भगवान विष्णु द्वारा पालन व्यवस्था
व्हाट्सएप बना जी बोले हे राजन् तब सृष्टि में व्यवस्था व संस्था पूर्वक संचालन के लिए प्रत्येक दाल में अलग-अलग प्रजातियां बनाए प्रीत को मनुष्य का राजा बनाया गया वनस्पतियों नक्षत्रों तथा बीजों का राजा चंद्रमा को बनाया गया 12 अतिथियों का राजा विष्णु नामक आदित्य को बनाया गया हाथों वासियों का अग्नि को 49 मारु तो का वास हो प्रजापति का दक्ष को बेटियों का पहलाद को पितरों का सूर्यपुत्र हमको 11 रूद्र राक्षसों मंत्र व्यक्तित्व तथा पोषण मात्र कामों को शंकर को दानों का विप्र चिंतन भूत पिशाच का शिव को पृथ्वी का हिमालय को नदी का समुद्र को आकाश का वायु को गंधर्व का चित्र स्कोर नागों का व श्रुति को सांपों तक तक स्कोर पक्षियों का गरुड़ को हाथियों का एरावत को घोड़ों का उज्जैन व को 1 चरणों का आपको परीक्षा का पीपल को वर्षा का मेघ को देवताओं का इंद्र कुमार ध्रुव का शेषनाग को अप्सराओं तथा किन्नर का कामदेव को रितु मास दिन रात आधी समय का काल सूर्य को राजा बनाया प्रीत का चरित्र जन्म जय द्वारा आग्रह करने पर देश बनाने राजा प्रीत का पवित्र चरित्र सुनाते हुए आगे कहा हे राजन अति प्राचीन काल में क्षत्रिय वंश में नाम का राजा हुआ था अमृत पुत्री सुनीता के गर्व से उन्हें व्हेन नामक के पुत्र की प्राप्ति हुई वह उसे नेतृत्व वला धर्म से गिरा हुआ तथा तत्वज्ञान से हिना था वह देशद्रोही हुआ उस के शासनकाल में वेद अध्यान यज्ञ तथा पूजा आराधना आदि पर रोक लग गई थी वह अपने आप को ही यज्ञ कहता था मारुति आदि सप्त ऋषि यों द्वारा समझाए जाने पर भी उसने अपने हट मूर्खता वाहन कार को नहीं छोड़ा इसके विपरीत वह उन्हीं का उपहास करने लगा तब क्रुद्ध होकर सब दृश्यों में नए राजा को पाने के लिए 1 को पकड़कर उसकी दाई जान को माता उस मंथन से एक का लावा नाटक पुरुष पैदा हुआ जो भयभीत हो कर हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया महर्षि अग्नि ने उसे बैठ जाओ कह कर पुकारा यदि बाद में निषाद वंश की उत्पत्ति करने वाला हुआ उसी से पर्वतों पर निवास करने वाली तुषार दीवार तथा तुम्हारा दी अशुद्ध वाक्य प्रकार की जातियों के लोग पैदा हुए कार्य को सिद्ध हुआ ना देखकर रिज्यूमे अरणी मंथन की भांति तब वेन के दाएं हाथ का मंथन किया इस मंथन से अत्यंत तेजस्वी व यशस्वी एक पुरुष पैदा हुआ जो कवच पहने हुए तथा धनुषधारी था उसका नाम प्रीता वेन के पिता अंग स्वयं बहुत कुशल तथा सद्गुणी ठंडाई जान को मथने 7:00 का कालू शॉप हुआ माल निषद के रूप में उसके शरीर से बाहर निकल गए थे अतः बाहों के मंथन 7:00 के शरीर में रह गए उसके पिता अनक्यू सात्विक व श्रेष्ठ और से प्रीत पैदा हुआ सात्विक सांग से पैदा होने के कारण वे सद्गुणी हुआ राजा योग्य राजा के रूप में प्रीत को पाकर खुश हो गया प्रीत में भी राजा की कुशलता से पालन किया प्रीत जैसे सत पुत्र की उत्पत्ति के कारण 1 को स्वर्ग की प्राप्ति हुई राजा से प्रेम करने के कारण प्रीत हो राजा कहा गया तभी से प्रजा की रक्षा पालन व संचालन करने वाले शासकों को राजा कह कर पुकारा जाने लगा हे वीर जन्म जय पृथ्वी के सद्गुणों से प्रताप और महानता से उस काल में पृथ्वी बिना फल चलाएं कामना मात्र से अनुरोध देती थी गांव में कामधेनु की भांति सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती थी राजा प्रीत द्वारा किए गए ब्रह्म यज्ञ में सोमरस निकलते समय परम बुद्धिमान सूत जी तथा बुद्धिमान जी का जन्म हुआ देव विष्णु ने सुध जीवा मर्जी से पृथ्वी की स्तुति करने के लिए कहा तब सूट और मांग बोले कि प्रीति के गुण स्वभाव और माओवादी को जाने बिना व्हिस्की स्थिति कैसे कर सकते हैं तब देव अंखियों ने राजा प्रीत के द्वारा भविष्य में किए जाने वाले श्रेष्ठ कर्मों को बताया उससे प्रभावित होकर सूत जी व मगरी प्रीत की स्तुति की तभी से स्तुति कर्म करने वालों को सूत्र कहा जाने लगा पृथ्वी का दोहन हे राजन अपनी स्थिति से खुश होकर प्रीत में सूतजी को ऑन उपदेश तथा मान्य जी को आदेश प्रदान कर दिया इन महारथियों ने तब प्रसन्न होकर प्रजा से कहा कि प्रीत उसको जीविका देने वाला होगा यह सुनकर राजा जान प्रीत्से जीविका के प्रबंध का आगरा करने लगे महा प्रक्रिया में प्रीत तब प्रजा की जीविका हुआ उस के कल्याण के लिए धनुष बाण धारण कर पृथ्वी को कष्ट पहुंचाने लगे तब पृथ्वी गाय का रूप धारण कर समस्त लोगों में बिछड़ने लगे परंतु ना तो उसे कहीं शरण मिला था ना ही प्रीत के तीखे बाणों ने उनका पीछा छोड़ा अंत में वह प्रीति की ही शरण में आकर इस प्रकार बोली हे राजा तुम मेरा नाम मत करो मैं तुम्हारी इच्छा अवश्य पूर्ण करूंगा तुम्हें तुम्हारी प्रजा के लिए झूलन औषधि दूध रत्न तथा संप्रदाय आदि प्रदान करोगी किंतु है वीर उपाय द्वारा ही सब कार्यों की सिद्धि होती है अतः आप मुझे दूध दान फल देने को दूध दान कहा गया क्योंकि पृथ्वी गांव के रूप में थी इसके लिए प्रेरित करो किसी बछड़े को मेरे सामने लाओ इसके वासल से प्रेरित होकर मेरे स्तनों से दूर संप्रदाय निकालने लगेगा तब तुम मुझे समस्त समतल कर देगा जिससे वह दूध संप्रदाय सब और समान रूप से फैल जाएंगे और तुम्हारी प्रजा को समान रूप से मिल सके हे जन्म जाए तब प्रीत ने अपने धनुष के अगले भाग से पर्वत को पर नीचे कर भूमि को समतल किया ग्राम नगर खेत आदि की व्यवस्था की पृथ्वी के परामर्श पर यू आर यू मनु को बछड़ा बनाया गया तब गौरव पृथ्वी के स्तनों से दूध बहने लगी तो प्रीत न्यूज़ दूध पीना हुआ संप्रदायों का दोहन किया और पृथ्वी पर समान रूप से वितरित कर अपनी प्रजा कोचिंग का सुविधा तथा व्यवस्था व सामग्री प्रदान की तब रिसीव ने भी चंद्रमा को बछड़ा बनाकर अंगिरा पुत्र बृहस्पति द्वारा गौरव पृथ्वी का दुकान कराया और वेद रूपी पात्र अमिताभ तथा ज्ञान रूपी दूध उपलब्ध किया देवताओं ने इंद्र को बछड़ा और सूर्य को दुहने वाला बनाकर हरि स्वरूप दूध का तथा नागौर कक्षा को बढ़ावा एरावत एवं दृष्ट राष्ट्र को डूबने वाला बनाकर ब्लूटूथ का दोहन किया इस प्रकार राक्षसों ने भी माया रुपी दूध का दोहन किया मित्रों ने इस वाद यूपी दूध ही अच्छे ने अच्छा अंतर्ध्यान देते हमेशा चलने रक्त तथा पर्वतों में औषधि व रत्न आरोपित दुग्ध का दोहन किया इस प्रकार पृथ्वी की कृपा से उसकी समस्त प्रधानों ने अपनी अपनी इच्छा अनुसार पृथ्वी से फलों की प्राप्ति की प्रीत द्वारा जीवनदान देखकर अपनी पुत्री बना लेने के कारण की वसुधारा का नाम पृथ्वी पड़ा क्योंकि दोहन के बाद ही खाली संप्रदाय आदि से परिपूर्ण पृथ्वी वास्तविक रूप में सामने आई थी पृथ्वी दुहान प्रीत का सबसे बड़ा कारण था
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Rearrangement by Lord Vishnu
WhatsApp bana ji bole O Rajan, then for orderly and institutional operation in the universe, different species were made in each pulse, Preet was made the king of human beings, the moon was made the king of vegetation, constellations and seeds, and Aditya named Vishnu was made the king of 12 guests. Gaya hands the fire of the residents 49 Maru to be the abode of Prajapati Daksha of the daughters Prahlad of the fathers Suryaputra of us 11 Rudras Rakshasas mantra personality and nourishment mere works Shankar Vipra contemplation of donations Ghosts of vampires Shiva of earth Himalayas River Of the ocean, of the sky, of the wind, of the Gandharvas, of the snakes, of the Shruti, of the snakes, of the birds, of the Garuda, of the elephants, of the Airavata, of the horses, of Ujjain, of the feet, of the test, of the Peepal, of the rain cloud, of the gods, Indra Kumar Dhruva Ka Sheshnag to Apsaras and Kinnar to Kamadeva Ritu month day night half time period Sun was made king Preet's character Janam Jai made the country King Preet's pious character on request name of A king had become Amrit's daughter Sunita, proud of which he had a son named Whain. He used to call himself Yagya, even after being explained by the seven sages like Maruti etc., he did not leave his stupid vehicle, on the contrary, he started mocking them, then getting angry, holding 1 to get the new king in all the scenes. From that churning a man was born who stood with folded hands in fear. Maharishi Agni called him saying sit down. Wally Tushar wall and yours gave impure sentence type castes people born after not seeing the work proved resume Arani like churning, then churned the right hand of Ven, from this churning a very bright and famous man was born, wearing armor His name was Dhanushdhari, Preeta Ven's father, Ang himself very skilful and virtuous. churning of e jaan 7:00 ka kaalu shop hua maal nishad came out of his body so churning of arms remained in the body of 7:00 his father unku satvik and shrestha and love born from satvik song Because of being virtuous, the king was happy to have Preet as a worthy king; It is said that since then the rulers who protect and manage the subjects have been called as kings. She used to fulfill all the wishes. In the Brahma Yagya performed by King Preet, at the time of Somras, the most intelligent Sut ji and wise ji were born. God Vishnu asked Sudh Jiva to praise the earth, then Sut and Mang said that the qualities of Preeti Without knowing the nature and Maoist, how can whiskey situation? Then Dev Ankhiyon asked the king Impressed by the praise of Sut ji and Magri Preet, he told about the best deeds to be done in the future, since then those who praise the deeds came to be called sutras. And gave orders to Manya ji, then these maharathis were pleased and told the subjects that Preet would be the one who would give them a livelihood. On hearing this, the king Jan Preetse started Agra for the arrangement of livelihood. Wearing a bow and arrow, he started troubling the earth, then the earth took the form of a cow and started separating among all the people, but neither did he find shelter anywhere, nor did the sharp arrows of Preet leave him, in the end he came in the shelter of Preeti. She said, O king, do not mention my name, I will definitely fulfill your wish, you will provide Jhulan medicine, milk, gems and sect etc. for your subjects, but all tasks are accomplished only through heroic measures, so you donate milk to give me fruits. said because the earth was in the form of a village Motivate for this, bring a calf in front of me, inspired by its vassal, it will start extracting milk from my breasts, then you will make me all flat, so that milk will spread evenly and your subjects can get it equally. When born, Preet lowered the mountain with the front part of his bow, leveled the land, arranged villages, towns, fields etc. On the advice of Prithvi, URU Manu was made a calf, then milk started flowing from the breasts of Gaurav Prithvi, then Prithvi He harnessed the cults by drinking the news milk and distributed it equally on the earth and provided facilities and arrangements and material for his subjects, then Receive also made the moon a calf and made the earth proud by Angira's son Brihaspati and the characters of the Vedas, Amitabh and Gods provided milk in the form of knowledge by making Indra the calf and Surya the milker Hari Swaroop milk and Airavat the nagaur class and Drishta the nation by making Drishta the drowner and thus the demons also exploited the milk in the form of Maya.Dear friends, by giving insight that UP milk is good, milk is always good, blood is always flowing and milk impregnated with medicines and gems was harnessed in the mountains, thus by the grace of the earth, all its princes received fruits from the earth according to their wishes, giving life through love. Seeing that Vasudhara was named Prithvi because of making her his daughter, because only after exploitation, the earth full of empty sects etc. came to the fore in real form. Prithvi Duhan was the biggest reason for Preet.
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