श्रीमद् भागवत कथा पुराण 11 स्कंध अध्याय 20 आरंभ
आदि पुरुष के रहस्य का वर्णन
हे उद्धव तुम मेरे परम भक्त हो इसलिए मुझे परम प्रिय भी हो इसलिए मैं तुम्हें वह रहस्य बता रहा हूं जिस रहस्य को जानने के लिए बड़े-बड़े देवता तरसते हैं चंचल इंद्रियां क्या है सांसारिक प्राणी को भटकाने वाली माया और इस माया का जन्मदाता माय हो मेरे ही असहाय पर माया है और माया की प्राकृतिक है यह उद्धव प्राकृतिक मेरा स्वरूप है अर्थात सबकुछ माय हूं माया में सदैव मेरा प्रकाश मौजूद रहता है यही कारण है कि मेरी कृपा से माया को शक्ति प्राप्त है जो प्राणियों मैं अहंकार हुए सांसारिक प्रेम आदि उत्पन्न करते हैं और इन सब के वशीभूत होकर प्राणी मार्ग भूल जाता है पांच भूतों से शरीर का निर्माण होता है उन पांच भूतों के नाम पृथ्वी जल वायु अग्नि और आकाश प्रतिपादित किए गए हैं पांच भूतों में 3 गुण होते हैं रजोगुण तमोगुण सतोगुण जिन प्राणियों में रजोगुण स्वामी होता है अर्थात रजोगुण की अधिकता होती है वहां राजश्री स्वभाव का होता है उसके हृदय में ऐश्वर्य सुख और विलास की भावना होती है जिस प्राणी में तमोगुण स्वामित्व होता है वहां राक्षसी स्वभाव का होता है क्रोध एवं अहंकार में वगैरह होता है और बिना सोचे विचारे कार्य करता है सबसे उत्तम गुण सत्व गुण है यह उद्धव क्या तीनों को जब तक बराबर रहते हैं तब तक उस पर आने का जन्म पृथ्वी पर नहीं होता घटने बढ़ने से ही संसार की उत्पत्ति होती है पृथ्वी पर जन्म लेने के पश्चात प्राणी कर्म करता है और कर्म के अनुसार मृत्यु के उपरांत उसे मार्ग का दुख अर्थात स्वर्ग को ऐश्वर्या पूर्ण सुख प्राप्त होता है जो मोक्ष गति चाहता है वह अपना सर्वस्व मेरे चरणों में अर्पित कर देता है
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Shrimad Bhagwat Katha Purana 11 Canto Adhyay 20 Beginning
Description of the mystery of Adi Purush
Hey Uddhava, you are my supreme devotee, therefore you are also dear to me, so I am telling you the secret, to know the secret of which big gods long to know, what is fickle senses, the illusion that misleads the worldly creature and the originator of this illusion is illusion. Maya is on my helplessness and Maya is natural, this Uddhav Prakritik is my nature, that is, everything is Maya, my light is always present in Maya, this is the reason that Maya gets power by my grace, which creates ego in beings, worldly love etc. Being subjugated by all these, the creature forgets the path. The body is made of five elements. The names of those five elements have been given as earth, water, air, fire and sky. The five elements have 3 qualities, Rajogun, Tamogun, Satogun. There is a master, that is, there is an excess of Rajogun, where there is Rajshree nature, there is a feeling of opulence, happiness and luxury in the heart, there is a demonic nature in the creature where Tamogun is owned, there is anger and ego and so on and without thinking. works Is the best quality Sattva quality is this Uddhava, as long as all three remain equal, he is not born on the earth; According to him, after death, he gets the sorrow of the path, that is, the opulence of heaven, the one who wants salvation, he surrenders his everything at my feet.
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