श्री हरिवंश पुराण कथा

महाभारत युद्ध की भूमिका



इसी प्रकार है राजा एक बार पृथ्वी पर आ जाओ तथा सैनिकों का भार बहुत बढ़ गया था तब देवताओं ने इस समस्या के लिए शुभ रूप पर्वत पर एक बैठक बुलाई जिसमें भगवान को सादर आमंत्रित किया गया ब्रह्मा जी की अध्यक्षता में एक सभा प्रारंभ हुई पृथ्वी में प्रार्थना की कि वह स्वयं पर अंधाधुंध बढ़ गए बाहर से पीड़ित है अतः उसे भय मुक्त करने का उपाय बताएं तब ब्रह्माजी ने उनसे इस प्रकार का मुझे ऐसी कास्ट का पूर्वानुमान था आता मैंने इसके लिए पहले से ही प्रबंध कर रखा है वह मैं अब तुम सब से कहता हूं सुन ब्रह्मा जी ने आगे कहा एक बार मैं अपने पुत्र कश्यप के साथ सागर के पश्चिम तट पर वेद जारी कर रहा था तब सागर गंगा जल आधारित के साथ मुझे परास्त करने की भावना से आया तथा उखाड़ राजा की तरह अपने खारे जल को छोड़कर मुझे पीड़ित करने लगा तब लोग कल्याण हेतु मिले सागर में मनुष्य योनि में राजा बनने का आशीर्वाद दिया और यह भी कहा था कि तुम्हारे साथ आया यह गंगा भी मानवीय रूप धारण कर तुम्हारी पत्नी बन जाएगी तब सागर के मैं दुखी होकर कहा प्रभु मैं आपका सेवक हूं आपके ही द्वारा मेरे लिए निर्धारित किए गए कर्तव्यों का पालन करता हूं पूर्णिमा को वृद्धि पाना ज्वार भाटा आप ही के द्वारा मुझे प्रदान किया गया मेरा स्वभाव है इस कारण पूर्णिमा होने से वायु के वेग से चलकर मैंने आपको स्पर्श किया है यदि यह मेरा अपराध है तो मुझे क्षमा करें गंगा तो बेचारी नहीं पहुंचते ही उनसे आपने केवल मेरे सहमति पर कारण हो रहा डे डाला है तब मैंने सागर को सांत्वना देते हुए कहा कि आसरा लोक कल्याण की भावना से दिया गया है क्योंकि समय आने पर पृथ्वी के बढ़ते हुए भार को कम करना दूसरे स्वर्ग से श्राप के कारण बदल गए 8 वर्ष में कोई भी इस प्रकार वापस लाना तुम शांतनु राजा के रूप में उत्पन्न हो गए तुम्हारी पत्नी बन कर जाऊंगा तब 8 वर्षों को जन्म देगी और पानी में बहा देगी इस प्रकार होगा मानव योनि में उत्पन्न होने का श्राप पूर्ण होगा और वह पुनः स्वर्ग को चले आएंगे केवल आंखें आंसू भी स्मार्ट हो गंगा बहा नहीं पाएगा क्योंकि उसे भविष्य में पृथ्वी का भार कम करने के कार्य में सक्रिय भूमिका निभानी होगी इस प्रकार या शराब का कारण नहीं है देवगांव आप जबकि ऐसा हो चुका है इस माह इस समय पृथ्वी पर है आप लोग की संतानों के देश में कुछ धृतराष्ट्र के यहां पूछ पांडु के यहां जन्म लिया क्योंकि मैंने महाभारत नामक 20 फुट की योजना बना ली उस युद्ध में प्रयास अभी मैं राजा अपनी सेनाओं के साथ मारे जाएंगे जो शेष बचे हुए उन्हें भगवान शंकर की अंश रूप अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र से जलाकर भरम कर देगा किस प्रकार पृथ्वी के दुख तथा भय का नाश हो जाएगा भगवान विष्णु कृष्ण अवतार के रूप में इस युद्ध में प्रमुख भूमिका का निर्वहन करेंगे और आप लोग शांतनु देश में जन्म लेकर इस योजना में सहयोग देंगे हे भगवान श्री कृष्ण के रूप में भगवान विष्णु पृथ्वी पर बढ़ गए असुरों का सर्वनाश करेंगे और मनुष्यों का पुनः कर्मयोग की प्रेरणा देंगे इसके निवारण हेतु काली काली युग प्रारंभ हो जाएगा और द्वापर युग खत्म हो जाएगा वैसे पुनः जी ने आगे कहा हे राजन ब्रह्मा जी द्वारा पृथ्वी का भार कम करने की पहले से ही बनाई गई यह योजना सभी को पसंद है देव गणों ने इस योजना का अनुमोदन व स्वागत किया तथा पृथ्वी भी शीघ्र ही कष्टों का निवारण हो जाने की हादसा से पहली भारतीय संतुष्ट हो गई और भगवान विष्णु ने ब्रह्मा की योजना के अनुसार श्रीकृष्ण का अवतार लेना मान लिया इस प्रकार उन्होंने ही अतीत की वंश में विद्यमान वासुदेव के यहां कृष्ण के रूप में जन्म लिया और पूरे देश को शुरू हुआ दोस्तों का सर्वनाश करते हुए कर्मयोग का प्रचार प्रसार किया तथा महाभारत के युद्ध में प्रमुख भूमिका निभाई देवगढ़ में भी उद्देश्य सुधार महिंद्रा भीम वायु नकुल और सहदेव अश्वनी कुमार कारण सूर्य द्रोणाचार्य बृहस्पति भीम आठ वसु विधुराम अभिमन्यु विश्वास उग्र दुर्योधना धर्म युद्ध वरुण अश्वत्थामा शंकर कड़ी मित्र धृतराष्ट्र देव का यक्ष गंधर्व तथा दुशासन आदि के रूप में महाभारत के लिए कौन सा अवतार के लिए हे राजन वासुदेव जी वास्तव में कश्यप ऋषि जी थे जो अपने पत्नी अदिति देवकी के रूप में और सुरभि रोहिणी के रूप के साथ पृथ्वी पर पैदा हुए थे पहले अश्विनी यज्ञ के लिए वरुण से गाय ली थी और बाद में होता है वरुण को वापस नहीं की थी अतः ब्रह्मांड स्वरूप में नहीं पृथ्वी पर मानव रूप में पैदा होकर गायों का पालन करने का आदेश दिया था तब कश्यप जी एक आम से वासुदेवा दूसरे नाम से नांद बनाकर पैदा हुए थे अदिति ने भगवान विष्णु से उन्हें पुत्र के रूप में पाने का वरदान लिया था तब भगवान विष्णु ने कृष्णा बंद करते पी के रूप में अदिति के घरों में से जन्म लिया था ओम नमो नारायणा

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Role of Mahabharata war

Similarly once the king came to the earth and the load of the soldiers had increased a lot, then the gods called a meeting on the auspicious form mountain for this problem, in which God was cordially invited, a meeting started in the earth under the chairmanship of Brahma ji. Prayed that he is suffering from outside indiscriminately increased on himself so tell him the solution to get rid of fear then Brahmaji asked him like this I had forecast of such cast comes I have already made arrangement for it that I now you all Brahma ji further said that once I was reciting Vedas on the west bank of the ocean with my son Kashyap, then the ocean Ganga came with a desire to defeat me with water-based and like an uprooted king, its salt water Leaving me and started suffering, then people met for welfare, blessed him to become a king in human form in the ocean and also said that this Ganga who came with you will also become your wife by assuming a human form, then I said sadly to the ocean, Lord, I am yours. I am a servant, I fulfill the duties set for me by you only. It is my nature to increase Maa, the tide has been given to me by you, that's why I have touched you by walking with the speed of the wind, if it is my crime, then forgive me, the poor Ganga does not reach you The reason for my consent is being given, then I consoled Sagar and said that Asara has been given in the spirit of public welfare because when the time comes to reduce the increasing weight of the earth, it has changed in 8 years due to a curse from another heaven. Any one bring back like this you are born as Shantanu king I will go as your wife then she will give birth for 8 years and drown in water thus the curse of being born in human vagina will be fulfilled and he will again go to heaven Ganga will not be able to shed tears only smartly because she will have to play an active role in the work of reducing the weight of the earth in the future. This type or alcohol is not the reason Devgaon you while this has happened this month you are on earth at this time In the country of children, some asked Dhritarashtra to take birth in Pandu's place. Because I made a plan of 20 feet named Mahabharata, in that war, now the king will be killed along with his army, who will burn the rest of them with Ashwatthama Brahmastra, a part of Lord Shankar, how to destroy the sorrow and fear of the earth. Lord Vishnu will play a major role in this war in the form of Krishna Avatar and you people will cooperate in this plan by taking birth in Shantanu country. Lord Vishnu in the form of Lord Shri Krishna will annihilate the Asuras who have risen on the earth and restore the human beings. Will give inspiration for Karmayog, for its prevention, Kali Kali Yuga will start and Dwapar Yuga will end. Again, ji further said that this plan made by Rajan Brahma ji to reduce the weight of the earth is liked by all. This plan was approved and welcomed and the first Indian was satisfied with the accident that the earth would soon get rid of the sufferings and Lord Vishnu accepted the incarnation of Shri Krishna according to the plan of Brahma, thus he was the Vasudev who existed in the past dynasty. where krishna Born in the form and spread the propaganda of Karmayog while destroying the friends and played a major role in the war of Mahabharata. In Deogarh also purpose improvement Mahindra Bhima Vayu Nakul and Sahdev Ashwani Kumar Reason Surya Dronacharya Jupiter Bhima Eight Vasu Vidhuram Abhimanyu Faith Furious Duryodhana Dharma War Varuna Ashwatthama Shankar Kadi Friend Dhritarashtra Dev as Yaksha Gandharva and Dushasan etc. Which incarnation for Mahabharata O Rajan Vasudev ji was actually Kashyap Rishi ji who appeared as his wife Aditi Devaki and Surabhi Rohini First Ashwini took cow from Varuna for Yagya and later did not return it to Varuna, so born in human form on earth and not in universe form, ordered to follow cows Then Kashyap ji was born from one mango by making Vasudeva a manger by another name. Aditi had taken a boon from Lord Vishnu to have him as a son. namo narayana

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