श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 19

श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 19 आरंभ

भगवान श्री कृष्ण का दावानल को पीना

श्री सुखदेव जी बोले हे राजा परीक्षित प्रॉब्लम लासूर को मारने के पश्चात नंद नंदन आपने गोप शाखाओं के साथ पुनः खेलने में मग्न हो गए और उनकी दवे चराते हुए दूर मून जीवन में जा पहुंचे जब उन्हें अपनी जरूरत का ध्यान आया तब वह अपने गमों को खोजने लगे बहुत खोजने पर भी जब हुए ना मिली तब वे अत्यधिक चिंतित हुए और अपने खेल पर पछताने लगे उन्हें चिंतित देखकर श्री कृष्ण जी का दम पर चढ़ गए और इधर-उधर देखने लगे उधर गमों को खोजते खोजते समस्त ग्वाल बाल मूंछ वन में जा पहुंचे उसी समय कंस का भेजा हुआ दावनल आंसू अपनी आंख से मून वन में आग लगा दिया 1 में चारों तरफ से लगने वाली हाहाकार आग देखकर बालबाला चिल्ला चिल्ला कर श्री कृष्ण जी को पुकारने लगे किंतु उस आग से बचने का उन्हें कोई मार्ग दिखाएं नादिया अपने ग्रुप शाखाओं की करुणा पुकार कर सुनकर अंतर्ध्यान भगवान कदम वृक्ष से नीचे कूद गए पढ़े और वन के निकट जाकर कहा तुम सब अपने अपने नेत्रों को रुपाली तरह से बंद कर लो डरो मत श्री कृष्णा जी द्वारा धीरज बांधने पर वह बालकों ने वैसा ही किया तब भगवान श्री हरि नारायण श्री कृष्ण भगवान में लगे अग्नि को पल भर में पी गए जिससे ग्वाल बालों की रक्षा हुई दाना असुर उस अग्नि में भस्म हो गया हे राजा परीक्षित ग्वाल बाल अपनी आंखें बंद किए जवान से निकलकर श्री कृष्ण जी की बंसी का स्वर्ग सुनते हुए उनके पीछे-पीछे चलने लगे जब उन्होंने आंखें खोलने के लिए कहा तब गोप बालकों ने अपनी अपनी आंखें खोल दी और स्वयं को भंडारी उनके निकट पाया भगवान का या कर तो देख उन्हें महान आश्चर्य हुआ संध्याकाल होने पर अपनी गवर्नर को हफ्ते हुए अपने घर को चल दिए आगे-आगे बंसी बजाते हुए आनंद कंद चल रहे थे

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Tenth Skandha Chapter 19 Beginning

Lord Shri Krishna drinking the forest

Shri Sukhdev ji said, O King Parikshit, after killing Lasur, Nand Nandan again got engrossed in playing with the Gopa branches and while grazing their pride, went to distant Moon life, when he came to the attention of his need, then he searched for his sorrows. Even after searching a lot, when he was not found, he became very worried and started regretting his game, seeing him worried, Shri Krishna ji got on his breath and started looking here and there, searching for sorrows, all the cowherd hairs reached the mustache forest. At the same time, the demonic tear sent by Kansa set fire to Moon forest with his eyes. Hearing the compassion of the branches, Lord Kadam jumped down from the tree, read and went near the forest and said, all of you close your eyes in a Rupali way, do not be afraid, after being patient by Shri Krishna ji, the children did the same then God Shri Hari Narayan drank the fire in Shri Krishna God in a moment, due to which Guava L hair was protected, the demon Asura was consumed in that fire, O King Parikshit Gwal Baal, with his eyes closed, came out of the young man, listening to the heaven of Shri Krishna ji's flute, started following him when he asked to open his eyes. He opened his eyes and found himself Bhandari near him. He was surprised to see God's tax. At dusk, his governor went to his house for a week.

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