नवा व्रत के नियम
देसी मंच ने कहा है अब मैं आपको उन नियमों के बारे में बताता हूं जिसका इस अनुष्ठान के संपूर्ण होने तक का वक्त आता था श्रोता दोनों को ही सही प्रकार से पालन करना चाहिए घबराता पूर्वक सुने व्रत संपूर्ण होने तक ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए भूमि पर शयन करना चाहिए तथा दिन में एक ही बार भोजन करें भोजन थोड़ा किंतु पोस्टिंग हो जैसे दूध खीर आदि से मल मूत्र त्याग नियम पूर्वक होता पेट में वायु विकार ना होना श्रवण के समय मल मूत्र अर्ध आयु में रुकावट डाल सकते हैं यदि क्षमता हो तो नवग्रह दिन का अथवा क्षमता अनुसार उपवास करते हुए श्रवण अत्यधिक लाभकारी होता है भाषा वार्तालाप आदि को श्रवण के समय कभी ना करें एकाग्र चित्त होकर कथा का श्रवण करें ए राजा साहब राधे-राधे गिरी फिर से पचने वाल पदार्थ तामसिक खाद्य पदार्थ जैसे लहसुन प्याज जला हुआ मूली आदि का सेवन भी उस समय में त्याग देना चाहिए मांस मछली अंडा आदि सभी अखाद्य पदार्थ अगर शराब तंबाकू परमिशन तो उस संपूर्ण होता हुआ अर्जित ही रखना चाहिए काम क्रोध मद में एशिया लोक तथा हम कारण निंदा छल कपट और सत्य अहिंसा दवाल चलता हुआ उस अंग आदि समस्त दुर्गुणों का उस अवधि में त्याग कर लेना चाहिए सोया मोर्चा ने आसन पर बैठकर चारपाई आदि पर बैठकर अथवा वक्ता और भगवान को नमस्कार किए बिना ही पुराण कथा सुनने वाले क्रमशाह अगले जन्म में कौन मूवीचविक्स होते हैं तथा कथा सुनते समय जिन्हें नींद आ जाती है अगले जन्म में अजगर होते हैं यह सभी नर्क की भागीदारी कहलाएंगे आता है इस विषय में सदैव सतर्क रहना चाहिए कथा श्रवण करते समय वाद-विवाद करने वाले अगले जन्म में गधे तथा को कोना सुनने वाले सुपर बाधा डालने वाले हत्या के पाप की भागीदारी तथा वक्ता की यात्रा करने वाले अगले जन्म में शूद्र का होता होता है व्रत संपूर्ण होने तक पत्तल में भोजन करना तथा निरंतर भगवान विष्णु के ही चरण कमलो का कृपा कर चिंतन करते रहना चाहिए वह नव व्रत के नियम है हे राजा में यदि कथा का श्रवण निष्काम भाव से ना किया गया हो किसी कामना की पूर्ति के उद्देश्य से यह गया हो तो प्राप्त हुआ कथा संपन्न के पश्चात उद्यमी अवश्य करना चाहिए अंत में पुराण का वक्ता की पूजा करने वाले को प्रसाद आदि ने ब्राह्मणों वयस्कों को दान दक्षिणा देखा था यादव रेशमी प्रथम ऊनी वस्त्र देना चाहिए तथा दक्षिणा आदि से भली-भांति संतुष्ट करना चाहिए क्योंकि कथावाचक की क्षमता से देवता भी खुश हो जाते हैं बुद्धिमान की समाप्ति पर गायत्री मंत्र के साथ हवन करें था विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें जिससे यदि किसी प्रकार की कोई भी कमी पुरातत्व यज्ञ में पूर्व में भूल से भी हो से भी हो गई हो तो उसका निराकरण हो सके बाद में 24 ब्राह्मणों की पत्नियां समय भोजन करना तथा दक्षिणा आदि से संतुष्ट करना चाहिए क्योंकि जल को पितरों का देश कहा जाता है किंतु आग वाला को देवताओं का कहा जाता है ब्राह्मण या आप को दिया गया पदार्थ देवताओं को प्राप्त होता है जाल में छोड़ा गया पदार्थ मित्रों को प्राप्त होता है ऐसे शास्त्रों में कहा गया है कि राजन महाराज परीक्षित ने भी व्यास द्वारा इस पुराण के श्रवण से पुत्र की प्राप्ति की थी पुराण संस्कृत ज्ञान शांति सुख विजय पुत्र तथा संतान को विशेष रूप से देने वाला है समस्त राजस्व अध्यक्ष पापों का नाश करने वाला है ना पोशाक वाद्य का कार्य पूर्ण व्यवस्था आदि को भी संतान लाभ प्रदान करने वाला है जिससे केवल कन्या ही उत्पन्न होती है उसे पुत्र प्रदान करने वाला तथा अद्भुत फल को देने वाला है बी प्रधान को चुराने के बाप से निकालते हुए स्त्री को दोष शांति के लिए पुराण के साथ महारुद्र जब भी अनिवार्य है
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Rules of Nava Vrat
Desi Manch has said that now let me tell you about the rules which were followed till the completion of this ritual, both the listeners should follow properly, listen anxiously, celibacy should be followed till the completion of the fast on the ground. One should sleep and eat only once a day, food should be little but there should be posting like milk kheer etc. Urine discharge should be done regularly. Listening during the day or fasting according to capacity is very beneficial Never do language conversation etc. while listening Listen to the story with concentrated mind O Raja Saheb Radhe-Radhe Giri Re-digestible foods Tamasic foods like garlic onion burnt Consuming radish etc. should also be abandoned at that time, meat, fish, eggs, etc. all non-edible things, if alcohol, tobacco is allowed, then it should be earned only after it is completed, work should be done in the anger of the Asiatic people and we are the reason of condemnation, deceit, truth and non-violence. In that period all the bad qualities of organs etc. Those who listen to Puran Katha without saluting the speaker and God, while sitting on the asan, have slept, sit on the bed, etc., who are movie chevics in the next life, and those who fall asleep while listening to the story, are pythons in the next life. All this comes to be called the participation of hell, one should always be alert in this matter while listening to the story, the one who debates in the next life, the donkey and the one who listens to the corner, the super obstacle, the participation of the sin of murder and the next life of the speaker In Shudra, till the fast is over, one should eat food in a metal plate and keep thinking about the blessings of Lord Vishnu's lotus feet, that is the rule of new fast. If this is done for the purpose of fulfilling a wish, then it is achieved. After completing the story, the entrepreneur must do it. In the end, the person worshiping the speaker of the Purana, Prasad etc. had seen donations to Brahmins, adults, Yadavs, silk, first woolen cloth, and Dakshina etc. should satisfy well Because even the Gods are pleased with the ability of the storyteller. At the end of the wise man, perform Havan with Gayatri Mantra, recite Vishnu Sahastranam, so that if there is any deficiency in the Puratatva Yagya, even by mistake in the past, it will be removed. It can be resolved later, 24 wives of Brahmins should be satisfied with food and dakshina etc. because water is called the country of ancestors but the one with fire is said to be of gods. Friends get the substance left in the trap. It is said in such scriptures that Rajan Maharaj Parikshit also got a son by listening to this Purana by Vyas. The head of revenue is the destroyer of all sins, the work of the costume instrument is also the one who gives the benefit of a child, the one who gives birth to only a girl child, the one who gives her a son and the one who gives wonderful fruits, the father of stealing B Pradhan woman taking out Maharudra with Purana for dosha pacification is mandatory whenever
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