हरिवंश पुराण

वैवस्वत मनु यम शनैशचर  आदि के जन्म का वृतांत 



हे राजा दक्ष की कन्या से पैदा हुए विश्वाम सूर्य का विवाह तक शास्त्री कन्या संज्ञा से हुआ था कुछ पुराणों में संज्ञा की जगह समझा भी बताया गया है तथा तू आए स्टार्ट के स्थान पर विश्वकर्मा का उल्लेख किया गया है तो आज ठाकुर विश्वकर्मा दोनों ही देवताओं के भवन निर्माता व अभियंता बताए गए हैं संज्ञा को सूर्य अनु के नाम से भी जाना जाता है संज्ञा रूप तब वायु से संपन्न थी किंतु अपने पति सूर्य के तीव्र प्रताप से ज्यादा डरी रहती थी क्योंकि सूर्य की गर्मी उसके सौंदर्य को प्रभावित करती थी सूर्य का एक नाम मातृणय भी है क्योंकि बुद्धि एक दिन कश्यप ऋषि के आश्रम पर भिक्षा मांगने गए तब कश्यप जी की गर्भवती पत्नी आदित्य को भी चलाने में विलंब होने पर बुध नेहा दिति के गर्भ में पल रहे पाला को मृत हो जाने का श्राप दे दिया क्योंकि अदिति के घरों के बाहर से थके होने के कारण विलंब हुआ था बाद में अदिति द्वारा प्रार्थना किए जाने पर कश्यप ने बुध के श्राप का निवारण कर दिया मृत अंडे से भी जीवित उत्पन्न होने के कारण बाद में सूर्य मारकंडे भी कहलए वैश्य पन्ना जी ने आगे कहा सूर्य की गर्मी से त्रस्त रहने के कारण जांगिया ने अपनी छाया को सूर्य के पास छोड़ दिया और स्वयं अपने पिता के घर चली गई पिता ने संज्ञा को घर लौट आया देख और और बार-बार पति के घर वापसी लाउट जने के लिए कहा इस प्रकार संज्ञा पिता द्वारा भी तिरस्कृत होकर उत्तर-पूर के पास चली गई और वहां घोड़ी बंद कर छः रूप में रहने लगी सूर्य को इस रहस्य के बारे में ज्ञात ना हुआ वह संज्ञा की छाया की संज्ञा समझते रहे पति का गृह छोड़ने से पूर्व संज्ञा ने एक पुत्र को जन्म दिया जो श्राद्ध देव के नाम से प्रसिद्ध हुआ और सूर्य का पुत्र होने से वे शुरुआत मोनी कहलाया बाद में उसे ने एक जुड़वा पुत्र और पुत्री को जन्म दिया जो यम और यामिनी या मुंह ना के नाम से प्रसिद्ध हुए संज्ञा के गृह छोड़ने के पश्चात उसकी छाया सावन में भी सूर्य के 2 पुत्र हुए जिसमें पहला अपने बड़े भाई मनु के समान होने तथा छाया सर्वस्व से पैदा होने के कारण सारणी मोनू कहलाया और दूसरा एक पैर में बिगर होने के कारण सना सना चलता था अतः वह सनीचर के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसको ज्योतिष शास्त्र में कुरु ग्रह के रूप में भी जाना जाता है हे राजा शनि चराय के पैर में विकार होने की भी एक कथा है छाया में अपने बच्चों को जाने के कारण संज्ञा के बच्चे से सौतेली मां जैसा व्यवहार करना शुरू कर दिया मनु ने धैर्यवान होने के कारण या व्यवहार सहन कर लिया किंतु यम उग्र स्वभाव के होने के कारण उसे सहन ना कर पाया वृत्त प्रेम में वशीभूत होकर शनिश्चराय ने भी माता का वध करने के लिए कदम उठाया तब छाया ने उसे वह टूट जाने का श्राप दे दिया बाद में सूर्य के हैं बीच-बचाव करने पर शनि चराय के भाव में केवल विकार ही हुआ तब से यह कहा जाने लगा कि पूत कपूत हो जाए परंतु माता को घुमाता नहीं होना चाहिए हे राजन बाद में जब सूर्य को छाया की वास्तविक का पता चला तो वह क्रोधित होकर अपने ससुर ग्रेटेस्ट के पास पहुंची तब तक विराट ने बताया कि तुम्हारे तेज की उग्रता के कारण ही संज्ञा ने याद किया है और अब वह घोड़ी के रूप में तपस्वी जीवन व्यतीत कर रही है यदि आप मेरी राय मानो तो आपको सांभर चढ़ाकर तुम्हारी उस्मा हुआ तेज कम करके तुम्हें खूबसूरत बनाना तू तब संज्ञा तुम्हारा पेट सहन कर पाएगी और है से समस्या फिर पैदा ना होगी तब सूर्य ने उस सराय को स्वीकार कर लिया पहले उसका रूप टेढ़ा होने से उन्हें विभव वासु भी कहा जाता था किंतु स्थान पर चढ़कर 20 या ने खेले जाने पर उसका स्वरूप सुंदर व रक्त वर्णिक हो गया इस प्रक्रिया में उसे मुंह से निकले तेज से 12 आदित्य पैदा हो गए आदित्य के पुत्रों के रूप में उनके नामों के बारे में तुम्हें पहले ही बता चुका हूं ए राजा तब संज्ञा को लाने के लिए घोड़े का स्वरूप बनाकर सूर्य जोड़ी बनी संज्ञा के पास गए और रति कर्म करने लगे जिससे उत्पन्न हुए बालक दृश्य हुआ ना स्वत कहलाए किंतु बाद में माता-पिता के अश्व तथा सोनी के रूप में भ्रमण करने के कारण वे अश्वनी कुमार के नाम से प्रसिद्ध हुए यही अश्वनी कुमार देवताओं के प्रसिद्ध का आया हुआ शल्य चिकित्सक हुई शान पर निष्कर्ष यूरिया का जो तेजाजी स्थान से निकला था उसे विष्णु के सुदर्शन चक्र का निर्माण हुआ सूर्यपुत्र यम पितरों के अधिपति व धर्मराज हुए हैं यानी के बाद में यमुना नदी का रूप धारण कर लिया और शनिश्चराय ग्रह रूप से आकाश में निवास करने लगे इस प्रकार मैंने बेब्स होता मोनू तथा उसके भाई-बहन के जन्म का वर्णन आपको सुनाया है इन देवताओं की जन्म कथा पढ़ने या सुनने वाला व्यक्ति सभी आपत्तियों स निराकरण प्राप्त कर लेता है आप तुम्हें विश्वत मुनि की संतानों तथा वंशावली के बारे में बताता हूं

TRANSLATE IN ENGLISH 

The story of the birth of Vaivaswat Manu Yama Shanishchar etc.

Hey Vishwam Surya, who was born from the daughter of King Daksh, was married to the Shastri Kanya noun, in some Puranas it has been explained instead of the noun and Vishwakarma has been mentioned in place of Tu Aaye Start, so today Thakur Vishwakarma is worshiped by both the deities. The builder and engineer of the building has been told. The noun is also known as Surya Anu. There is also a name Matranaya because Buddhi went to beg for alms at Kashyap Rishi's ashram, then due to delay in carrying Kashyap ji's pregnant wife Aditya, Budhi cursed Neha Diti's child Pala to die because Aditi There was a delay due to being tired from outside the houses. Later, on the prayer of Aditi, Kashyap removed the curse of Mercury. Due to being born alive even from a dead egg, later also called Surya Markande. Vaishya Panna ji further said Being afflicted by the heat of the sun, Jangia Chhaya was left with Surya and she went to her father's house. Surya did not know about this secret, he kept considering the noun as the shadow of the noun, before leaving the husband's house, the noun gave birth to a son who was famous as Shraddha Dev. Hua and being the son of Surya, he was initially called Moni, later he gave birth to a twin son and daughter who became famous as Yama and Yamini or Mouth Na. In which the first one was called Sarani Monu because of his resemblance to his elder brother Manu and being born from the shadow of everything, and the second one because of being unable to walk in one leg, hence he became famous as Sanichar, who is known as Kuru in astrology. There is also a story of getting disorders in the feet of O King Shani Charaya. Due to Sangya's child, she started behaving like a step mother. Manu tolerated the behavior because of being patient, but due to Yama's fierce nature, he could not tolerate her. When he took a step, then the shadow cursed him to break, later on the intercession of the Sun, Shani only got disturbed in the grazing sense, since then it was said that the son becomes kaput but the mother does not turn around. O Rajan, later when Surya came to know about Chhaya's reality, she got angry and went to her father-in-law Greatest till then Virat told that Sangya remembered because of the fierceness of your glory and now she is doing asceticism in the form of a mare. If you believe in my opinion, then you will be able to make your body beautiful by offering sambar to reduce your heat and make you beautiful. He was also called Vibhav Vasu due to his crooked appearance, but after climbing the place, he played 20 or But his appearance became beautiful and blood-colored. In this process, 12 Adityas were born from the speed of his mouth. I have already told you about their names as sons of Aditya. By making a form, Surya went to Sangya, who became a pair, and started performing rituals, due to which the child born was not visible, but later he became famous by the name of Ashwani Kumar because of his parents traveling in the form of Ashwa and Soni. Kumar became the famous surgeon of the deities. Conclusion on pride: Urea, which came out of Tejaji place, was created by Vishnu's Sudarshan Chakra, Suryaputra Yama became the ruler and Dharmaraj of ancestors, that is, later took the form of Yamuna river and Saturn began to reside in the sky in the form of a planet. In this way, I have told you the description of the birth of Babes Hota Monu and his siblings. tell about offspring and genealogy

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