श्री हरिवंश पुराण कथा

नारद कन्स संवाद



है जानम जान नाराज जी को भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार होने के बाद याद हुई तो वह तुरंत कंस के पास मथुरा नगरी जा पहुंचे कम स्कोर जब नारद जी के आने का समाचार मिला तो उन्हें यथा योग्य नारद जी का सत्कार किया तब आसन ग्रहण करने कहां हे महाबली कंस तुमने जिस प्रकार मेरा अदर किया है उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं अतः मैं तुम्हारे हित की बात कहता हूं मैं ब्रह्म लोक से विचरण करता हुआ जब सुमेरु पर्वत पर पहुंचा तो वहां मैंने देवताओं को मंत्र गण करते पाया वह लोग अपने अनुभव के साथ पृथ्वी पर पैदा होकर तुम्हारे विनाश की योजना बना रहे थे एक अनशन देवकी का आठवां पुत्र तुम्हारा काल सिद्ध होगा वह तुम्हारे पूर्व जन्म में भी तुम्हारा वध कर चुका है अतः इस विषय में तुम सावधान रहो अब मुझे आज्ञा दो तुम्हारा कल्याण हो हे राजन महाराज जी की इस प्रकार कंस को उकसा कर चलने को तैयार हुए तो अकाउंट ने हंसते हुए कहा यह देवर्षी मेरे विनाश की बाली कहीं तुमने मैं महा बलशाली और महाप्राण क्र है जब चाहो संपूर्ण पृथ्वी को नष्ट कर

सकता हूं किसी धेनुका प्रबला हाई ग्रीप अरिष्ट कृष्ण पूतना और काली जैसी अद्भुत बलशाली दैत्य मेरे साथी हैं फिर भला मेरा विनाश कौन कर सकता है आप इस विषय में चिंता मत करें नारद भोले इसी अहंकार में तो रावण हिरण कश्यप भस्मासुर जैसे वह आप परमवीर भी मृत्यु को प्राप्त हो गए थे तुम देवताओं के नेताओं की चतुराई को नहीं जानते वही देवकी के आठवें गर्भ में तुम्हारा काल बनकर आ रहे हैं बुद्धिमान व्यक्ति चिंगारी के 16 बनने की प्रतीक्षा नहीं करते बल्कि उसे शुरू में ही नवा देते हैं आगे तुम स्वयं समझदार हो मेरा कार्य तुम्हें आप आने वाले भाई से सूचित करना था सो मैंने कर दिया अब तुम्हें कोई उपाय करना है अथवा नहीं यह सोचना तुम्हारा कार्य है नाराज द्वारा इस प्रकार समझा जाने पर अकाउंट दुविधा में पड़ गया वह नाराजगी शुभा को जानता था एक दूसरे को भड़का कर झगड़ा कर उनको बहुत आनंद आता था वह इस कार्य में विशेषज्ञ भी है फिर भी शत्रु को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए अतः उनकी उनसे देवकी के जारवा को नाश्ता करवा देने का निर्णय लिया और ना रात को ध्यान देकर विदा किया बेपनाह ने आगे कहा हे राजन महाराज जी के चले जाने के बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को सभी सुविधाओं से युक्त जेल में डाल दिया था कि वह आप देवकी के गर्भ को नष्ट कर सके धारियों को देवकी के गर्भ की जानकारी रखने का आदेश देकर आपने राक्षस साथियों को शत्रु के नाश के लिए बाहर बुला घूमने के लिए छोड़ दिया गया विष्णु भगवान जब अंतर्यामी है काल नेवी के 6 पुत्र जयपाल के रहने वाले थे और ताप अमृत के प्रभाव से दिल घायल हो गए थे उन्हें ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि देवता गंधर्व यक्ष आदि द्वारा हुए मारे ना जाए सकेंगे ब्रह्मा की आराधना करते उसकी दादा हिरण कश्यप ने उनको घर से निकाल कर शराब दे दिया था कि वह मानव योनि में जन्म लेंगे और तुरंत ही मार डाले जाएंगे तब विष्णु भगवान ने काल में भी के चारों पुत्रों को देवकी के गर्भ से पैदा होने के लिए प्रेरित किया ने एक-एक कर सभी को मार डाला तब विष्णु भगवान ने साथ में कारों के रूप में शेषनाग के अंश को देवकी के गर्भ में स्थापित कर दिया और साथ में मांस में ही उसकी देवकी के घरों से रूप जिगर में बदल दिया इस प्रकार वह बालक सांकड़ा के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ महावली होने के कारण बलराम के नाम से प्रसिद्ध होने वाला पृष्ठ का बड़ा भाई हुआ तब कंस ने सोचा था कि उसके भाई के कारण देवकी का सातवां गर्भ गिर गया है हे राजन देवकी के आठवें गर्भ में भगवान विष्णु को स्वयं अवतरित होना था आता हाउस योजनाओं को पूर्ण करने के लिए उन्होंने योग माया योग निंद्रा को वह पर आज आनंद की पत्नी के गर्भ में जाने के लिए प्रेरित किया और स्वयं देवकी के गर्भ में विराजमान हुए अभिजीत नक्षत्र विजय मुहूर्त जयंती नामक रात्रि में जब प्रभु ने अवतार लिया तब भूमि पर दूध शांत होकर कल्याणकारी वायु चलने लगी समुद्र कहां पहुंचे परवर डगमगा गए और देवता गण जरूर भैया तो जाने लगे हरदा से पुष्प वर्षा होने लगी तब वासुदेव उन्हें देखकर उनके घरों से घबराने लगे और उनकी अनिष्ट की चिंता करने लगे तब भगवान ने उन्हें अपना चतुर्भुज रूप दिखाएं कर सांत्वना दिया फिर उन्होंने अपनी माया से परिवरों को सुलाकर वासुदेव से कहा कि वह उनको नंद बाबा के घर छोड़ा है और उसी समय पैदा होने वाली उनकी पुत्री को यहां ले आए हे राजन वासुदेव ने तब भयंकर वर्षा और बाढ़ ग्रस्त यमुना को पार कर इसी प्रकार की आवास उद्योग द्वारा कृष्णा को गोकुल छोड़कर आने और कन्या के रूप में नौकरियां पैदा हुए योग माया को वापस लाने तक समस्त बाहरी निंद्रा में ही रहे बाद में कन्या के रोने की आवाज से परियों की आंखें खुली तब उन्होंने काम स्कोर देवकी का आठवां गर्भ उत्पन्न हो गया है ऐसी सूचना दें यह राजन तक का उसने सोचा मेरे भाई से पुत्र के स्थान पर कन्या पैदा हुई है देवकी के लाखों हार के बाद भी ने कन्या को पैरों में पकड़ कर पत्थर पर पटक कर मार डाला तब वह योग माया अपने स्वरूप में प्रकट हो कर आकाश में उड़ गई और करते हुए बोली रे पापी तेरा गाल तू पैदा हो चुका है तेरी मृत्यु के समय मैं तेरी छाती फाड़ कर तेरे रक्त का पान करूंगी ऐसे काकरवा दृष्ट हो गई तब उसने पछताते हुए देखी सामान ना रखें बहकावे में आकर मैंने व्यर्थ में ही तुम्हारे पुत्रों को मार डाला मेरी दुष्टता को शमा करो इसे विधि का विधान समझकर संतूर धारण कर वतन देवकी ने अपने चरणों में पड़े कंस को उठाकर क्षमा करते हुए कहा भैया उठो मैं तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार ही फल भोगता है मध्यम निर्मित करूं परिणाम आया या आप या किसी और को प्राप्त होता है यह भाई जो कोई भी पैदा हुआ है उसे अवश्य ही मृत्यु को प्राप्त होना पड़ता है अतः इसके बारे में सोचना करो जो हुआ था सो हो गया मेरे हृदय में तुम्हारे लिए कोई दुर्भावना नहीं है जन्म मरण का स्थान मैं और कारण पहले से निश्चित होते हैं इसके लिए किसी व्यक्ति विशेष को दोषी नहीं ठहराया जा सकता इसलिए शास्त्रों में भी बताया गया है इस प्रकार समझा है जाने पर का उसका दुख दूर हुआ और वह आंखों में आंसू भर कर देवकी को गले लगा कर अपने बहनोई वासुदेव से क्षमा मांगने लगा उन्होंने सादर सहित अपने माहौल में ले गए

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Narad Kansa dialogue

Hai jaanam jaan Naraj ji remembered Lord Vishnu after his incarnation as Krishna, so he immediately went to Mathura city near Kansa. Oh mighty Kansa, I am very pleased with the way you have respected me, so I speak for your benefit. When I reached the Sumeru mountain while wandering in the world of Brahma, I found the gods reciting mantras there. Being born on the earth, they were planning your destruction, the eighth son of Anshan Devaki will prove to be your death, he has killed you in your previous birth too, so be careful in this matter, now order me, may you be well, O Rajan Maharaj. When he was ready to walk by provoking Kansa in this way, the account laughed and said, O Devarshi, you are the ear of my destruction;

Can any Dhenuka Prabla High Grip Arishta Krishna Putna and Kali are my companions, then who can destroy me, then who can destroy me? You don't know the cleverness of the leaders of the gods, you are coming as your time in the eighth womb of Devaki. Intelligent people do not wait for the spark to become 16, but ignite it in the very beginning. The task was to inform you about your coming brother, so I did it, now it is your task to think whether you have to take any remedy or not. The account got confused when the angry understood in this way. He used to enjoy quarreling a lot, he is also an expert in this work, yet the enemy should never be considered small, so he decided to get Devaki's Jarwa to have breakfast and left the night after paying attention. Bepanah further said, O Rajan. After the departure of Maharaj ji, Kansa gave Vaki and Vasudev were put in a prison with all facilities so that they could destroy Devaki's womb. By ordering the stripes to keep information about Devaki's womb, you called out the demon companions to destroy the enemy and left them to roam around. Gaya Lord Vishnu was a resident of Jaipal, 6 sons of Kaal Navy, when Lord Vishnu is Antaryami, and his heart was injured by the effect of Tap Amrit, he had received a boon from Brahma that he would not be killed by deities Gandharva Yaksha etc., worshiping Brahma. Grandfather Hiran Kashyap had thrown him out of the house and given him alcohol that he would be born in a human vagina and would be killed immediately, then Lord Vishnu inspired the four sons of Kaal to be born from the womb of Devaki. Killed all of them one by one, then Lord Vishnu together with the form of cars installed the part of Sheshnag in the womb of Devaki and along with the flesh itself changed the form from the houses of Devaki to the liver, thus the child was named Sankara. Became famous by the name of Balram because of being Mahavali Kansa had thought that Devaki's seventh pregnancy was aborted because of his brother. O king, Lord Vishnu himself had to incarnate in Devaki's eighth womb. When the Lord incarnated on the night called Abhijeet Nakshatra Vijay Muhurt Jayanti, the milk became calm and auspicious wind began to blow on the land, where did the sea reach? Brother started going to Harda, flowers started raining, then seeing them, Vasudev started getting scared of their homes and started worrying about their evil, then God consoled them by showing his four-armed form, then he put the family members to sleep with his illusion and told Vasudev that he Rajan Vasudev left him at Nand Baba's house and brought his daughter born at the same time here. born yoga to bring back maya Till all the outsiders remained in sleep, later the eyes of the fairies were opened by the cry of the girl, then they did Kama Score Devaki's eighth pregnancy. Hai Devaki, even after losing lakhs of defeats, he killed the girl by holding her feet and throwing her on a stone, then that Yog Maya appeared in her form and flew in the sky and said while saying, O sinner, your cheek, you have been born, your death. At the time of I will tear your chest and drink your blood, such a Kakarva was seen, then he looked repentant, don't keep the goods, I killed your sons in vain by being seduced, wash my wickedness, considering it as a rule of law, wear a santoor. Vatan Devaki lifted Kansa lying at her feet and forgavely said, get up brother, I have no friend of yours, man reaps the fruits according to his deeds, should I create a medium, whether the result comes or you or someone else gets this brother, whoever One who is born must die, so think about it. Whatever has happened has happened, I have no ill will towards you in my heart, I am the place of birth and death.Reasons are already fixed, no particular person can be blamed for this, so it is also told in the scriptures that it is understood that his sorrow went away and he hugged Devaki with tears in his eyes and went to his brother-in-law Vasudev. Started apologizing to him, he took him to his environment with respect.

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