श्री हरिवंश पुराण कथा

यदुवंश वैष्णव वंश का वृतांत भाग 2



हे राजन गुरु के चार पुत्र शुद्ध व अशुद्ध धनु महाबहू परीक्षित तथा आर इमेज हुए सोदवा के पुत्र शुद्र तथा पुत्र च्यवन ऋषि थे पर पुत्र प्रीति यज्ञ थे इन्हीं भी यंग ऋषि के कायाकल्प कर देने वाली तथा सतयुग रखने वाली औषधि बन गई थी जो उन्हीं के नाम पर बाद में चवनप्राश कहलाए वेद चेदि देश के वसु ने साथ मानवीय संता ने भी पैदा की थी जिसमें 6 पुत्र और एक कन्या थी जिसमें जेस्ट महारथी वृद्धा के यदु मारुत मत्स्य नामक पुत्र तथा काली सत्यवती नामक कमियां हुई वृहद का एक पुत्र पोशाक भी था उषा का वृषभ वृषभ का पुष्प भवन तथा पुष्प भवन का सत्य हित था सत्य हित का पुत्र ऊर्जा तथा ऊर्जा का संभव था संभव दो टुकड़ों में पैदा हुआ था तब जरा नामक राक्षसी द्वारा जोड़ दिए जाने पर उसका नाम जरा संग पढ़ो जरा संघ के पुत्र सहदेव पुत्रों तथा पर पुत्र रावत अहमद के राजा थे पूर्व के दूसरे पुत्र परीक्षित के जन्म जय हुए जन्म जय के 3 पुत्र स्त्रोत उग्रसेन भीमसेन थे जैनियों की दूसरी रानी से सूरत तथा मार्टिन नामक दो पुत्र भी हुए सूरत के पुत्र भी दूर हुआ पुत्र थे दक्षि के पुत्र भीमसेन पुत्र प्राप्ति तथा पर पुत्र शांति देव व बाहुली 13 थे शांत उनके स्कूल में ए राजा तुम हुए हो वह अली के पुत्र सोमदत्त तथा पुत्र बुरी शुरुआत और चले आए देवी मुन्नी होकर देवताओं के अध्यापक हुए उन्हें ही यज्ञ द्वारा च्यवन ऋषि को पैदा किया था इस प्रकार दूसरे वंश में अब तक दो ऋषि दो भीमसेन और दो जन्म जय हो चुके हैं अब तुमसे मैं सांत्वना के वंश को कहता हूं जिससे मैं तुम पैदा हुए हो सांत्वना वॉइस महाराज सांत्वना ने गंगा से विवाह कर देवव्रत नामक पुत्र पैदा किया जो आपने भीषण प्रतिज्ञा के कारण भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुआ और पांडवों का पिता महुआ सांत्वना की दूसरी पत्नी काली सत्यवती से विचित्रवीर्य तथा चित्रांगदा पैदा हुए विचित्र वीर की पत्नी से दृष्टि भोग द्वारा ब्याज जी ने धृतराष्ट्र तथा पांडू को और विचित्रवीर्य की पत्नी की दासी से भी दूर को पैदा किया धृतराष्ट्र गांधारी से सौ पुत्र हुए जिसमें से दुर्योधन सबसे बड़ा था उसकी दुशाला नामक एक बहन भी थी जो जय द्रव्य के साथ विवाह ही पांडव कुंती और माधुरी से देवताओं द्वारा पांच पुत्र हुए जिसमें अर्जुन महा धनुषधारी था सुभद्रा से अर्जुन ने अभी मन्नू को पैदा किया अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित हुए और पुत्र तुम इस प्रकार तुम अपने वंशजों में जन्म देती थी यह हो या तुम्हारा शांतनु का वंश ही पौरव वंश कहलाया इससे कमरा वन भी कहा जाता है वैसे पन्ना जी ने आगे कहा तब तू वास गांव वन सोनू वाही गोबान त्रिवास करूं तो मारो द्वितीय पुत्र व पुत्र के क्रम में दूर श्वास में हुए मारुति के चार घर कोई पुत्र नहीं था लेकिन समानता नामक की एक कन्या थी राजा यदि टी के अभी श्राप के कारण तू रुसवा वंश पौरव वंश पुरवा स्वांश में विलीन हो गया ध्रुवा के पुत्र पुत्र आदि के क्रम में बहुत रेत अंगार से गंधार हुए जिसका राज गंधार के नाम से प्रसिद्ध है अनु के पुत्र धर्मपुत्र सुचेता हुए यह अनुबंध कहलाता है अब तुम अतीत के जेष्ठ पुत्र यादों के वंश का वर्णन सुनो जो यदुवंश के नाम से प्रसिद्ध है यदुवंशी यादव के पुत्र सहस्त्र प्रयोग प्रकोष्ठ तथा मील तथा हजीक हुए शहर के तीन आयत है तथा वेणु है नामक पुत्र हुए खाए के धर्म नेत्र तथा धर्म नेत्र के 2 पुत्र हाथ और सहज सहज के महिमा महान पुत्र तथा भद्र श्रेणी पुत्र हुए जो वाराणसी के राजा थे उनके बारे में पहले बता चुका हूं इसके पुत्र दुर्वास पुत्र का नाम तथा पर पुत्र कृत्य कृत्य के तीन भाई प्रीति वर्मा कृत अग्नि हुए प्रिय के पुत्र अर्जुन हुआ जो तृतीय वीर अर्जुन सहस्त्रार्जुन सहस्त्रबाहु के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि समस्त पृथ्वी को जीतकर अग्नि पुत्र दाता श्री के प्रति 10000 वर्षों तक तपस्या करके उसने एक हजार हाथ होने का वरदान प्राप्त किया था वह 80000 वर्ष तक पृथ्वी का सम्राट रहा जिससे कर्नाटक नामक मां तेजस्विता को विजय कर अपनी नागरी महिमा पूरी को मनुष्य के साथ अभिनव वर्षा कार्य मे समुद्र के कीड़ा करते हुए अपने हजार भुजाओं से समुद्र का पानी उल्टा कर दिया उस महावीर ने अपने समय के महा प्रतापी राक्षस रावण को बेहोश कर आपने प्रचुरता से बांधकर अपने अस्तबल में डाल दिया था तब पूर्व वार्षिक रावण के दादा की प्रार्थना पर रावण को मुक्त किया परशुराम ने युद्ध में इस सहस्त्रबाहु की सभी भुजाएं काट गिराई थी सहसबाहु भुजा के सुपुत्र में 5 शेष रहे थे उसमें जय ध्वज महा बलवान था जय ध्वज केशव पुत्र ताड़ क्षत्रियों के नाम से विख्यात हुए

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History of Yaduvansh Vaishnav dynasty part 2

O Rajan Guru's four sons, the pure and the impure Sagittarius, Mahabahu Parikshit and R were the sons of Sodava, the son of Shudra and the son of Chyavan, the sage, but the son of Preeti was the sacrifice, these too became the rejuvenating and golden age-keeping medicine of the young sage, which was his own. Ved Chedi country's Vasu, later named as Chavanprash, had also produced a human child, in which there were 6 sons and a daughter, in which Jest Maharathi Vriddha's son named Yadu Marut Matsya and Kali Satyavati's shortcoming Vrihad also had a son Prasthi. Usha's Taurus, Taurus's Pushpa Bhavan and Pushpa Bhavan's Satya Hita, Satya Hita's son Energy and Energy's Sambhav was born in two pieces, then when they were joined by a demon named Jara, his name read Jara Sang Sahdev, son of Jara Sangha Sons and great son Rawat Ahmad was the king of the former second son Parikshit was born Jai Jai had 3 sons Stotra Ugrasen Bhimsen from the second queen of Jains also had two sons named Surat and Martin Surat's sons were also sons of Dakshi Son Bhimsen, son Prapti and sons Shanti Dev and Bahuli were 13. Calm down in their school O king you have become Ali's son Somdatta and son bad beginning and went on becoming goddess Munni and became the teacher of the gods. Two births have been won, now I tell you the dynasty of consolation from whom you are born. Vichitravirya and Chitrangada were born from Vichitravirya's wife, Vichitravirya's wife Satyavati's second wife Kali Satyavati, Biyaj ji gave birth to Dhritarashtra and Pandu by seeing Bhog from Vichitravirya's wife's maid and Dhritarashtra gave birth to hundred sons from Gandhari, from whom Duryodhana was born. He was the eldest. He also had a sister named Dushala who married Jaya Dravya and the Pandavas Kunti and Madhuri had five sons by the gods, in which Arjuna was the great bowman. From Subhadra, Arjuna gave birth to Mannu. p You used to give birth to your descendants, whether it is Shantanu's lineage or yours, the lineage of Shantanu is called the Paurav dynasty, because of this the room is also called forest, Panna ji further said, then you live in the village forest, Sonu wahi Goban Trivas, then kill the second son and the order of the son. There was no son in the four houses of Maruti in distant breath, but there was a daughter named Samantha. From Gandhar became Gandhar, whose rule is famous as Gandhar, the son of Anu's Dharmaputra Sucheta, this contract is called. Now you listen to the description of the dynasty of Yadon, the eldest son of the past, which is famous as Yaduvansh, the son of Yaduvanshi Yadav, Sahastra Prayog Cell and Mile and There are three rectangles of the city of Hajik and Venu is the son of Khaye, Dharmanetra and Dharmanetra have 2 sons Hath and Sahaj Sahaj's Mahima great son and Bhadra class son who was the king of Varanasi, I have already told about his sons. Name of the son of Durvas and three brothers of the son of Kritya Preeti Verma Kriti Arjuna became the son of the beloved of Agni, who is also known as the third heroic Arjuna Sahastrarjuna Sahastrabahu, because after conquering the whole earth, he had obtained the boon of having a thousand hands by doing penance for 10,000 years towards the son of Agni, Data Shri, that is 80,000 years. He remained the emperor of the earth for a long time by conquering Mother Tejaswita named Karnataka and filled his city glory with human beings in the innovative rain work, by turning the water of the sea upside down with his thousand arms. You tied him profusely and put him in your stable, then on the prayer of Ravana's grandfather, Parshuram freed Ravana in the war. Parashurama had cut off all the arms of Sahastrabahu in the war. Jai Dhwaj Keshav's son was very strong and became famous as Taad Kshatriyas.

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