श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 82 आरंभ
श्री कृष्णा एवं बलराम जी का गोपियों से भेंट
महात्मा श्री सुखदेव जी महाराज बोलेंगे परीक्षित महाराज कुछ दिनों के पश्चात सूर्य ग्रहण का दिन आया उस समय समस्त भारतवर्ष की स्त्री पुरुष ही स्नान करने हेतु कुरुक्षेत्र आए क्योंकि ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में जाकर स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति होती है कुरुक्षेत्र की महानता का वर्णन करते हुए श्री कृष्ण चंद्र यदुवंशियों को बताया कि कुरुक्षेत्र के समर्थक नामक स्थान पर परशुराम ने क्षत्रियों का वध किया हां जी से उसी स्थान का नाम कुरुक्षेत्र तथा तत्पश्चात में मर्यादा की स्थापना के लिए उसी स्थान पर जब तक शादी करके पवित्र तीर्थ के रूप में स्थापित किया हे राजा परीक्षित पर्व के अवसर पर आ जाओ रसायनों और श्री कृष्ण बलराम जी प्रदुमन अनुरोध सांबा सहित द्वारिका के सभी यदुवंशी हाय घोषाल विदूषक ओक सेक्सी काम से आना आदि बहुत से देशों के नर नारी क्षेत्र में स्नान कर अपने जीवन को धन्य करने के लिए आए थे राजसमंद उपनंद और समस्त गोपिया भी आई हुई थी जब ग्रहण हट गया तब सभी ने परशुराम जी के बनाए हुए कुंभ में स्नान किया और पूजा आराधना करने के उपरांत दान आदि कार्य किए पूर्ण कार्यों से निर्मि होकर भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी उस विशाल जन समूह में घूम डाला कर सब से भेंट करने लगे मित्रों एवं संबंधियों से गले मिले घंटी भी स्नान करने के लिए उस पवित्र स्थल पर आई थी जब वह वासुदेवाची से मिली तो प्रेम पूर्ण वर्षा देते हुए वासुदेव जी का आने लगे हैं भैया तुम मुझ अभागिन कुंती को भूल गए सत्य है कि जब भगवान की दृष्टि टेढ़ी होती है तो उस घड़ी आपने पर आए सभी त्याग देते हैं कुंती के वचनों को सुनकर वासुदेव जी उन्हें समझाते हुए बोले हे बहन 29 तुम्हें इस तरह नहीं कहना चाहिए क्योंकि तुम्हें यह ज्ञात है कि मेरे आयु का अधिक समय कम्स के करवाएं मैं व्यतीत हुए अतः तुम स्वयं विचार करो कि मैं किस तरह आता उस समय श्री कृष्ण एक पंक्ति के सम्मुख जाकर धीरज बनते हुए कहा है बुआ अब तुम जरा भी चिंता ना करो मैं सदैव अपने भाइयों का ध्यान रखेंगे राजन श्री कृष्णा जी के आगमन के समाचार जसोदा को मिला तो वह प्रेम बिहार होकर आपने डेरे से बाहर निकाल कर उन्हें मंडल का दर्शन पाने के लिए अतुल होने लगे उधर श्री कृष्ण जी सूचना मिलने की नंद बाबा और यशोदा मैया भी आई है अपने प्रेम को याद कर श्री श्याम सुंदर का मन व्याकुल होने लगा उसी घड़ी उनकी पटरानी रुकमणी सद्भाव भद्रा सत्या कारिंदा लक्ष्मण आदि परंपरा करने लगी इसमें हमारी स्वामी गोपियों के संग रास रचाते थे और सिर पर मोर मुकुट होठों पर बंसी रखकर नाचते थे हमने अभी सुना है कि समस्त गोपियां में सबसे अधिक राधा रानी प्रिय थी आज राधा रानी को देखकर हमारे प्राण ईश्वर आनंदित होंगे जिस समय उनकी रानी आपस में बात कर रही थी दरिया में भगवान उनके मन की गति जानकर मंद मंद मुस्कुराने लगे तत्पश्चात रथ पर सवार होकर नंद बाबा और यशोदा मैया से भेंट करने गए रानियों भी गई हो राजा उग्रसेन वसुदेव देवकी बलराम जी आधी रातों पर सवार होकर उनके पीछे गए जब यशोदा की दृष्टि रात भर मुरली मनोहर पर पड़ी तो हिर्दय से ममता का सागर उमड़ पड़ा उसके ह्रदय से उस घड़ी भावना निकल गई कि मैं संसार 213 हूं और लोकनाथ को पुत्र की दृष्टि से देख रही हूं कि मिलने के लिए इस प्रकार दौड़ जैसे बछड़े को घर छोड़कर रचने के लिए गई है संध्या के समय दौड़ती हुई घर जाती है और बछड़े को पाकर चाटने लगती है वही गति यशोदा की हो रही थी भगवान श्री कृष्णा जी रात से उतारकर यशोदा जी के चरण में गिर पड़े तब वह उन्हें उठाकर अपनी छाती से लगाकर ममता का सागर उड़ने लगी उसके बाद श्री कृष्णा जी ने बाबा को प्रणाम किया धन बाबा की आंखों से प्रेम भूतिया आंसू बहने लगे तब श्री कृष्ण ने धीरज बंदा आया हे राजन रुक्मणी और देवकी भी आई थी वह यशोदा से आज कारोबार करने के बाद भी नेटवर्क आने लगी है बहने तुमने हमारे पुत्रों को अपने पुत्र के समान पालन किया और दुष्ट कंस के प्राण रक्षा कि तुम्हारा यह रेंट सौ जन्मों तक तुम्हारी सेवा करें पूरा नहीं कर सकूंगी तब यशोदा जी श्री कृष्ण चंद्र का मस्त चेंज कर कहने लगी यह दिल की बहन कन्हैया ने अपने बाल लीला दिखा कर हमारे सब जन्मों का पुण्य फल प्रदान किया बहुत बड़े सौभाग्यशाली स्त्री को भी यह सुख नहीं प्राप्त होता जो सुख मुझे प्राप्त हुआ है और आज तुम्हारी कृपा से पुणे दर्शन प्राप्त कर आनंदित हो रही वह उसी समय प्रेम नाम से मांगना होकर बहुत सी गोपिया के साथ राधा रानी आई है राधा रानी को देखकर श्री कृष्ण चंद्र जी मुस्कुराने लगे राधा के नेत्रों से झर झर आंसू बह रहे थे जब देवकी हो या ज्ञात हुआ कि यही है राधा रानी है तो उसके रूप सौंदर्य को निकालकर अपने मन में विचार करने लगी कि मेरे पुत्र ने किस तरह अपनी ही उधर से इस परम सुंदरी का त्याग किया ऐसी सुंदरी तो समझता द्वारिका में नहीं है उस समय उनकी पटरानी जो अपनी सुंदरता का अभिमान करती थी राधा को देखकर आश्चर्यचकित रह गई तब श्री कृष्णा जी आए हुए गोपियों और राधा रानी को एक ही स्थान पर ले जाकर अपने हृदय से लगाने के उपरांत उसके मन को धीरज दिलाते हुए मधुर वचन में कहने लगी हे राधा रानी तुम्हारे ह्रदय की व्यथा को मैं भली प्रकार जानता हूं तुम सभी मुझसे हम वक्त फ्रेम करती हो यह प्रिय को क्यों मारते हैं उतनी ही प्रतीत करता हूं किंतु तुम्हें यह सोचकर संतोष करना चाहिए कि मिलना बिछड़ना संयोग वियोग सब विधाता की लेखनी के अनुसार होती है तुम्हें मेरा प्रेम प्राप्त है जिसके लिए बड़ी योगी जन तरसते हैं एक गोपियों तुम जिस स्थान पर पहुंचकर मेरे स्वरूप का स्मरण करो कि मैं उस स्थान पर उन्हें दिखाई दूंगा इस प्रकार समझा-बुझाकर उसके हृदय के क्लेश को दूर किया उसी समय भगवान श्याम सुंदर की पठानी आकर हाथ जोड़कर विनायक कहने लगी है स्वमी यदि आपकी आज्ञा हो तो राधिका जी की सेवा कर के हम सभी सुपरहिट तब मुरली मनोहर की आज्ञा पाकर उन्होंने राधा रानी को अपने संग ले जाकर आदर पूर्वक मिठाई और नए वस्त्र आभूषण पहना कर पूजा की
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Tenth Canto Chapter 82 Beginning
Meeting of Shri Krishna and Balram with Gopis
Mahatma Shri Sukhdev Ji Maharaj will say Parikshit Maharaj After a few days, the day of solar eclipse came, at that time men and women from all over India came to Kurukshetra to take bath because at the time of eclipse, going to Kurukshetra and taking a bath gets rid of all the sins of the greatness of Kurukshetra. Describing Shri Krishna Chandra told the Yaduvanshis that Parshuram killed the Kshatriyas at a place called the supporter of Kurukshetra. Installed O King Parikshit come on the occasion of the festival of chemicals and Shri Krishna Balram ji Praduman requests all the Yaduvanshis of Dwarka including Samba to bless their lives by bathing in the male and female area of many countries. Rajsamand Upanand and all the gopis had also come. When the eclipse was removed, everyone took bath in the Kumbh made by Parshuram ji and after worshiping and worshiping, did charity etc. Mr. Chandra ji went around that huge crowd and started meeting everyone, hugged friends and relatives, bell also came to that holy place to bathe, when she met Vasudevachi, Vasudev ji started coming showering love full of love. Yes brother, you have forgotten me, unfortunate Kunti. It is true that when God's vision is crooked, then everyone who comes to you at that time abandons. You know that I spent most of my life getting Kams done, so you yourself think how I would have come, at that time Shri Krishna went in front of a row and said being patient, now don't you worry at all, I will always Rajan will take care of his brothers, when Jashoda got the news of the arrival of Shri Krishna ji, he took Prem Bihar out of the dera and started being impatient to get darshan of Mandal. Remembering his love, Mr. Shyam Sundar's mind started getting disturbed, at the same moment his patra Nee Rukmani Sadbhav Bhadra Satya Karinda Laxman etc tradition started in this our lord used to sing raas with gopis and dance with peacock crown on head and flute on lips. Our life God will be happy when his queen was talking with each other in the river God started smiling softly after knowing the speed of her mind, then riding on the chariot went to meet Nand Baba and Yashoda Maiya, the queens also went King Ugrasen Vasudev Devki Balram When Yashoda's eyes fell on Murli Manohar throughout the night, then the ocean of affection overflowed from her heart, at that moment the feeling came out of her heart that I am the world 213 and I am looking at Loknath from the point of view of a son. In the evening, she runs to the house and after finding the calf, starts licking it. The same speed was being followed by Yashoda. When I fell down, he picked her up and hugged her and flew into the ocean of love. After that, Shri Krishna ji bowed down to Baba, Dhan Baba's eyes started shedding tears of love, then Shri Krishna said patience, O Rajan, Rukmani and Devki also came, even after doing business with Yashoda today, the network has started coming. Sister, you raised our sons like your own son and saved the life of the wicked Kansa. You gave us the virtuous fruits of all our births by showing child leela. Even a very fortunate woman does not get this happiness which I have got and today by your grace I am getting darshan of Pune and at the same time asking in the name of love, I am very happy. Radha Rani has come with c gopiya Shri Krishna Chandra ji started smiling after seeing Radha Rani, tears were flowing from Radha's eyes. She began to wonder how my son had captured this ultimate beauty from his own side. Yagya understood that such a beauty is not in Dwarka. At that time, his queen, who used to take pride in her beauty, was surprised to see Radha, then Shri Krishna ji took the gopis and Radha Rani to the same place and after touching his heart Soothing her heart, she started saying in sweet words, O Radha Rani, I know very well the agony of your heart, you all frame time with me, why do you kill your beloved, but you should be satisfied thinking that That meeting, separation, coincidence, separation all happen according to the writing of the creator, you have my love, for which great yogis yearn. Gopis, wherever you reach, remember my form that I will be visible to them at that place. At the same time, Lord Shyam Sundar's pathani came and started saying Vinayak with folded hands, Swami, if you allow, then after serving Radhika ji, we all super hit in Murli.After getting Nohar's permission, he took Radha Rani with him and worshiped her with sweets and new clothes and ornaments.
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