श्रीमद् भागवत कथा पुराण 11 वा स्कंध अध्याय 17 आरंभ
ज्ञान वैराग्य का वर्णन
श्री कृष्ण चंद्र जी बोले हैं उद्धव जिस प्राणी ने वेद उपनिषद शास्त्र पुराण आदि का श्रवण एवं मदद किया उसे ज्ञान प्राप्त हुआ जो वेद पुराण में बताए हुए मार्ग को त्याग कर पथभ्रष्ट हुए वह प्राणी 8400000 योनियों के चक्कर काटता फिरता है उसकी मुक्ति नहीं होती और कर्मानुसार नरक का भागी बनता है और वहां उसे अनेक प्रकार की यातनाएं दी जाती है और पुनः नई योनि प्रदान कर मृत्युलोक में भेज दिया जाता है यह दाव 8400000 योनियों में मनुष्य तन सर्वोत्तम योनि है मनुष्य शरीर पाकर भी जो प्राणी भगवत भजन नहीं करता वह बहुत अभागा है क्योंकि बार-बार मनुष्य तन प्राप्त नहीं होता बहुत से मनुष्य ऐसे होते हैं जो जगत को ठगने के लिए सन्यासी बाबा धारण कर हाथ में कमंडल लेकर माथे पर तिलक चंदन आदि लगाकर विचरण करते हैं किंतु इंद्रियां उनके वश में नहीं होती जो प्राणी मुझे ठगने की चेष्टा करता है वह तुम्हें ना थक कर स्वयं को ढकता है क्योंकि मैं अंतर्यामी हूं यह उद्देश्य सन्यासी का मुख्य धर्म है कि शांति एवं अहिंसा का पालन करते हुए अपना अधिक समय भागवत भजन में व्यतीत करें इसी में उसे सच्चा सुख मिलेगा हे प्यारे उद्धव ज्ञानी पुरुषों की संगति और वेद पाठ से ज्ञान का मार्ग प्रशस्त होता है मुझसे मिलने का मार्ग सुगम हो जाता है प्राणी प्रतिदिन स्नान करके शुद्ध मन से हवन पूजा कब करें संपूर्ण जगत की उत्पत्ति स्थिर और प्रलय का स्वामी माही माही ब्रह्मा हूं जो संसारी व्यक्तियों को त्याग कर अपना सर्वस्व मुझे अर्पित करता है उसे परम ब्रह्मा के दर्शन लाभ होते हैं पृथ्वी पर उसका जन्म लेना सफल हो जाता है
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Shrimad Bhagwat Katha Purana 11th Canto Chapter 17 Beginning
Description of Gyan Vairagya
Shri Krishna Chandra ji has said Uddhav, the creature who heard and helped Vedas, Upanishads, Shastras, Puranas etc. got knowledge, the one who went astray leaving the path mentioned in Ved Purana, that creature goes around 8400000 births, he does not get salvation and According to one's deeds one becomes a part of hell and there he is given many types of tortures and again given a new birth and sent to the land of death. This claim that human body is the best birth among 8,400,000 births, even after getting a human body, the creature who does not worship Bhagwat is very much. He is unfortunate because he does not get a human body again and again. He tries to cheat you, he covers himself without getting tired, because I am an inner soul, this is the main religion of a monk, following peace and non-violence, spend more time in Bhagwat hymns, in this he will get true happiness, dear Uddhav. wise men The path of knowledge is paved by the association and recitation of the Vedas. Surrenders his everything to me, he gets the darshan of Supreme Brahma, his birth on earth becomes successful.
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