श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 16 आरंभ
कालिया नाग का भगवान श्री कृष्ण के हाथों नाथन कालिया मर्दन कथा
श्री सुखदेव जी बोले हे राजन्ल 1 दिन श्री कृष्णा जी बाहों में लेकर ग्वाल बालों के सम्मान में चले गए गाड़ी चलाते हुए हुए गंगा तट पर पहुंचे उसी दिन बलराम जी घर पर ही रह गए भीषण गर्मी के कारण सभी ग्व वाला प्यास से अत्यंत व्याकुल हो रहे थे तो यमुना तट पर पहुंचकर हुए शब्द जाल में उतर गए और यमुना जल से प्यास बुझाने लगे किंतु वहां के विषैले जेल के प्रभाव से सब मूर्छित होकर गिर गए और उनके प्राण पकड़ने उड़ गई तब श्री कृष्णा जी ने सहज ही जान लिया कि कालीदह के विषैले जल को पीने से इनकी या गति हुई है अम्मा इनके माता-पिता को क्या उत्तर दूंगा यह विचार कर उन्होंने अपनी अमृत माई दृष्टि से समाज वालों बालाओं को पुनर्जीवित कर दिया वह इस तरह उठ खड़े हुए जैसे सोते से जागे हो तब भगवान नंद नंदन उन्हें बतलाया कि कालीदह का विषैला जल पीने से तुम्हारी एक आती हुई है तत्पश्चात उन्होंने अपने मन में निश्चय किया कि काली नाथ को यहां से निकाल लेना देना ही उत्तम है यह विचार करो दूसरे दिन हुए अपने बालकों के संग कालिदास के पास गेंद खेलने लगे अचानक गेंद उछाल कर कालीदह में जा गिरी यह देख सभी बालबाला चिंतित हुए तब श्री कृष्ण ने धीरज बांटते हुए बोले तुम सभी किसी तरह की चिंता ना करो मैं अभी गेंद को निकाल कर आता हूं यह कह कर वे कालिदाह के पास गए काली नाग की पुकार से वहां काजल विषैला हो चुका था विषैले के प्रभाव से यमुना तट के पेड़ पौधे सूख गए थे केवल 1 अध्याय कदम का वृक्ष हरा भरा था क्योंकि एक समय गरुड़ जी अमृतसर क्लास लाकर प्रधान के वृक्ष पर बैठे थे कलश में अमृत की बूंद गिर गई थी जिस कारण वह अमर हो गया भगवान श्री कृष्ण गेंद लाने के लिए हेट मारकर कदम पर चढ़ गए बंसी बांसुरी के पेट में लिया तत्पश्चात कालीदह में कूद गए उस समय काली ना निद्रा में था श्री कृष्ण दास जेल में कूदने से उत्पन्न हुए आवाज सुनकर उसे तेज फनकार मारी जिससे वहां का पानी खोलने लगा किंतु कन्हैया पर किसी प्रकार का प्रभाव ना हुआ वह मंद मंद मुस्कुराते रहे घर जब वह बहुत देर तक जल के ऊपर ना आए तब सभी बालबाला चिंतित होकर / बाबा के पास पहुंचे और सारा समाचार सुनाएं बालबाला यह भी कहने लगे कि कन्हैया कालीदह में डूब गए समाचार सुनते ही नंद बाबा यशोदा रोहिणी विमान तथा सभी ब्रजवासी व्याकुल होकर रोते रोते हुए वहां जा पहुंचे और कन्हैया कन्हैया का कर बारंबार करने लगे बाबा व्याकुल हो रहे थे नंदरानी यशोदा करोड़पति हुई उसी समय कहने लगी हे कन्हैया तुझे खिलाने के लिए माखन मिश्री लेकर बैठी थी तू अभी तक नहीं आया अब मैं किसी खिलाफ मेरे लाल तुम्हारे बिना मैं कैसे जीवित रहोगी उन्हें इस तरह विलाप करते एक बार राम जी उन्हें समझाते हुए आने लगी हे मैया तू चिंता ना कर त्रिलोकीनाथ हैं संपूर्ण जगत् उन्हीं में विद्यमान है उनके को दुख को तुम कई बार देख भी चुकी हो जिसने पल भर में कितना को मार डाला खेल-खेल में वासिला सुबह-सुबह आदर्शा सूरते राक्षसों को मार डाला वाला संपूर्ण जगत में ऐसा कौन है जो उनका अहित कर सके उधर मुरली मनोहर के सुंदर रूप कमल शरीर को देखकर नाथ पत्नियां कहने लगी हे बालक तुम यहां से चले जाओ अन्यथा मेरी स्वामी कालीन हाथ में 20 यूथ ज्वाला मयंक आर मात्र से जलकर भस्म हो जाओगे तब नटवर नागर बोले हैं नागपती नहीं हो तुम मुझे छोटा बालक समझकर भयभीत क्यों हो रही हो मेरा शरीर इंद्र के वज्र से भी कट हो रहा है मुझे सुकोमल बालक ना समझो और अपने स्वामी को जगह होते हुए नाक पत्नियां समेत एक साथ कई स्वर में बोले तुम मेरी बात नहीं मानता तो स्वयं जगा ले यह सुनकर श्री कृष्ण जी ने काली नाथ की पूंछ को जोर से दबाया उस समय तेज फनकार मारकर काली नाग ने अपने भयंकर आंखों को खोल दिया और देखा कि सामने एक बालक खड़ा था उसे गोद में भरकर घमंड भरे स्वर में कहा किसने मुझे जगा कर अपनी मौत को निमंत्रण दिया है तब काली नाथ के गर्व युक्त वचनों को सुनकर गर्व करने वाले भगवान श्री कृष्ण ने अपने शरीर में तीनों लोगों का भार समय पर अपने शरीर का विस्तार किया उसके भार से काली नाथ का विशाल शरीर टूटने लगा और घबरा कर उसने भगवान श्री कृष्ण को छोड़ दिया भगवान का यह हो तो हाल देख कर देता गण अति प्रसन्न हुए तीनों लोग को सुख प्रदान करने वाले सूखने धाम भगवान श्री कृष्णा नागपाश से छुटकारा उसके मस्तक पर चढ़ गए और बंसी बजाकर नृत्य करने लगे हुए काली नाथ के इस फंड से उस फंड पर करना चते ने लगे उसके पंख की ठोकर से काली नाथ के फलों से रक्त की धारा बहने लगी भगवान ने पल भर में उसकी बीच के घमंड को चकनाचूर कर दिया तब वह अत्यंत पीड़ा के कारण और धन अर्जित हो गया तब भगवान श्रीकृष्ण उसे नाथ कहकर सीखने लगे तब काली नाग को ब्रह्माजी के प्रथम का स्मरण हुआ और सोचने लगा कि नीचे रूप से यह वही बालक श्रीकृष्ण है जिसके अवतार लेने की बात ब्रह्मा देव ने बताया था मुझसे बहुत बड़ा अपराध हुआ है जो तीन लोक के स्वामी जगदीश्वर पर आपने विषैले कीड़ों से प्रहार किया तत्पश्चात वे प्रभु की शरण में हो कर कहने लगा हे जगत गीता ज्ञान व साथ में 20 केबल के घमंड में था आप के स्वरूप को ना पहचान सका मुझे अब से अपराध हुआ है किंतु आप संसार के पालनहार है मुझे अपराधी के अपराधों को क्षमा कर अभय दान दे प्रभु मैं आपकी शरण में हू नात पत्नियां भी भगवान वृंदावन बिहारी की स्तुति करने लगे तब प्रसन्न होकर वह खाली ना के मस्तक से नीचे कूद पड़े तत्पश्चात काली नाथ बिना पूर्वक करने लगा हे भगवान जिस प्रभु का दर्शन लोग जब तक करके भी नहीं पाते उन्हें अपने चरणों मेरे मस्तक पर रख कर मुझ पर अपनी असीम कृपा की है मैं आपको प्रणाम करता हूं श्री कृष्णा जी मन मन मुस्कुराते हुए बोले एक काली तू इस स्थान को त्याग कर अपने कुटुम परिवार सहित सागर में चला जा मेरे चरण पर का चिन्ह तेरे मस्तक पर सदैव अंकित रहेंगे किससे तुझे पूर्वक जी का भाई नहीं सताएगा और जो मनुष्य तेरी इस स्थान पर काली दा स्नान करेगा में पितरों का तर्पण करेगा उसके समस्त पाप का नाश होगा इस तरह भगवान ने काली नाथ के नाम को अमर कर दिया तदुपरांत काली ने कहा यह स्वामी अब आप इतनी कृपा और कीजिए आप मेरे मस्तक पर सवार हो जाए जिससे कि आपको किनारे तक पहुंचा दो भगवान उसके निवेदन को सुनकर प्रसन्न होकर मस्तक पर विराजे काली नाथ ने उन्हें व्यवसाय ऊपर उठा लिया भगवान श्री कृष्णा को सकुशल जालसू पर दिखाई देते ही समस्त ब्रजवासी प्रसन्न हो गए और नाचने गाने लगे खाली ना उन्हें तट किनारे तक पहुंचा कर प्रणाम किया और आपने हुकुम सहित राम मणि दीप चला गया
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Tenth Skandha Chapter 16 Beginning
Nathan Kalia Mardan Story of Kaliya Nag at the hands of Lord Shri Krishna
Shri Sukhdev ji said, O Rajanl, on the 1st day, Shri Krishna ji went in his arms in honor of the cowherd, driving the car and reached the banks of the Ganges. On the same day, Balram ji remained at home. When they reached the banks of Yamuna, the words fell into the net and quenched their thirst with Yamuna water, but all of them fell unconscious due to the effect of the poisonous prison there and flew away to catch their lives, then Shri Krishna ji easily knew that Kalidah By drinking the poisonous waters of theirs, they got speeded up, thinking of what answer Amma will give to their parents, they revived the girls of society with their nectar Mai vision, they got up in such a way as if they had woken up from the sleep, then Lord Nanda Nandan told him that by drinking the poisonous water of Kalidah, one of you is coming, after that he decided in his mind that it is better to take Kali Nath out of here, think that the next day he started playing ball with his children with Kalidas. Seeing that all of a sudden the ball fell into Kalidah, then Shri Krishna got worried. Sharing his patience, all of you said, don't worry about anything, I have come now after taking out the ball, saying that they went to Kalidah, the kajal had become toxic due to the call of Kali Nag, due to the effect of toxic, the trees and plants of Yamuna bank dried up. Went only 1 chapter The tree of Kadam was green because at one time Garuda ji was sitting on the tree of the head bringing Amritsar class, a drop of nectar had fallen in the urn, due to which he became immortal. Lord Shri Krishna hit the steps to bring the ball. When the bansi climbed into the stomach of the flute, then jumped into Kalidah, at that time Kali was not asleep. Hearing the sound that came from jumping into the jail, Shri Krishna Das gave him a loud shout, due to which the water started opening there, but Kanhaiya did not have any kind of effect. He kept smiling softly at home when he did not come above the water for a long time, then all Balbala got worried / reached to Baba and narrated all the news Balbala also started saying that on hearing the news Kanhaiya drowned in Kalidah Nand Baba Yashoda Rohini Viman and All the Brajwasis went there crying and crying and Kanhaiya went there to do Kanhaiya's tax again and again. Baba was getting distraught, Nandrani Yashoda became a millionaire at the same time, Kanhaiya was sitting with sugar candy to feed you, you have not come yet, now I am against someone, how will I survive without you Ji started coming explaining to them, O Maiya, don't worry, you are Trilokinath, the whole world exists in them, you have seen their misery many times, who killed so much in a moment, Vasila in the game and play in the morning Adarsh Surte the demons Who is there in the whole world who can harm them, on seeing the beautiful lotus body of Murli Manohar, Nath's wives started saying, oh boy, you go away from here, otherwise, 20 youths in my master's carpet, Mayank burns with a mere flame. If you will be consumed, then Natwar Nagar has said that you are not a snake, why are you getting scared considering me as a small child, my body is being cut even by Indra's thunderbolt, do not consider me a soft child and keep your master in place with many wives together with nose If you do not listen to me, then wake up yourself, Shri Krish after hearing this. At that time Kali Nag opened his fierce eyes with a loud sound and saw that a boy was standing in front of him, filling him in his lap and said in a proud voice, who woke me up and invited his death. Then Lord Shri Krishna, who was proud of listening to the proud words of Kali Nath, expanded his body on time with the weight of all the three people in his body. If God left this, then the Gana was very pleased to see the condition of the three people, Lord Krishna, who gave happiness to the three people, got rid of Nagpasha, climbed on his head and started dancing by playing flute, from this fund of Kali Nath. But due to the stumbling of his feather, a stream of blood started flowing from the fruits of Kali Nath. When he started learning, Kali Nag remembered Brahmaji's first and started thinking that this is the same child Shri Krishna from below. Whose incarnation was told by Brahma Dev that I have committed a very big crime, who attacked Jagdishwar, the lord of the three worlds with venomous insects, after that he took refuge in the Lord and started saying, O Jagad Gita, knowledge and pride of 20 cables. I was unable to recognize the nature of you, I have committed a crime from now on, but you are the savior of the world, forgive me the crimes of the criminal and give me blessings, Lord, I am in your shelter and my wives also started praising Lord Vrindavan Bihari, then they became happy. He jumped down from his empty head, after that Kali Nath started doing it without any help, Lord, the Lord whom people can't see till they are able to see him, by keeping him at his feet on my head, I bow down to you, I bow to you. Krishna ji said smiling in his mind, a Kali, you leave this place and go to the ocean with your family and the sign of my feet will always be inscribed on your head, so that you are not the brother of the former.Will persecute and the person who will take a bath in Kali da at this place of yours, all his sins will be destroyed, in this way God has immortalized the name of Kali Nath, after which Kali said, this lord, now you are so kind and please my head. Get aboard so that you can reach the shore, Lord, being pleased to hear his request, Kali Nath, sitting on his head, lifted him up his business. As soon as Lord Shri Krishna was seen on the safe Jalsu, all the Brajwasis became happy and started dancing and singing. Saluted him after reaching the shore and you went to Ram Mani Deep with spades.
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