कर डाला रुकमणी अपने भाई की हत्या देख रोने लगी श्री कृष्णा को भी यह देखकर बहुत दुख हुआ उन्होंने पत्नी प्रेम के कारण आपने जिस साले को युद्ध में जीवित छोड़ दिया था का पाठ करने पर बाराम ने उसे गीत भवन में अष्टपद द्वारा सिर्फ छोड़कर मार दिया था किंतु मर्यादा वर्ष उन्होंने बरामको कुछ ना कहा और रुक्मणी को सांत्वना देने लगे हे राजन सत्य है बुद्धिमान को हर लेने वाला कला और विनाश को बुलाकर लेने वाला जागृत बड़ा ही दुखदाई होता है वैसे अपना जी ने कहा इस प्रकार कृष्णा का बाल्यकाल तथा युवावस्था के सभी चरित्र मैंने संक्षिप्त में आपको बताया अब और जो सुनना चाहते हो वह कहो जन्मदिन कहा हे कृषि एवं महामुनि आप मुझ पर खुश हैं तो महा बलशाली बलराम जी के चरित्र को मुझसे विशेष रूप से कहें अब तक विष्णु अवतार श्री कृष्णा के बहुत से चरित्र आपने कहे जो अद्भुत और अप्रतिम थे परंतु शेष अवतार बलराम जी के बारे में बहुत कम बताए हैं मैंने सुना है कि उन्होंने 60 हजार हाथियों के बाल वाले भीष्म को भी माल युद्ध में एक ही बार में पराजित किया था जरा संजय से महा योद्धा को गदा युद्ध में पराजित करके भी जीवित छोड़ दिया था और एक बार हस्तिनापुर को भी हल से उठाकर गंगा में उलट देने को उतावले हो गए थे तभी से यह नगर टेढ़ा हो गया है हे महामुनी मुझसे अद्भुत कर्मा शेष अवतार महा बलवान और गदा युद्ध के प्रकरण आचार्य बलराम जी के अन्य चरित्रों को विशेष रूप से कहें उनके बारे में और जानने की मेरी बड़ी इच्छा है

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Vedas also Swayamvar and Rukmi slaughter

When Ruk failed to fulfill his promise, he did not return back to Kundla East. In the country of Vidarbha, he built a place named Bhoj Kat from him and stayed there. When she became eligible, she was married to Praduman, the son of Krishna in Swayamvara. But Rukmi put an end to the enmity by giving formal permission for their marriage due to the right marriage of her sister and daughter to Krishna and his son due to faith and being extremely worthy of the request and seeing her daughter's seeming love for the request as well. O king, then Krishna reached near the halt with the request of Balram etc. On the auspicious date, the request and the marriage of Roopvati was completed, later the king of the party stopped the great four Vedas, liberal and Sarita gave the assembly for entertainment Proposed to join Balram was Dakshina to buy milk but The stars were definitely there and agreed to the struggle, thus the apocalypse and the inert ghost started. First of all, Balram and Roshni bet to stop, won 10000 gold coins from Balram, again Rukmi bet the same number of coins again and again as she was winning. And Hrithik continued to instigate Balram in Reena, and he started humiliating Balram in the field of victory and alcohol. It is not in his capacity to play dice, Rajan started humiliating Balram by making fun of this type. Balaram, keeping in mind the rules of Grit Kareena, put his anger in jaundice and put a bet of 10 crore gold coins in Tau, it was a matter of cooperation. When Rukmi was defeated, Balram was happy and said that now you have lost, but Rukmi did not accept her defeat by dishonesty and fell down. gamble on match extension Swami broke the teeth of King Jayat of Kalinga, uprooted the pillar and marked others watching the spectacle in favor of stopping. Rukmani started crying seeing her brother's murder. Baram had left him alive in the war, but Baram had killed him by leaving him alive in the Geet Bhavan, but he did not say anything to Baram and started consoling Rukmani. It is very sad to wake up the one who calls Krishna. Tell me specifically about the character of the mighty Balram ji. Till now you have told many characters of Vishnu Avatar Shri Krishna who were amazing and unique but have told very little about the rest of the incarnation Balram ji. I have heard that he killed 60 thousand elephants. Goods war to Bhishma with hair I had defeated Sanjay in a single shot and left him alive even after defeating Sanjay in a mace fight and once he was eager to lift Hastinapur from the plow and throw it into the Ganges, since then this city has become crooked. Hey great sage, tell me about the other characters of Acharya Balram ji, especially the wonderful Karma Shesh Avatar, Maha Balwan and the episode of Gada war, I have a great desire to know more about them.

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