श्रीमद् भागवत कथा पुराण 11 वा स्कंध अध्याय 16 आरंभ
माया से मुक्त होने का विधान
हे उद्धव संसार में विरक्त होकर 1:00 पर स्थित जब सन्यास धारण करें तो सर्वप्रथम भेद विधि से मेरी आराधना करें सन्यास लेने पर उस प्राणी के सम्मुख देवगढ़ अनेक तरह का विधान उत्पन्न करके तरह तरह कहां भाई दिखाते हैं अतः उसे चाहिए कि वह सावधान रहें अतः कारण मेरे स्वयं का ध्यान करें किसी प्रकार से भय अथवा विद्या से विचलित ना हो सन्यासी के हाथ में दंड कमाल और तन पर वस्त्र के नाम पर लंगोटी हो पृथ्वी पर देखकर पांव रखे जिससे नए जीव की हत्या ना हो अन्यथा पाठक लगता है मन वाणी पर संयम रखकर प्रणाम करें और प्रतीत दृष्टि चोर अथवा निम्न वर्ग से भी जाना ले क्योंकि विचार आता का स्वभाव जैसा होता है उससे का प्रभाव भी वैसा होता है मांगी हुई भिक्षा को स्वक्ष जल्द सिद्ध होने के उपरांत ही ग्रहण करें सन्यासी को यह उचित है कि वह किसी एक स्थान पर ज्यादा दिन तक ना रहे संयम से रहे और इंद्रियों को अपने वश में रखे हैं उधर मानव तन वृक्ष के समान है जिस पर कॉल श्रुति लोहार निरंतर प्रहार करता है अतः मृत्यु रूपी यादव सत्य का सदैव ध्यान रखकर मेरी लीलाओं चरित्रों की कथा का रसपान करें इसी में भलाई है क्योंकि मनुष्य को यह ज्ञात नहीं होता कि यह वृक्ष रुपी शरीर कब कट कर गिर जाए तथा पाखंड तर्क वितर्क वाद-विवाद के चक्कर में पड़ कर समय नष्ट ना करें बिता हुआ छड़ फिर लौटकर नहीं आता समय का ध्यान रखकर हर पल का उपयोग करें और पूजा आराधना करके अपना लोक और परलोक सुधारें भव से पार उतरने के तीन मार्ग हैं ज्ञान कर्म और भक्ति के मार्ग ही प्राणी को माया बंधन से छुड़ाकर सन्मार्ग पर ले जाते हैं और अंत समय में वह प्राणी जीवन मरण के बंधन से छूट कर परम गति प्राप्त होता है
TRANSLATE IN ENGLISH
Shrimad Bhagwat Katha Purana 11th Canto Chapter 16 Beginning
method of getting rid of maya
O Uddhava, being disenchanted with the world, when he retires at 1:00, first of all, worship me in a different way. Devgarh creates different rituals in front of that creature, so he should be careful. Therefore, meditate on my self, do not be distracted by fear or knowledge in any way, in the hands of the monk, there should be a stick in the hand of the ascetic and a loincloth on the body in the name of clothes, keep your feet looking at the earth, so that the new creature does not get killed, otherwise the reader feels like mind and speech. But pay obeisance with restraint and do not even look at a thief or a low caste person, because according to the nature of a thought, its effect is also the same; it is appropriate for a sanyasi to accept the alms sought only after it is proven quickly. He does not stay at any one place for a long time, remains restrained and has kept the senses under his control, on the other hand, the human body is like a tree, on which Call Shruti Lohar continuously attacks, so Yadav in the form of death, always keep in mind the truth of my pastimes and characters. It is good to enjoy the story, because man does not know this. It does not matter when this tree-like body will be cut and fall and do not waste time in hypocrisy, arguments and debates. The spent rod does not come back again. And there are three ways to get beyond the world and improve the hereafter, the path of knowledge, work and devotion leads the creature to the right path by freeing it from the bondage of illusion and in the end time that creature gets free from the bondage of life and death and attains the ultimate speed.
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