श्री हरिवंश पुराण कथा

विष्णु का तीसरा अवतार नरसिंह अवतार



दैत्य राज हिरण कश्यप ने मात्र जलपान पर निर्भर रह कर 11000 वर्षों तक तक किया तब ब्रह्मा से इस प्रकार का हुआ ले लिया था कि वह ना शास्त्र से और ना ही अस्त्र से ना देवता से और ना दानों से ना मानो से और ना ही यक्ष गंधर्व आदि से ना धार में आओ ना बाहर और ना पृथ्वी पर नाही जाल में ना दिन में और ना ही रात में मरे इस प्रकार उनसे आपने विचित्र वरदान द्वारा रचित होकर स्वयं को अमर समझना शुरू कर दिया था तब अहंकारी होकर उसने यज्ञ पूजा आदि बंद करा दिया उसका कहना था माय हे भगवान हूं अतः मेरी ही पूजा करो ऐसे आदेश देकर प्रजा को भी डिलीट करने लगा उस महाबली का विरोध सर्वप्रथम उसके पुत्र पहलाद ने ने ही शुरू किया उसने विष्णु की पूजा करनी नहीं छोड़ी हिरण कश्यप ने विभिन्न प्रकार से उसे डराने महारानी का प्रयास किया परंतु पहलाद के दृढ़ विश्वास और विष्णु की कृपा से पहलाद को हुई हानि नहीं हुई तब गुस्से में आकर वाह स्वयं ही पहलाद को मारने लगा तब भगवान विष्णु ने एक ही स्थान से नरसिंह रूप में प्रकट होकर संध्या के समय महाल की दहलीज पर अपनी गोद में लिटा कर उसका पेट अपने नाखूनों से हाड़ा डाला और हालात के साथ सारी प्रजा की रक्षा की तथा ब्रह्मा का वरदान भी झूठ है नहीं होने दिया क्योंकि तब ना दिन था और ना ही रात ना आवे पशु थे और ना ही मनुष्य ना शास्त्र से मारा और नाश्ता से नागौर के अंदर और ना बाहर और ना पास में मारा और ना ही पृथ्वी पर भगवान विष्णु के उस अति भयंकर ओदरा अवतार को नरसिंह अवतार कहा जाता है जिससे उन्होंने हिरण कश्यप का संघार कर पुनः धर्म की रक्षा की है

TRANSLATE IN ENGLISH 

Narasimha Avatar, the third incarnation of Vishnu

The demon king Hiran Kashyap lived for 11,000 years, depending only on refreshments, then he had taken such a boon from Brahma that he could neither be killed by scriptures, nor by weapons, nor by deities, nor by donations, nor by Mano, nor by Yaksha. Gandharva etc. neither come to the edge nor come out nor die on the earth neither in the trap nor in the day nor in the night. He said that I am God, so worship me only, by giving orders like this, he started deleting the subjects as well. Tried to intimidate the queen, but due to the strong faith of Pahalad and the grace of Vishnu, Pahalad was not harmed, then in anger, Vah himself started killing Pahalad. Laying on his lap at the threshold, he tore his stomach with his nails and killed all the subjects with the condition. Lord protected and the boon of Brahma is also a lie, did not allow it to happen because then there was neither day nor night, neither animals nor humans, neither inside nor outside, nor near On earth, that very fierce Odra incarnation of Lord Vishnu is called Narasimha Avatar, by which he once again protected the religion by killing the deer Kashyap.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ