श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 22

श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 22 आरंभ

श्री कृष्णा द्वारा गोपियों का चीर हरण



हे राजन मुरली मनोहर के बंसी की तान सुनकर पहले से गोपियां मोहित थी अगहन मांस के लगते ही समस्त गोपियां आपस में कहने लगी है सखियों नंदलाल के बिना हमें हर पल सुना सुना लगता है हमने सुना है कि अगहन मास में पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं इसलिए हम सब मिलकर यमुना स्नान करके कात्यानी देवी की पूजा करें तो देवी की कृपा से श्री कृष्ण जी हमारे पति के रूप में प्राप्त होंगे इस प्रकार विचार कर मिथिला रामा बैकुंठ श्वेत दीप जालंधर अयोध्या आदि की गोपियां ने ब्रज में अवतार लिया और श्री कृष्ण जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कल्याणी देवी की पूजा हेतु यमुना स्नान करने गई उम्र गोपियों ने आपने आपने वस्त्र आभूषण आदि उतारकर यमुना तट पर रख दिया और नग्न होकर स्नान करने लगी उसी समय अंतर्यामी भगवान श्री कृष्ण अपने शाखाओं के साथ यमुना तट पर जा पहुंचे और गोपियों को नग्न अवस्था में यमुना जी के जल में स्नान करते हुए देखकर अपने मन में विचार करने लगे कि इस तरह पवित्र यमुना जी के जल में स्नान करना सर्वथा अनुचित है इसलिए भविष्य में ऐसा अनुचित कार्य नगमे सामना करने की शिक्षा दे दो या विचार करो एक परीक्षा की ओट में छिप गए और जबरन बालाएं आंखें मूंदकर सूर्य देव को अर्थ देने लगी थी उसी समय लीला बिहारी वृक्ष की ओर से निकलकर गए और बृजबाला उसको वस्तुओं को लेकर कदम पर जा बैठे अर्थ देने के पश्चात उनको बालाएं यमुना जल से बाहर निकलने को उदित हुए किंतु जब उनकी दृष्टि उसी स्थान पर पड़ी यहां वस्तुओं को रखी थी वह उनके वस्त्र नाते नाते हुए घबराने लगी और पुनः जाकर गले तक जल में खड़ी होकर इधर-उधर देखने लगे किंतु उन्हें कोई पक्षी भी दिखाई ना दिया तब वे आपस में कहने लगे यह सखी मुझे तो यह को दुख हमारे प्राण बल्लभ चितचोर बंसी बजे या श्री कृष्ण का लगता है तब वह पुकार करने लगी हे मुरली मनोहर हमारे प्राण आधार तुम हमारे वस्तुओं को लेकर कहां छुपे हो तब दूसरी बृजबाला की दृष्टि कदम के वृक्ष पर पड़ी वहां श्री कृष्णा जी पितांबर पहने गले में वैजयंती माला और मस्तक पर मोर मुकुट लगाए रंग-बिरंगे वस्तुओं को कदम की डाल पर लटका है बैठे हुए मुस्कुरा रहे थे ब्रिज गोपियां पानी के अंदर ही विनती करती हुई कहने लगी हे प्यारे नंद दुलारे आप हमारे वस्तुओं को दे दीजिए हम आपकी दासी हैं वह प्राण बल्लभ हम पर तरस खाओ हमारे शरीर की शीतल जल में कहां पर रहे हैं तब श्री कृष्ण जी बोले हे ब्रज की गोपियों तुम अपने वस्त्रों को यमुना तट पर रखकर स्नान कर रही थी कोई चोर उठा ले जाता तो तुम बिना वस्त्रों के घर जाती इसलिए मैं तुम्हारे वस्त्रों की रखवाली कर रहा था अब तुम लोग मेरा पारिश्रमिक मेहनत आना देखकर अपने वस्त्रों को ले जाओ तब गोपियां कहने लगी हे कृष्ण प्यारे हम अपना तन मन धन सब कुछ आपको अर्पण कर चुके हैं और कौन सा महीना बिताना चाहिए हे राजा परीक्षित गोपियों की बात सुनकर श्री कृष्णा जी कहने लगे यह ब्रजबाला यदि ऐसा बात है तो तुम सब एक-एक कर हाथ जोड़कर जल से बाहर आकर मुझे प्रणाम करो तब मैं तुम्हें तुम्हारा वस्त्र दे दूंगा तब वह अत्यंत गिनती होकर कहने लगे यह प्यारे हम सभी इस समय पूर्ण रूप से नग्न है इस अवस्था में जेल से बाहर आते हुए हमें लग जाती है आप अपनी इस पर को त्याग कर हम पर दया करते हुए हमारे वस्तु को दे दीजिए तब जगत पालक भगवान श्री कृष्णा जी बोले हैं बृजबाला हूं मैं संपूर्ण जगत का पालनहार माता पिता बंधु सखा एवं प्रेमी सभी कुछ माय होता है मेरे संग आते हुए तुम्हें लज्जा क्यों है ब्रजबाला हूं तुम सब मेरी प्राप्ति के लिए व्रत पूजा करती हो फिर मुझसे संकोच क्यों जब तुम हमें अपना पति बनाना चाहती हो तो लज्जा भाव को त्याग निसंकोच जल से निकलकर अपने वस्त्र को लेने के लिए मेरे आओ तब समस्त गोपिया जल से निकलकर मुरली मनोहर से वस्त्र लेने के लिए कदम के नीचे जाकर अपना मस्तक झुकाए खड़ी हो गई श्री कृष्णा जी कुछ समय मंद मंद मुस्कुराते हुए कहने लगे आप भी तुम्हारे मन से कपट भाव नहीं गया सच्ची प्रतीत करने वाले किसी वस्तु का संकोच नहीं करते जो प्राणी अपने मन में 3 बराबर भी कपट भाव करता है वह मुझे कभी प्राप्त नहीं कर सकता तब उन्हें गोपियों ने अपनी दृष्टि श्याम जी के मुख मंडल पर डालकर मुस्कुराने लगी और ऐसे प्रतीत बढ़ेगी अपने ना होने की अवस्था को भूल गए और भगवान श्री कृष्ण उसकी निश्चल प्रतीत को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए तथा उनके वस्तुओं को देने के पश्चात प्रसन्न मुख से कहने लगे कि गोपियां जेल में वरुण देव का निवास होता है अतः नग्न होकर स्नान करने से समस्त पुण्य नष्ट हो भविष्य में इस तरह नग्न होकर स्नान कभी मत करना चीर हरण का वृतांत सुनाते हुए श्री सुखदेव जी बोले हे राजन् हम संसार सागर माया में के जल में कंठ तक डूबे हुए हैं प्रभु की प्राप्ति के लिए जल रूपी पर्दा को हटाने के पश्चात ही प्रभु के दर्शन होते हैं माया रूपी पर्दा ही ब्रह्मा और आत्मा के एका कार पुणे में बंधक है भगवान की इस दिव्य अलौकिक लीला का श्रवण जो प्राणी शुद्ध मन से करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Tenth Skandha Chapter 22 Beginning

Rippling of the gopis by Shri Krishna

O Rajan, the gopis were already fascinated by listening to the sound of the flute of Murli Manohar, as soon as the meat of the fire began to appear, all the gopis started saying among themselves, without Nandlal, we have heard every moment, we have heard that worshiping in the month of Aghan gives the desired results. That is why we all worship Katyani Devi by taking a bath in Yamuna, then by the grace of Goddess Shri Krishna ji will be received as our husband, thus thinking of this, the Gopis of Mithila Rama, Baikunth, White Deep, Jalandhar, Ayodhya etc. took incarnation in Braj and Shri In order to get Krishna as husband, the gopis who went to bathe in Yamuna to worship Kalyani Devi, took off their clothes, ornaments, etc., put them on the banks of Yamuna and started bathing naked. He reached the banks of Yamuna and seeing the Gopis bathing in the water of Yamuna ji in a naked state, started thinking in his mind that it is totally inappropriate to bathe in the water of holy Yamuna ji in this way, so in future it is necessary to face such an unfair act. teach or consider a test At the same time, Leela went out from the side of the Bihari tree and Brijbala, after giving meaning to him, sat on the steps carrying the objects, and forced them to come out of the Yamuna water. But when their eyes fell on the same place and kept the things here, she started getting scared as she was wearing their clothes, and again, standing in the water till her neck and looking here and there, but she did not even see any bird, then they started saying to each other. This friend, to me, feels the sorrow of our life, Ballabh Chitchor Bansi or Shri Krishna, then she started calling out, O Murli Manohar, our soul base, where are you hiding about our things, then the second Brijbala's sight fell on the tree of Kadam, there Shri Krishna ji was wearing a Pitambar, wearing a Vyjayanthi garland and a peacock crown on his head, colorful objects were hanging on the branch of the step, smiling while sitting, the Brij Gopis started pleading inside the water and saying, O dear Nanda, you give our things. Give, we are your slaves, let that life's vallabh have pity on us, the coolness of our body Where have you been, then Shri Krishna ji said, O gopis of Braj, you were bathing by keeping your clothes on the banks of Yamuna, if a thief took it away, you would have gone home without clothes, that's why I was guarding your clothes, now you People take away your clothes after seeing my remuneration and hard work, then the gopis started saying, oh Krishna dear, we have surrendered everything to you, and what month should be spent, O King Parikshit, listening to the gopis, Shri Krishna started saying this Brajbala If this is the case, then all of you come out of the water with folded hands one by one and bow to me then I will give you your clothes, then he started counting very much and said, dear, we are all completely naked at this time from jail in this state. Coming out, we feel that you should give up on this and give it to us, taking pity on us, then Lord Krishna ji has said, Brijbala, the guardian of the whole world, I am the caretaker of the whole world, my parents, friends and lovers, everything would have been mys. Why are you ashamed to come with me, I am Brajbala, you all fast for my attainment If you worship me then why hesitate from me when you want to make us your husband, then leave your shame and feel free to come out of the water and come to me to take your clothes, then all the gopias come out of the water to take clothes from Murli Manohar and go down your steps. Shri Krishna ji stood up with her head bowed for some time, smiling slowly and saying that you too did not feel deceitful in your mind, do not hesitate to do anything that seems to be true When the gopis put their eyes on Shyam ji's face, they started smiling and it would appear that they forgot their state of being and Lord Shri Krishna was very pleased to see his motionless appearance and after giving his things. With a happy mouth, the gopis started saying that Varun Dev resides in the jail, so bathing naked should destroy all the virtues, never bathe naked like this in future, while narrating the story of chir-haran, Shri Sukhdev ji said, O king, we are the ocean of the world. The waters of Maya are submerged till the throat of the Lord. Only after removing the veil of water, the veil of water is visible to the Lord, only the veil of Maya is the only car of Brahma and the soul in Pune, the creature who listens to this divine supernatural leela of God with a pure heart, attains salvation. it occurs

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