शुभा या अंबु मनु का वंश
बेसिक पनाह जी बोले अयोध्या नी जा सृष्टि के पश्चात आप वहां नामक प्रजापति ने शतरूपा नामक स्त्री को पत्नी के रूप में प्राप्त किया आप को आप की महिमा से शतरूपा कई रूप धारण करने वाली हुई इसलिए उसका नाम शतरूपा अर्थात स्वरूप वाला पड़ा उस शतरूपा ने 1000 वर्ष तक घोर तप किया तब संतान उत्पत्ति की इच्छा से वह अपने पति के पास वापस लौटी वैराग्य नामक का उसका वीर जवान पति ही यीश भाऊ मनु कहलाया उसके 71 युग के काल को मानो अंतरण कहा जाता है वह राज मनु और सतरूपा से वीर नामक पुत्र उत्पन्न हुआ वीर ने कायम नामक पुत्री को पैदा किया कायम के दो पुत्र प्रियव्रत तथा उत्तानपाद हुए प्रजापति कर्म के भी काम या नामक पुत्री थी उसके चार पुत्र सम्राट विराट कुक्षी व प्रभु हुए हैं जो प्रियव्रत के सत्संग से उत्पन्न हुए थे उत्पाद को प्रजापति अत्री के पुत्र रूप से ग्रहण किया तदुपरांत उपरांत बाद से सुनता नामक स्त्री से ध्रुव प्रतिमान शिव और आवेश ना के चार पुत्र उत्पन्न किए या सुनीता धर्म की कन्या थी जो अश्वमेध यज्ञ से पैदा हुई थी आगे चलकर ध्रुव ने तीन हजार देव वर्ष तक भगवान विष्णु का तब कर परम पद को प्राप्त किया था जो कि उपमा से रहित और अचल है हे राजन इस ध्रुव के तब की महानता और प्राप्त हुई ईश्वर से प्रभावित होकर दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने भी ध्रुवा की प्रशंसा की थी कालांतर में ध्रुव ने शंभू नामक स्त्री से भव्य एवं शील लिस्ट नामक दो पुत्र पैदा किया सिल्ट ईस्ट ने शोभा नामक स्त्री से रिपु पूर्व रितेश नामक 5 पुत्र पैदा किए रिपु ने बाती नामक स्त्री से तेजस्वी चारों नामक पुत्र को पैदा किया मां ने की पुत्र पुष्कर्णी से जो भावों ने मानव को पैदा किया मनु ने प्रजापति हरण की पुत्री नाडोल से पूर्व पूर्व शत्रुघ्न तपस्वी सत्यवान कभी अग्नि दूसरा अति रात शुरू तथा धीमन नामक 10 पुत्र पैदा किया अग्नि सुता महा प्रभात द्वारा पूर्व से आम सुमन ना खा लेती कृत अंगिरा तथा गाय नामक 6 पुत्र और अंग से सुनीता 7 नामक का एक ही पुत्र पैदा किया यार इन देशद्रोही हुआ रेशों द्वारा वेंकी दाई भुजा का मंथन करने से प्रीत उत्पन्न हुए 1 पुत्र प्रीत ने जन्म पर ऋषि यों ने भविष्यवाणी की थी कि प्रीत उत्तम प्रजा बालक यशस्वी तेजस्वी और महा प्राथमिक राजा होगा तथा प्रजा उसकी शासन में अंततः प्रसन्न और संतुष्ट अनुभव करेंगे पृथ्वीराज वैश्य पन्ना जी ने आगे कहा हे श्रेष्ठ भारतवंशी राज सूर्य यज्ञ द्वारा अभिव्यक्त होने वाले राजाओं विपरीत पहला था प्रीत द्वारा किए यज्ञ की अग्नि से सूत हुआ मानव जाति पैदा हुए प्रजा के कल्याण हेतु उन्हें राजा प्रीत ने देवताओं दानव ऋषि पितरों गंधर्व अप्सरा वपु वृक्षों लताओं तथा पर्वत नदी के साथ मिलकर भूमि का दोहन किया इस प्रकार दोहे जाने पर भूमि ने उनको अन देने आदि औषधि तथा खनिज संप्रदाय रूपी पदार्थ दूध रूप में प्रदान किए बाद में प्रतीत के अंतर वित्त थाउबल इतना मां के 2 पुत्र पैदा हुए अंतरित से शिखंडी नामक स्त्री से विवाह कर विधान नामक पुत्र उत्पन्न किए अविधान ने अग्नि की पुत्री दृष्टा द्वारा प्राचीन वही शुक्ला कृष्णराज गए तथा अजीम नामक 6 पुत्र उत्पन्न की प्राचीन भाई अपने पिता से भी महान हुए उन्होंने प्रजा की हर प्रकार से वृद्धि की उन्ही के शासन में उसी को पूर्व की ओर अग्रवा करके रखे जाने की परंपरा का आरंभ हुआ प्राचीन वही ने तपस्या करने के बाद समुद्र की पुत्री श्रवण धारा से विवाह किया सर्व धारा से 10 पुत्र पैदा हुए गुणों व रूपों में समान होने के कारण हुए सभी एक ही नाम के हुए धनुष विद्या में निपुण हुए सभी प्रचेता कहलाए अपराजिता गांव अपराजिता गणों ने सागर के अंदर ही करा कर 10000 वर्ष तक तपस्या की वैश्य पन्ना जी ने आगे कहा हे राजन विजेताओं की तपस्या में लीन हो जाने से प्रीति राजा विहीन हो गया पर जाऊंगा रक्षक ना होने से संपूर्ण पृथ्वी को वृक्षों में इस प्रकार ढक लिया कि प्रजा नष्ट होने लगे आकाश और पृथ्वी का संपर्क वृक्षों से गिर जाने के कारण टूट गया ना तो पृथ्वी पर तब हवा ही चला पाती थी ना प्रकाश हुआ उसमें ही आती थी अतः प्रजा का नाश होने लगा 10000 वर्ष तक पृथ्वी अंधेरे में रहे जब प्रस्तावों को या अज्ञात हुआ तो वे तपस्या छोड़कर सागर से बाहर आ गए और क्रोधित होकर अपने मुंह द्वारा छोड़ी अग्नि तथा वायु द्वारा वृक्षों को सुख कर जलने लगी इस प्रकार जब बहुत कम वृक्ष रह गए तब वृक्षों व वनस्पतियों के राजा सॉन्ग की प्रार्थना पर वे शांत हुए तब सुनने वृक्षों की कन्या मारिशा से प्रस्तावों का विवाह किया उनके तेजस तथा प्रथाओं के तेजस से संयुक्त मारिस चंद्र वर्ष को बढ़ाने वाली हुई मालवीय का जन्म विष्णु पुराण में मारिया के जन्म की बहुत ही सुंदर कथा मिलती है पाठकों के लाभार्थी उसे संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं कांडू में ऋषि की तपस्या से आनंद की ठोकर इंद्र से प्रॉब्लम चना नामक अप्सरा को तब भांग के लिए भेजा था प्रारंभ लोचा की हंसी तथा कर्म विशेष रूप से सुंदर उत्तेजक तथा काम दुख मानी गई है तनु ऋषि उसके रूप जाल में फस गए 1000 वर्ष तक उन्होंने प्रणब लोचा के साथ बिहार किया पर लोचा के साथ उठाए सुख के प्रभाव में हुए कालावधी भूल गए 1000 वर्ष में 1 दिन के समान मालूम हुए अतः एक सायं को वे संध्या वंदना के लिए जाने लगे तब प्रभु लोचा ने उपहास करते हुए कहा कि उन्हें 1000 वर्ष के बाद संध्या करने की याद आई है इस पर कुंडू ऋषि को हैरानी हुई वह बोले कि अभी तो 1 दिन ही पीता हुआ है इस पर प्रोचा हंसने लगे और कहा कि दुख में व्यक्ति को समय देर में बीत मालूम होता है किंतु सुख में मानव पंख लगाकर समय उड़ जाता है वास्तव में कंडू कृषि 1000 वर्ष तक परम लोचा के साथ हर रामायण करते रहे हैं तब कंडू कृषि को बहुत गुस्सा आया गलती उसकी भी थी अतः कंदूक ने परम लोचा को श्राप नहीं दिया किंतु तुरंत आश्रम को छोड़ने का आदेश दिया परम लोचा शराब के भय से पसीना पसीना होती हुई जब आकाश मार्ग से गई तो उसका गर्व पसीने की बूंदों के रूप में वृक्ष के पत्तों पर गिर गया तब वायु ने उन सभी गुणों को एक ही स्थान पर इकट्ठा किया तब सामने अपने अमृत माई किरणों से उस गर्व का पोषण किया बाद में वह वृक्ष की पुत्री मारी सा कहलाई अप्सरा के नाम से वह बहुत ही सुंदर कोई गांडू कृषि सोम तथा पवन के तेज अंश से वह भविष्य में चंद्रवंश को बढ़ाने वाली हुई बाद में अपने बाप की शांति के लिए कंडू कृषि ने पाप प्रश्न समर्थ स्रोत या ब्रह्म आपात स्थिति की रचना की दक्षा प्रजापति है राजन ने मारी सा के गर्भ से दक्ष प्रजापति को पैदा किया दक्ष प्रजापति ने चंद्रवंश की वृद्धि करने वाले अनेक पुत्रों को दो बार चार पैरों वाले प्राणियों को अनेक जीवो को तथा अनेक कन्याओं को पैदा किया इन कन्याओं में से 10 धर्म के साथ 13 कश्यप के साथ 18 चंद्रमा के साथ एक कामदेव तथा एक शिव जी के साथ विवाह की कन्याओं से देवता दानव दैत्य असुर नाग गंधर्व पक्षी गांव पशु आदि अनेक प्रकार की संतान पैदा हुई और तभी से मिथुन निक दृष्टि सृष्टि का आरंभ हुआ इससे पूर्व की सृष्टि मन द्वारा संकल्प द्वारा देखने अथवा छूने के द्वारा ही हुई थी इतना कहने के पश्चात वैश्य बना जी मौन हो गई
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Shubha or Anbu Manu's Lineage
Basic Panah ji said, after the creation of Ayodhya, after the creation, there you named Prajapati got a woman named Shatrupa as his wife. Because of your glory, Shatrupa assumed many forms; She did intense penance for a year, then she returned to her husband with the desire to have a child. Veer was born and gave birth to a daughter named Kayam. Kayam had two sons, Priyavrata and Prajapati Karma, who became Uttanapad, also had a daughter named Kamya. He had four sons, Emperor Virat, Kukshi and Prabhu, who were born from Priyavrat's satsang. Adopted in the form of a son, after that, from a woman named Sunta, Dhruv Pratimaan Shiva and Aavesh Na produced four sons or Sunita was the daughter of Dharma who was born from Ashwamedha Yagya. had attained the supreme position which is Fearless and immovable, O King, this Dhruv's greatness at that time and being impressed by God, the demon guru Shukracharya also praised Dhruva. Later, Dhruv begot two sons named Bhavya and Sheel List from a woman named Shambhu. From a woman named Shobha, Ripu gave birth to 5 sons named Ritesh. Ripu gave birth to a son named Tejaswi Charon from a woman named Baati. Mother gave birth to a son named Pushkarni, who gave birth to human beings. Satyawan ever started Agni second late night and gave birth to 10 sons named Dhiman, Agni Suta did not eat mangoes from the east by Maha Prabhat, Krut Angira and 6 sons named Cow and gave birth to only one son named Sunita 7 from Anga. Prithviraj Vaishya Panna ji Prithviraj Vaishya Panna ji Prithviraj Vaishya Panna ji said further The best Bharatvanshi king Surya was the first unlike the kings to be expressed by the yajna, the mankind born from the fire of the yagya performed by Preet, for the welfare of the subjects, King Preet united them with the gods, demons, sages, ancestors, Gandharva, Apsara, Vapu, trees, vines and mountain river. The land was harnessed in this way, the land provided them with medicines and minerals in the form of milk. Vidhan begot sons by Drishta, the daughter of Agni, the ancient same Shukla went to Krishnaraj and gave birth to 6 sons named Azim. The ancient brother became greater than his father. The tradition of Jaana started. He, after doing penance, married Shravan Dhara, the daughter of the ocean. Ten sons were born to Sarv Dhara, all of whom were of the same name, all of whom were skilled in archery. be called Aparajita Village Aparajita Ganas performed penance for 10000 years inside the ocean. Vaishya Panna ji further said, O King, due to being engrossed in the penance of conquerors, the king has become devoid of love, but due to not having a protector, he will turn the whole earth into trees like this. Covered that the people started getting destroyed, the contact between the sky and the earth was broken due to the fall of the trees, then neither the wind could blow on the earth nor the light used to come in it only, so the people started getting destroyed. The earth remained in darkness for 10000 years. When the proposals became unknown, he came out of the ocean leaving penance and getting angry started burning the trees by drying them with the fire and air released from his mouth. When he calmed down, he married Marisha, the daughter of Sun trees, married to the proposals of Marisha, combined with her tejas and the tejas of practices, the birth of Malaviya, the one who prolongs the lunar year. In the Vishnu Purana, a very beautiful story of the birth of Mariya is found. Presenting scandals Rishi's austerity in Anand's stumbling block Indra's problem Chana's Apsara was sent for cannabis then Locha's laughter and actions are considered especially beautiful, stimulating and work is considered sad, Tanu Rishi got trapped in her form trap for 1000 years He went to Bihar with Pranab Locha but under the influence of the pleasure he had with Locha, he forgot the period, which seemed like 1 day in 1000 years, so one evening he started going for evening worship, then Prabhu Locha mockingly said that he After 1000 years, Kundu Rishi was surprised to remember to have evening. Time flies by wearing human wings, in fact Kandu Krishi has been doing every Ramayana with Param Locha for 1000 years, then Kandu Krishi got very angry, it was his fault too, so Kanduk did not curse Param Locha but immediately ordered to leave the ashram Diya Param Locha sweating profusely due to the fear of alcohol, when she went through the sky, her pride became a drop of sweat.When it fell on the leaves of the tree in the form of two, then Vayu gathered all those qualities in one place, then nourished that pride in front of him with his rays of nectar, later she was called the daughter of the tree, Mari Sa, by the name of Apsara. Very beautiful, a female earthworm, with the bright part of Som and Pawan, she became the one who will increase the Chandravansh in the future. Later, for the peace of her father, Kandu Krishi created sin, question, able source or Brahma emergency. Daksha Prajapati gave birth to Daksha Prajapati from the womb. Daksha Prajapati gave birth to many sons, twice as many four-legged creatures, many creatures and many girls, who increased the lunar dynasty. Out of these girls, 10 with Dharma, 13 with Kashyap, 18 with Moon. Many types of children were born from the daughters of marriage with one Kamdev and one Shiva ji, gods, demons, demons, Asuras, snakes, Gandharvas, birds, villages, animals, etc. and from then onwards the creation of Mithun's vision began. Vaishya became silent after saying that it was done by
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