श्रीमद् भागवत कथा पुराण 11 वा स्कंध अध्याय 15

श्रीमद् भागवत कथा पुराण 11 वा स्कंद अध्याय 15 आरंभ

वर्ण व्यवस्था के अनुसार धर्म का पालन करना



भगवान श्री कृष्ण चंद्र के श्री मुख से भक्ति योग साधना का उपदेश सुनने के उपरांत उद्धव जी बोले हे भगवान मनुष्य किन धर्मों का पालन करें जिससे आपकी भक्ति प्राप्त हो श्री कृष्ण चंद्र जी बोले हे प्रिय भक्त तुमने अत्यंत उत्तम प्रश्न किया है जो सांसारिक प्राणियों के लिए अमृत्तुल्य है कल के आरंभ में जब विराट भगवान की इच्छा से सृष्टि का सृजन हुआ उस समय धर्म के चार चरण थे सत्य युग चल रहा था उस समय सभी प्राणी श्वेत वर्ण के थे उस युग में विराट प्रभु के द्वारा ओम स्वरूप निकला वहीं वेद था सभी प्राणी निष्पाप तेजस्वी और परम भक्त थे सतयुग के पश्चात त्रेता युग आगमन हुआ त्रेता युग में धर्म के तीन चरण हुए द्वापर युग में धर्म दो चरणों से हीन हो जाता हे उद्धव वह विराट पुरुष मैं ही हूं मेरे मुख से ब्राह्मण भुजा भुजा हूं उसे छतरी जान से बस एवं चरणों से शूद्र की उत्पत्ति हुई मेरे नितंबों में गृहस्थाश्रम हिर्दय में ब्रह्मा आश्रम वृक्ष स्थल पर वाद स्थापना आश्रम तथा मस्तक में सन्यास आश्रम की उत्पत्ति हुई 25 वर्ष की आयु तक प्राणी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तत्पश्चात गृहस्थ में प्रवेश करें तो कुलीना उत्तम कुल कन्या से विवाह कर एक स्त्री का हो का रहें और यज्ञ दान आदि शुभ कार्य करें दान देने और यज्ञ कराने का कार्य केवल ब्राह्मणों द्वारा संपादित हो यदि कहीं कारण से ब्राम्हण की आजीविका ना चले तो व्यापार कर सकता है इस तरह छतरी राज भार संभालें व्यस्य व्यापार करें किंतु किसी वस्तु को कम ना तो ले और शूद्रों का कार्य है ब्राह्मणों की सेवा करना है उद्धव प्राणी की आयु 50 वर्ष अथवा उससे अधिक हो जाए तो नियम अनुसार गृहस्थ का भार पुत्रों को सौंपकर वन प्रस्तुत ग्रहण करें और वैराग्य लेकर 1 में जाकर तीनों सुबह दोपहर संध्याकाली स्नान करके पृथ्वी पर चयन करें और गर्मी में अग्नि के प्रगट सर्दी में गर्दन तथा जल के बीच खड़े होकर तथा बरसात में मैदान में जाकर निवास करें तत्पश्चात सब शरीर निर्मल हो जाए तो सन्यास आश्रम ग्रहण पर तपस्या करें यही वाणी व्यवस्था का विधान है

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Shrimad Bhagwat Katha Purana 11th Skanda Chapter 15 Beginning

follow religion according to varna system

After listening to the teachings of Bhakti Yoga Sadhana from Lord Shri Krishna Chandra's mouth, Uddhav ji said, O Lord, which religion should humans follow so that they can get your devotion? At the beginning of yesterday, when the universe was created by the will of Virat God, at that time there were four stages of religion, Satya Yuga was going on, at that time all the creatures were of white color, in that era Om form came out from Virat Prabhu, there was Vedas. All living beings were sinless, bright and supremely devoted. Shudra was born from the bus and from the feet in my buttocks, the household ashram in the heart, the brahma ashram at the place of the tree, and in the head, the sannyas ashram was born. One should observe celibacy till the age of 25 years, after that if he enters the household. noble noble family Marry a girl and live as a woman and do auspicious work such as Yagya, donation etc. The work of giving donations and conducting Yagya should be done only by Brahmins, if for some reason the livelihood of a Brahmin does not work, then he can do business. Do business but don't take anything for less and Shudra's job is to serve Brahmins. After taking bath in all the three mornings, afternoons and evenings, choose on the earth and live in the presence of fire in summer, standing between the neck and water in winter and going to the field in rains, after that the whole body becomes pure, then do penance at the retirement ashram, this is the voice of the system. legislation is

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