श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 23 आरंभ
ब्राह्मण पत्नियों पर भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा
श्री सुखदेव जी बोले हे राजा परीक्षित एक दिन ग्वाल बाला के संग श्री कन्हैया जी गौरव को चराने के लिए हाहाकार खेलने में बंद हो गए खेलते खेलते बच्चे अधिक समय व्यतीत हो गया तब भूख की ज्वाला से अत्यंत व्याकुल होकर कहने लगी हे कन्हैया जी जो का हलवा हम सब अपने साथ लाए थे उसे खा गए और आपके साथ खेलने लगी अचानक फिर बड़े जोर की भूख लग रही है तब श्री नंद नंदन कहने लगे ऐसा क्यों यहां से थोड़ी दूर पर मथुरा के ब्राह्मण वंश के भाई से वन में छिपकर यज्ञ कर रहे हैं तुम लोग वहां जाकर कहना कि हमें बलराम जी और कृष्ण जी ने भोजन लाने के लिए भेजा है हमें थोड़ा सा भाग दे दो भगवान श्री कृष्णा जी की आज्ञा मानने पर वह ग्वाल बाला यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों से जाकर कहा कि बलराम जी एवं कन्हैया जी ने हमें भेजा है वह यहां से थोड़ी दूर जाओगे चला रहे हैं उन्हें अत्यंत भूख लगी है वालों वालों के वचन सुनकर एक ब्राह्मण ने कहा हे बालकों हम ने यह भोजन यज्ञ देवताओं के लिए तैयार किया है अतः जब तक ही देवताओं को भोजन का भाग प्रसाद के रूप में हम नहीं चढ़ा देते तब तक इसमें से नहीं निकाल सकते ब्राह्मणों के वचन सुनकर ग्वालपाड़ा निराश होकर लौट आए वह श्री कृष्ण जी से कहने लगे तब कृष्णा जी बोले यार ऐसा क्यों ब्राह्मणों ने भोजन नहीं दिया तो क्या हुआ वह सब वैद्वादी हैं उन्होंने मेरी परीक्षा ली है कि मैं उनके यज्ञ की रक्षा करता हूं या नहीं फिर इस प्रकार निराश क्यों होते हो इस बार तुम सब ब्राह्मण पत्नियों से कहो हुए आवश्यक भोजन देंगे हे राजा परीक्षित जी समय ग्वाल वाला भोजन हेतु ब्राह्मण पत्नियों के पास गए उस समय वे स्त्रियां नए वस्त्र आभूषण पहन सोलह सिंगार करके भगवान श्री कृष्ण के चरणों का गुणगान कर रही थी वह वाला ने उनके सम्मुख पहुंचकर प्रणाम किया और कहने लगे हे माताओं श्री बलराम जी एवं कन्हैया जीवन में रहे चला रहे हैं और भूख से अति व्याकुल हो रहे हैं आप हमें थोड़ा सा भोजन प्रदान करें ग्वाल बालों के वचन सुनकर ब्राह्मण पत्नियां अत्यंत प्रसन्न होकर करने लगी हमारे धन्य भाग्य जो कन्हैया जी ने हम ऐसे भोजन मांगा है हम अभी उनके लिए भोजन लेकर चलते हैं यह कह कर वह उसी समय स्वादिष्ट भोजन मेवा मिठाई दूध दही घी राधीके से थानों को सजाया और लेकर चलने लगे तब उनके भाई बंधु पति उन्हें रोकने लगे किंतु उनके रोकने पर हुए ना रुकी तथा उनके पवित्र गुणों का गुणगान करते हुए चली गई ग्वाल बालाओ के संग प्रेम मांगना होकर वहां पहुंची जहां पर मुरली मनोहर और बलराम जी विराजमान थे उनकी मोहनी सूरत देखकर ब्राह्मण स्त्रियां भाव विभोर हो गई यहां पास में कहने लगे कन्हैया जी के जिस रूप में दूरियां कम बखान हम लोग आज तक दूसरों के मुख से सुनते आ रहे हैं उन्हें हज प्रत्यक्ष देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है तत्पश्चात भोजन कर फाल्गुन के सम्मुख रखकर प्रेम पूर्वक भोजन करने के लिए आग्रह करने लगे उनकी इस तरह की प्रतीक देखकर अंतर्यामी भगवान अति प्रसन्न हुए परीक्षित ब्राह्मण की पत्नियां उनकी सम्मुख भोजन का ख्याल रखकर बिना पूर्वक कहने लगी हे मुरली मनोहर हमारे पति वैद्य वादी ब्राह्मण है और आपके विजय की कामना से राजा कंस की चोरी से वन में छिपकर यज्ञ कर रहे हैं यह स्वामी वेद की उपासना आपकी ही प्रिय विधि फिर भी यदि मेरे पतियों से कोई टूटी हुई है तो आप उन्हें क्षमा करें हम आपसे क्षमा दान मांगते हैं यह कह कर वे भगवान श्री कृष्ण के चरणों में नतमस्तक हो गई तब भगवान श्री कृष्णा जी कहने लगे हे माताओं मुझे प्रणाम मत करो मैं तो आप सब का सेवक हूं हम ब्राह्मणों एवं उनकी स्त्रियों की सेवा करके प्रसन्न होते हैं यह कहकर श्री कृष्णा जी मंद मंद मुस्कुराने लगे
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Tenth Skandha Chapter 23 Beginning
Lord Krishna's grace on Brahmin wives
Shri Sukhdev ji said, O King Parikshit, one day, Shri Kanhaiya ji with Gwal Bala stopped playing hysterically to feed pride, the children spent a lot of time playing, then being very distraught with the flame of hunger, they started saying, O Kanhaiya ji, who We all had brought the pudding with us, ate it and started playing with you, suddenly I am feeling very hungry, then Shri Nand Nandan started saying why so far away from here, hiding in the forest from the brother of the Brahmin dynasty of Mathura, You guys go there and say that Balaram ji and Krishna ji have sent us to bring food, give us a little portion, on obeying Lord Shri Krishna ji, he went to the brahmins performing Gwal Bala Yagya and said that Balram ji and Kanhaiya ji He has sent us, he will go a little away from here, he is running after hearing the words of those who are very hungry, a brahmin said, oh boys, we have prepared this food sacrifice for the gods, so as long as the part of food is offered to the gods. As we don't offer it, we can't get it out of Gwalpada disappointed by hearing the words of brahmins. When he returned, he started telling Shri Krishna ji, then Krishna ji said, why did Brahmins not give food like this, so what happened, they are all Vaidwadis, they have tested me whether I protect their yajna or not, then why do you get frustrated like this This time you will give necessary food to all Brahmin wives saying, O King Parikshit ji, at that time the cowherd went to the Brahmin wives for food, at that time those women were praising the feet of Lord Shri Krishna by wearing new clothes, ornaments, and sixteen songs. Arriving in front of them, bowed down and started saying, O mothers, Shri Balram ji and Kanhaiya are living in life and are getting very disturbed by hunger, you give us a little food, listening to the words of Gwal Baal, Brahmin wives were very happy and started blessing us. The fate that Kanhaiya ji has asked for such food, we now take food for them, saying that at the same time, he decorated the police stations with sweets, milk, curd, ghee, Radhike and started walking, then his brother-in-law husband started stopping him but his did not stop on stopping and their holy Gwal went there praising the virtues, asking for love with Balao, reached the place where Murli Manohar and Balram ji were seated, seeing their charming appearance, the Brahmin women became very emotional, here they started saying that Kanhaiya ji's form reduced the distance. People have been listening from the mouths of others till today, they have got the privilege of seeing Hajj directly, after that after having food in front of Phalgun, they started urging them to eat with love, seeing such a symbol of theirs, the inner God was very pleased with the parikshit brahmin. Wives after taking care of food in front of them started saying without saying, O Murli Manohar, our husband Vaidya Vadi is a Brahmin and with the desire of your victory, King Kansa is secretly performing a yajna in the forest by stealing this lord, worshiping the Vedas is your favorite method. If someone is broken with my husbands, then you forgive them, we ask you for forgiveness, saying that they bowed down at the feet of Lord Shri Krishna, then Lord Shri Krishna started saying, O mothers, do not bow down to me, I am the servant of all of you. I am Brahmins and their Shri Krishna ji started smiling softly saying that he is happy by serving women.
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