श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 18

श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 18 आरंभ

बलराम के द्वारा प्रबल अम्ल सूर का वध

श्री सुखदेव जी बोले हे राजन् दूसरे दिन प्रातः काल श्री कृष्णा जी एवं बलराम जी आपने शाखाओं के साथ गांव चराने के लिए वन में गए गांव को चराने के लिए वहां हरी हरी घास ए थी अतः भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें चराता देखा अपने शाखाओं से बोला आओ हम खेल खेलें उनके बालसखा ने सहमति प्रदान की तब वे आपस में मिलकर खेलने लगे उसी समय भी स्मृति थी सूर्य देव की प्रचंड गर्मी से भूतल जल रहा था किंतु भगवान श्री कृष्ण की महिमा से वहां बसंत रितु की बहार छाई हुई थी उस समय कंस का भेजा हुआ एक राक्षस प्रबल अमला सूर वेश बदलकर श्री कृष्णा एवं बलराम जी को मारने के उद्देश्य ग्वाल बालों की टोपी में मिला भगवान लीला बिहारी उसे पहचान गए फिर भी मित्र भाव प्रदर्शित करो उसे अपने साथ खेलने दिया उसका पाठ विषधारी राक्षस के बारे में श्री कृष्ण ने बलराम को संकेत से समझा दिया कि या कोई दोस्त प्रकृति वाला राक्षस है और हमें मारने की नियत से आया है तत्पश्चात उन्होंने आंखें मिचोली वाला खेल खेलने का निश्चय किया जिससे सुनकर प्रबल अम्ल बासुर अत्यंत प्रसन्न हो गया श्री कृष्ण जी ने खेल के लिए दो पक्ष बनाए जिसमें कुछ ग्वाल बलराम की तरफ हो गए तथा कुछ मुरली मनोहर की तरफ या निश्चय किया कि जो पक्ष करेगा वह दूसरी और के ग्वाल वालों को अपनी पीठ पर बैठाकर पर्वत तक ले जाएगा खेल खेलते समय श्री कृष्णा जी हार गए तब नीचे कि उन्होंने श्रीधामा को आपने पीठ पर बैठाया बाद रशियन से बृहस्पथी प्रबल मामला सुर की पीठ पर बलराम जी चढ़े बलराम जी को मार डालने का शुभ अवसर पाकर प्रबल अम्ल सुर्ख जल्दी-जल्दी पर्वत पर चढ़ने लगा और सब वालों से आगे निकल गया और निष्ठा स्थान में से आगे निकल गया था बलराम जी उसी का पाठ 4 जान गए और अपने शरीर का भार इतना अधिक बढ़ा दिया कि वह असुर वेदम होने लगा बलराम जी ने उनकी कान को ऐड कर कहा अरे नादान घोड़े ठिकाने चल यह सुनते ही वह क्रोधित होकर अपनी वास्तविक रूप से आ गया उसकी लाल-लाल आंखें बड़ी बड़ी भुजाएं और लंबी दाढ़ी दांत देखकर सभी ग्वाल वाला भाई भी होकर इधर-उधर भागने लगे किंतु श्री कृष्ण जी वही खड़े होकर मुस्कुरा रहे थे बलराम जी उनके मुस्कुराने का अर्थ समझ कर प्रबल आमला बासुर के विशाल मस्तक पर जोर से मुक्का मार जिससे उसका मस्तक फट गया और रक्त की धारा बहने लगी क्षण मात्र में उसके प्राण पखेरू उड़ गये तब सभी ग्वाल बाला दौड़ते हुए बलराम जी के पास आया और प्रबल आमला सुर को मारा हुआ देखकर अति प्रसन्न हुए

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Tenth Skandha Chapter 18 Beginning

Killing of strong acid sur by Balarama

Shri Sukhdev ji said, O Rajan, the next morning, Shri Krishna ji and Balram ji, you went to the forest to graze the village with branches, there was green grass there to graze the village, so Lord Shri Krishna saw them grazing and said to his branches. Come let us play the game, their children agreed, then they started playing together, at the same time the memory was burning due to the scorching heat of the Sun God, but with the glory of Lord Shri Krishna, there was the spring of spring Ritu, at that time Kansa A demon sent by Prabal Amla disguised himself as a cowherd to kill Shri Krishna and Balram ji, Lord Leela Bihari recognized him, yet showed a friendly attitude, let him play with him, his lesson about the poisoned demon Shri Krishna explained to Balarama that or some friend is a demon of nature and has come with the intention of killing us, after that he decided to play a game with a wink of eyes, which made the strong acid bass very happy to hear that Shri Krishna ji went to the game. Made two sides in which some cowherds turned towards Balram. Was something on the side of Murli Manohar or decided that the one who will do the other side will take the cowherds on his back to the mountain, while playing the game, Shri Krishna ji lost, then down that he made Sridhama sit on his back after Jupiter from the Russian Strong case Balram ji climbed on Sur's back, after getting an auspicious opportunity to kill Balram ji, the strong acid ruddy started climbing the mountain very quickly and went ahead of everyone and had overtaken the place of loyalty. came to know and increased the weight of his body so much that he started becoming Asura Vedam. Balram ji added his ear and said, Hey innocent horse, on hearing this, he got angry and came to his real form, his red-red eyes were big. Seeing the arms and long beard teeth, all the cowherd brothers also started running here and there, but Shri Krishna ji was smiling standing there, Balram ji, understanding the meaning of his smile, punched the mighty Amla Basura's huge head, causing his head to burst. Gaya and the stream of blood started flowing, in a moment his life was blown away, then all the cowherds ran. He came to Balarama and was very pleased to see Prabal Amla Sur killed.

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