श्री हरिवंश पुराण मारुति की उत्पत्ति

मारुतो की उत्पत्ति व नारद जी का पुनः अवतार



वैश्य पन्ना जी को मॉम होते देख राजा जन्म से बोले हे प्रभु दक्ष प्रजापति की कन्या से पैदा हुआ विभिन्न संतान का भी विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए इस पर वे शबाना ने कहा तेरा जाना पहले दक्षा प्रजापति ने देवता गंधर्व यक्ष ऋषि पशु भूत सर्प तथा पी सागर आदि की मानसिक सृष्टि की किंतु उसको पर्याप्त ना देख कर फिर कन्या पैदा कर मिथुन सृष्टि को शुरू किया इसके लिए उन्हें प्रजापति वीरान की पुत्री अश्विनी से शादी की सबसे पहले अश्विनी ने दक्ष से 5000 पुत्र पैदा किए फिर उसे सृष्टि को बढ़ाने के लिए संतान उत्पत्ति का आदेश दिया गया यह सब पुत्र हर्षद पहला है भारत के हर शख्स वर्षों से कहा की जब तक हुए लोग अपने व भूमि के विषय में पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं करते तब तक हुए भला कैसे सृष्टि कर सकते हैं क्योंकि पूर्णता से ही पूर्णता पैदा होती है अपूर्ण व्यक्ति कभी सृजन नहीं कर सकता हे भारत शिरोमणि नारद द्वारा ऐसे समझाए जाने पर हर्ष व आत्म ज्ञान प्रणाम को वह भूमि के परिणाम को जानने के लिए अलग-अलग दिशाओं में चले गए सृष्टि कर्म में चलना सृष्टि कर्म में चलना नहीं हुए तब सृष्टि को बढ़ाने के उद्देश्य से दक्ष ने एक हजार पुत्र और पैदा किए और उसको प्रजा की वृद्धि का आदेश दिया वह सभी सम क्लास वाला है किंतु नारद जी ने उनको भी उपदेश देकर राजा उत्पत्ति के कर्म से हटा दिया हताशा लक्ष्य भी अपने भाइयों की भांति आत्मज्ञान की प्राप्ति में लग गए इस तरह नारद द्वारा अपने पुत्रों को प्रजा उत्पत्ति के कार्य से हटाकर पुनः आत्मज्ञान प्राप्ति के मार्ग पर लगा दी जाए पर दक्ष को बहुत गुस्सा आया उन्होंने नारद को पुनः गर्व से रहने का श्राप दे दिया उसे नारा नष्ट हो गए आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए गए हुए हर्ष वर्ष तथा उसको ढूंढने गए साहब लोहासव उसी प्रकार वापस नहीं लौटे जिस प्रकार सागर में जाकर नदियां वापस नहीं लौटी अर्थात आत्मज्ञान प्राप्त कर लेने के कारण हुए ईश्वर में विलीन हो गए तभ से भाई को ढूंढने के लिए गए भाई भी नष्ट हो जाते हैं इस प्रकार की मान्यता प्रचलित हुई बाद में नारद जी को कश्यप मुनि ने दक्ष की कन्या के गर्भ से पुनः पैदा किया इस प्रकार महाराज जी के दो जन्म पहले ब्रह्मा के मानस पुत्र के रूप में तथा बाद में कश्यप जी के पुत्र के रूप में हुए इस प्रकार तक द्वारा नारद जी को दिया पुनः गर्व वास का विसरा पूर्ण हुआ अपने पुत्रों के नष्ट हो जाने के कारण दक्ष ने प्रजा बढ़ाने के उद्देश्य से बिरयानी से 60 कन्या पैदा की उन सांसों में अशुद्ध वायु यामिनी लंबा भानु मारुति विश्वा संध्या शंकर पन्ना तथा मुहूर्त नाम की 10 कन्याएं धर्म में विवाह की गई थी तेरा कश्यप से 18 चंद्र से चार अरिष्टि ने भी से दो ब्रह्मपुत्र से दो अंगिरा से 2:30 व से एक कामदेव और एक सिम के साथ विवाह की गई थी उसका वृतांत आगे बताया जाएगा पहले धर्म से विवाह की गई 10 दक्ष कन्याओं के वंशज का वर्णन करता हूं सुनो धर्म व चंद्रमा का वंश धर्म के विश्वासी विश्वदेव संध्या से संध्या मारुति इसे मारुति वाला वासु से वसूलने से भानु मुहूर्त से मुहूर्त आज लंबा से घोष यामिनी द्वारा नाक विधि और उम्मीद थी द्वारा पृथ्वी के समस्त विषय तथा संकल्प से सर्वथा और संकल्प नामक की संताने हुई चंद्रमा को दी गई 10 पुत्रियां सब नक्षत्र संज्ञान थी रोहिणी शैलेश भादरा में भर्ती आदि उसके नाम ज्योतिष शास्त्र में प्रसिद्ध है इनसे जो पैदा हुए थे वह आठ तेजस्वी वसु आप ध्रुव सुंदर अनिल नल पशु तथा प्रभात नाम से प्रसिद्ध है आपसे वे तू श्रम शांत हुआ मुनि 14 पुत्र उत्पन्न हुए ध्रुव के पुत्र लोगों को वंश में रखने वाले काल हुए हैं सुन की वर्षा धार के पुत्र तथा उनके नाम के पुत्र हुए एक अन्य पत्नी से धर ने बाद में सीसी प्राण तथा इस भ्रमण नामक पुत्र भी पैदा की है अनिल से मनोज वन तथा जाति नामक पुत्र पैदा हुए हे राजन अग्नि के पुत्र कुमार हुए कृतिका द्वारा पहले जाने के कारण कुमार का एक नाम कार्तिकेय भी हुआ साल विशाल तथा निर्मल कुमार के छोटे भाई थे इस कांड वसंतकुमार को भी अपनी ने अपने थी उनसे पैदा किया राजू नामक वासु के नाक सृष्टि नामक पुत्र तथा वर्ल्ड नामक कन्या पैदा हुए देओल के क्षमाशील तथा तपस्वी दो पुत्र हुए देव गुरु बृहस्पति की बहन ब्रह्मचारिणी योगिता प्रभास नामक 8 वर्षों से बात हुई थी उन्हें प्रभात से प्रजापति विश्वकर्मा उत्पन्न किया हे विश्वकर्मा अन्य कलाओं के प्रयोग अनेक आभूषणों तथा अस्त्र शास्त्र का निर्माण करने वाले देव तीर्थ हुए देवताओं के विमान की रचना भी नहीं द्वारा हुई थी वास्तु कला तथा शिल्प कला पर विश्वकर्मा का विशेष अधिकार वह इस प्रकार यह आठ वासियों का वंश संक्षेप में अपने आप से कहा तथा धर्म और चंद्रमा को व्याख्या दक्ष पुत्रियों के आंसुओं को भी कहा आप कश्यप का विवाह की 13 नक्शा पुत्रियों के वंश का वर्णन भी सुनो कश्यप ऋषि का वंश दक्ष प्रजापति के 13 पुत्र या सुरभि आदिति आदिति दानों स्टिक सुरसा यशा विनीता ग्राम्स एवं पुत्र तथा क्रोध व शादी कश्यप से विवाहित थी सुरभि ने तपस्या द्वारा शंकर जी को खुश किया उसकी कृपा से उसे कश्यप द्वारा 11 हो रुद्र पैदा हुए जो आज जनक वादा कर हुई त्वचा रुद्र हर बहू रूप त्रांबक अपराजित कृपा करें शंभू तथा कदापि नाम से जाने गए त्वष्टा के पुत्र महा प्रतापी विश्वरूप हुए सेराजेम पुराणों ने रूद्र ओं की संख्या 100 मानी है जिससे यह सारा जगत व्याप्त है उसे वृक्ष व्यवस्था सर्प और काल पति से यह तीन भालू के रुद्र कह लाए हैं किंतु सुरभि के गर्भ से उत्पन्न 11 रूद्र विशेष प्रसिद्ध माने गए हैं आप कश्यप की अन्य पत्नियों की वंश का भी वर्णन करता हूं वैसे बना जी ने आगे बोले आदिति के 12 पुत्र हुए हैं जो आदित्य कहे जाए यह 12 सूर्य ही इससे पूर्व के चक्षु मानव अंतरण में दूषित नाम 12 देवता थे जो इस रिश्वत मानव अंतरण में लोक कल्याण के लिए पारा आदित्य के रूप में पैदा हुए इनके नाम क्रमशः विष्णु इंद्रा आया स्मार्ट विधाता थ्री स्टार पूछा विश्वामित्र सविता वरुण अंश तथा भांग है कश्यप की विशेष पत्नी पथरिया में दीप्ती से दैत्य ग्रुप से सर्व विनता से गरुड़ एवं अन्य पक्षी दानों से दानव आदि पुत्र उत्पन्न हुए इसके विषय में आगे विस्तार से बताऊंगा अब दक्ष की अन्य पुत्रियों की संताने के विषय में भी बताता हूं सोनू प्रजापति वशिष्ठ ने भी को ब्याह किए दक्ष की चार पुत्रों से विद्युत के समान तेजस्वी 16 पुत्र हुए तृषा को विवाह के सम्मानित प्रिया 10 गिरी सिया तथा देव वरण नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए तुम्हें बता दूं कि प्रत्येक कल्प विद जाने पर पहले युग में 33 देवता काम जा हुआ मैं तूने सृष्टि से पैदा होते हैं ऐसा वेदों में कहा गया है हे राजन कश्यप ऋषि की पत्नियां दीप्ती से हुए अतिथियों के नाम हिरण कश्यप तथा हिरण्याक्ष थे उनकी एक बहन भी थी जिसका नाम सीखा था वह विपरित से विवाह की गई थी सी है नाम उसका पुत्र हुआ था सही के के असंख्य पुत्र पुत्र हुए हैं आप प्रभु प्रमुख देते हिरण कश्यप के विषय में बताता हूं अनु हाथ हाथ पहलाद और संघवाद नामक चार पुत्र हिरण कश्यप के हुए थे हाथ से हाथ सलाह से सुन तन तथा निश्चित से अनुवाद से आयु व शिव तथा पहलाद से विरोचन नामक के पुत्र हुए यह पहलाद पुराणों में वर्णित नहीं महा भक्त थे जिसकी रक्षा के लिए भगवान ने स्वयं निर सिंगर अवतार लिया थ पहला पुत्र विरोचन सैफ अली नामक महादानी पुत्र हुए हैं जिसके वामन अवतार से तीन पग भूमि दान मांगी थी बलि के बार दृष्ट राष्ट्र इंद्रपाल उम्र 8 गज पक्ष तथा उसी आदि 100 पुत्र हुए इसमें बाढ़ महा बलवान और शिव भक्त था इसकी बाणासुर से तपस्या द्वारा शंकर को प्रसन्न करके उन्हें अपने नगर का रक्षक बनाया था रोहित नामक स्त्री से वाराणसी का इंद्र दमन नामक पुत्र हुआ जिससे लाखों की संख्या में असुरों को पैदा किया द्वितीय के दूसरे पुत्र हिरण्याक्ष के महा विद्वान 5 पुत्र हुए जो गाल नवा नवा नवा भूत संतान शकुनी व झज्जर के नाम से जाने गए अब धनु नामक दक्ष पुत्री से कश्यप ने जो दानव पैदा किए उसके विषय में करता है उसे महाबली महा प्राथमिक तथा तपस्वी सैकड़ों पुत्र पैदा की दुर्दशा गुण एवं संपूर्ण संपूर्ण विराट गांव स्थित आयो मुख्य सांभर कपिल वामन मरीचि और आज विक्षोभ और केतु केतु मेरी आवाज रन आप महाबहू महाबल तारा वैसे अनार पुलामी महाशुर चुनावी वर्ष वर्षा केसी पुनीत मंत्र चंद्र असीम प्राधिकृत हाई ग्रीप साबरा तथा बी प्राचीनता दी उनमें प्रमुख हैं इन सब के पुत्र पुत्रियों की गिनती करना अत्यंत कठिन है यह सभी दाना कहलाए दानों के वंशज में बहुत से फूलों मां कालिका उपदान वी आई सी राष्ट्रभाषा थी जो बाद में इंद्र की पत्नी हुई पूर्णिमा की पुत्री है आदि प्रमुख कन्या तथा पलो काली के ना हो प्रिय पूर्व दुष्यंत महाबली विकट आदि प्रमुख पुरुष हुए बाद में देती हूं और दानों के संपर्क से अनेक प्राकृतिक मां भट्ट पैदा हुए हैं जिसमें वर्ष चाल्यो बात अभी ना भुला ना सको तथा बज रहा भी आधी तेरा प्रमुख है राहु भी इन्हीं में एक है जो हमेशा सूर्य को कष्ट देने वाला है यह राजन इसी दानों के वंश में ताड़का मारी की बलि दूर मनी आदि भी हुए दूर मनीषा पुत्रियों काकी सैनी भारती चौधरी सुनीता के बाद ब्रह्मसरोवर उल्लू बाज गीत आदि अशोक पक्षी तथा उठ गधे अति पशु एवं मगर महादशा वेल आदि जलचर पैदा हुए इस प्रकार एदक्ष पुत्रियां नानू की संतानों की व्याख्या थी जो दाना कहलाए हैं हे राजन ऐसा जैसा कि मैंने बताया था विनता नामक दक्ष पुत्री ने अरुण वरुणादि पक्षियों को सुरक्षा ने अनेक शीर्वाले पुत्रों को तथा पुत्र ने सर पर को पैदा किया था खुद से उत्पन्न होने वाले सर पर में से प्रधान के नाम भी बताया हूं शेषनाग वसूली तक महा पद संघ का कंबल अतरैला पत्र करकट धनंजय महानीम दो मुख्य संपादक तथा पोस्ट दुष्ट आदि उसमें प्रमुख है पुत्री ए राशि वृक्ष लता तिवारी आदि शार्क नामक पुत्री से यक्ष राक्षस हो आप जरा आदि अरिष्ठा नामक दक्ष पुत्री के गंधर्व किन्नर आदि अथवा सुरभि के बाद में गया भैंस आदि पशुओं को पैदा किए दक्ष पुत्री सुरभि ने आरंभ में 11 रूद्र भी उत्पन्न किए थे इसलिए रूद्र को पशुपति भी कहा जाता है हे राजन के इस तेवर जन्म जीव सब कश्यप की संताने हैं आगे इन की संताने लाखों-करोड़ों में है उसका वर्णन तो बहुत कठिन हुआ असंभव ही है वैसे 15 जी ने आगे बताया एक भारत श्रेष्ठ बाद में डालो और देवताओं में झगड़ा हो गया आदित्य देवताओं के पक्ष में और दैत्य दानों के पक्ष में हो गए किंतु दित्य आदित्य से पराजित तथा नष्ट होने लगे अपने पुत्रों का विनाश होते देखती ने सेवा द्वार पर अपने पति कश्यप को बहुत खुश किया और उसने इंद्र के बाद में सामर्थ एक पुत्र की मांग की कश्यप जी ने कहा कि यदि वह सुपुत्र तक पवित्रता पूर्वक गर्भधारण की रहेगी तभी उसे एक ऐसा प्राथमिक पुत्र प्राप्त होगा द्वितीय ने इस शर्त को स्वीकार कर गर्भ धारण कर लिया तथा पवित्रता पूर्वक कर आने लगी कश्यप जी की तपस्या के बाद पर्वत पर चले गए हे राजन इंद्र सहित सभी देवता यहां सब जानकर बहुत ही चिंतित हो गए और द्वितीय के दोष ढूंढने के प्रयास करने लगे 100 वर्ष पूर्ण होने से पूर्व ही दुती ने पवित्रता की शर्त भांग हो गई वह बिना पैर धोए ही सोने चली गई इंद्र तो दाग में ही था दोस्त पाते ही वह सुषमा रुप धारणकर दुती के गर्भ में प्रविष्ट हो गया और ब्रज के द्वारा गर्व के साथ खंड कर लिए इसे खंडित हो कर रोते हुए गर्व हो इंद्र ने मत रो आप ऐसा कह कर पुकारा किंतु हुए सात खंड 7 घरों में तब्दील हो गए तब इंद्र ने प्रत्येक के साथ-साथ टुकड़े कर दिए इस प्रकार वे 7 * 749 हो गए यही बाद में 49 मारुत कहलाए क्योंकि इंद्र ने उसे मारुत के नाम से पुकारा था यह सभी मारुति इंद्र के सहायक हुए अब यह कश्यप वंश का वृतांत संपूर्ण हुआ

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Origin of Maruto and re-incarnation of Narada

Seeing Vaishya Panna ji becoming a mother, the king said from birth, O Lord, describe in detail the different children born from the daughter of Daksha Prajapati, on this, Shabana said, "You have to go." Adi's mental creation but not seeing enough of her, then started Mithun creation by giving birth to a girl child, for this he married Ashwini, the daughter of Prajapati Viran, first Ashwini gave birth to 5000 sons from Daksh, then gave birth to children to increase the creation. All this son Harshad is the first to be ordered to tell every person of India for years that until the people do not get complete knowledge about themselves and the land, then how can they create, because perfection is born from perfection. An imperfect person can never create. On being explained like this by Bharat Shiromani Narad, he went to different directions to know the result of land. With the aim of increasing, Daksha had one thousand sons. He created more people and ordered him to increase the people, he is of equal class, but Narad ji removed him from the work of king origin by preaching, the desperation Lakshya also engaged in the attainment of self-knowledge like his brothers. The sons should be removed from the task of creating subjects and put back on the path of enlightenment, but Daksha got very angry. He cursed Narad to live with pride again. Saheb Lohasav who went to search did not return in the same way as the rivers did not return after going to the ocean, that is, because of attaining enlightenment, they merged with God, since then the brothers who went to find their brother also perish. This type of belief prevails. Later on Narad ji was born again from the womb of Daksha's daughter by Kashyap ji. In this way Maharaj ji had two births first as Brahma's Manas son and later as Kashyap ji's son. Gave again the pride of his son's viscera Due to destruction, Daksha gave birth to 60 girls from Biryani with the aim of increasing the population. In those breaths, 10 girls named impure air, Yamini, Lamba Bhanu, Maruti, Vishwa, Sandhya, Shankar, Panna and Muhurta were married to Kashyap in 18 moons. Four Arishti also married two from Brahmaputra, two from Angira 2:30 and one from Kamadeva and one Sim were married, the story of which will be told later, I describe the descendants of 10 Daksha girls who were married to the first Dharma, listen Dharma and Believer of Moon's lineage religion Vishwadev Sandhya from Sandhya Maruti by recovering it from Maruti Wala Vasu Muhurt from Bhanu Muhurt Aaj Lamba Se Ghosh Yamini Nak Vidhi and hope The Moon had children named Sarvatha and Sankalp from all the subjects of the earth and Sankalp. The given 10 daughters were all Nakshatra cognizance Rohini Shailesh was admitted in Bhadra etc. Her names are famous in astrology. The eight Tejaswi Vasu who were born from them are famous by the name of Dhruv Sundar Anil Nal Pashu and Prabhat. sons were born to the sons of Dhruv There have been times in the lineage that Varsha was the son of Dhar and he had a son named Rajan from another wife. Kumar was the son of Agni, because of being preceded by Kritika, Kumar was also named Kartikeya. Sal Vishal and Nirmal were the younger brothers of Kumar. Vasantkumar was also her own. Deol, who was born a girl, had two sons who were forgiving and ascetic. Brahmacharini Yogita Prabhas, the sister of Dev Guru Brihaspati, had been talked to for 8 years. Vishwakarma's special authority on architecture and craftsmanship was not even created by the creation of the deities. of married 13 Listen to the description of the daughter's lineage also listen to the lineage of Kashyap Rishi Daksha Prajapati's 13 sons or Surabhi Aditi Aditi Danon Stick Sursa Yasha Vinita Grams and son and anger and marriage Surabhi was married to Kashyap by penance Surbhi pleased Shankar ji by her grace 11 ho Rudras were born by Kashyap who today Janak promised skin Rudra Har Bahu form Trambak undefeated please bless Shambhu and Tvashta's son known as Maha Pratapi Vishwaroop Serajem Puranas have considered the number of Rudras to be 100, from which this whole world It is occupied by tree system snakes and Kaal husband these three bears are called Rudras but 11 Rudras born from Surabhi's womb are considered special famous. You also describe the lineage of Kashyap's other wives. 12 sons have been born who can be called Aditya. These 12 suns are the 12 gods who were born in the form of Para Aditya for the welfare of the people.Dhaata three stars asked Vishwamitra Savita Varuna Ansh and hemp Kashyapa's special wife Pathariya, Deepti from the demon group, Garuda from Sarva Vinata and demons etc. sons were born from other bird donations, I will tell further in detail about this now the children of other daughters of Daksha. Let me also tell about Sonu Prajapati Vashishtha also married Daksha's four daughters as bright as electricity 16 sons were born to Trisha, the beloved of marriage 10 two sons named Giri Siya and Dev Varan were born Let me tell you that every Kalpa Vid In the first era, 33 deities were born in the first era. She was married to Viparit, her name was her son, she had innumerable sons; From sun tan and sure translation from age and Shiva and Pahlad had a son named Virochan. This Pahlad was not mentioned in the Puranas. He was a great devotee, for whose protection God himself had incarnated as a singer. At the time of sacrifice, Rashtra Indrapal, age 8 yards and the same etc., had 100 sons. In this flood was very strong and a devotee of Shiva. He pleased Shankar by doing penance with Banasura and made him the protector of his city. Son named Indra Daman of Varanasi from a woman named Rohit. Due to which lakhs of Asuras were born, the second son of Hiranyaksha had 5 great scholars, who were known as Gaal Nava, Nava Nava, ghost children, Shakuni and Jhajjar. Mahabali maha priyanka and ascetic born hundreds of sons in plight qualities and the entire Virat village is situated in main Sambhar Kapil Vaman Marichi and today disturbance and Ketu Ketu my voice run you great daughter-in-law Mahabal Tara like Pomegranate Pulami Mahashur election year rain what kind of holy mantra Chand And infinitely authorized high grep Sabra and B ancient di are prominent among them, it is very difficult to count the sons and daughters of all of them called Dana. Purnima is the daughter of Aadi chief Kanya and palo Kali ke na ho ho dear former Dushyant Mahabali Vikat etc. chief men later give birth and many natural mother bhatts have been born from the contact of donations in which year chalyo baat can not be forgotten yet and is ringing Rahu is also half of your head, Rahu is also one of them, who is always going to trouble the sun, this Rajan, in the lineage of these donations, Tadka Mari's sacrifice, money etc. also went away Manisha's daughters, aunt Saini Bharti Chaudhary, Sunita, after Brahmasarovar owl eagle song etc. Ashoka the bird and donkeys were born as animals and crocodiles, Mahadasha Vel etc. aquatic. sons and sons I have also told the names of the heads of the self-born heads, till the Sheshnag recovery, the Mahapad Sangh's blanket Ataraila letter, Karkat Dhananjay Mahaneem, two chief editors and the post wicked, etc., the daughter of the Zodiac tree, Lata Tiwari, is the main one. You are a Yaksha Rakshasa from a daughter named Adi Shark, Aadi Adi Arishtha, a Gandharva eunuch of a Daksh daughter named Adi or after Surabhi, Gaya gave birth to animals like buffaloes. This attitude of Rajan, all living beings born in Kashyap are children of Kashyap, further their children are in lakhs and crores, it is very difficult to describe it, it is impossible, by the way, 15 ji further said that one Bharat Shreshtha, put it later and there was a fight between the gods, Aditya. On the side of the deities and the demons on the side of the Danaans, but the Dityas were defeated and destroyed by Aditya. Seeing the destruction of her sons, she pleased her husband Kashyap at the service gate, and after Indra, she demanded a son with strength. Kashyap ji said that if she were to conceive a son chastely Only then she will get such a primary son. The second, accepting this condition, conceived and started doing it with purity. After the penance of Kashyap ji, he went to the mountain. And started trying to find the faults of the second. Even before the completion of 100 years, Duti violated the condition of purity, she went to sleep without washing her feet. It was done and Braj divided it with pride. In this way they became 7 * 749. Later they were called 49 Maruts because Indra called them by the name of Marut. All these Marutis became assistants of Indra.

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