श्री हरिवंश पुराण कथा

चेदी वंश तथा मधु वंश



बुरी चौहान के पुत्र पुत्र आदि के क्रम में इस वाही रोहिणी चित्ररथ सशविन प्रीत सरावां उत्तर सुयश mus8c न्यू मारुत कंबल वर्षी शुद्ध प्रस्तुति रुकमा कवच तथा रूप में हुए लुक्मेंस के प्रीत रूप जामिया पाताल इतवारी नामक चार भाई जो भी थे विजय राज को रुक्मण कवच से पारित हुआ हरि को रक्षार्थ नाम दे दिया था या या मांगने श्रेणी से को पर्दा किया जो कि कान तथा कौशिक नामक दो पुत्रों के पिता बने लोग पाठ के तीसरे पुत्र बारूद के आहूत हुए जो जयदीप पुत्र के दादा हुए चरित पुत्र से चेदि वंश की शुरुआत हुई विदर्भ के भीम कुंती अंग्रीस्ट रंगरेज सावंत दसों बिहार अंत के भाई थे भाई ओम जी मुद्रित भीम रत्ना व्रत दशरथ शकुनी करमवा देवव्रत देव छठ देवा श्री मधु पुत्र पुत्री के क्रम में हुए मधु से मधु वंश की शुरुआत हुई सत्यवान मारू सुआ पूर्व स्थान मधुर के ही पुत्र थे

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Chedi dynasty and Madhu dynasty

Buri Chauhan's son in the order of son etc. This same Rohini Chitrarath Sashwin Preet Sarawan Uttar Suyash mus8c New Marut blanket year pure presentation Rukma Kavach and in the form of Lukmens's beloved form Jamia Patal Itwari four brothers who were Vijay Raj with Rukman Kavach Passed Hari was given the name of Rakshaartha or was covered from the seeking category who became the father of two sons named Kan and Kaushik. Vidarbha's Bhim Kunti Angrist Rangrez Sawant Daso Bihar was the brother of the end Bhai Om Ji Printed Bhim Ratna Vrat Dasaratha Shakuni Karamava Devvrat Dev Chhath Deva Shri Madhu Son and daughter Madhu dynasty started from Madhu Satyawan Maru Sua East place of Madhur was the only son

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