श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 14 आरंभ
ब्रह्मा जी द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति
श्री सुखदेव जी कहने लगे हे राजा परीक्षित भगवान श्री कृष्ण की कृपा से ब्रह्मा जी को ज्ञान हो गया तत्पश्चात हुए स्तुति करते हुए कहने लगे एक प्रभु संपूर्ण जगत के कर्ता-धर्ता एवं हारता आप ही है मैं आपको प्रणाम करता हूं एवं ब्रह्म परमेश्वर आपने अपनी इच्छा अनुसार या शरीर धारण किया है मैं ब्रह्मा होकर भी आप की महिमा ना जान सका आपक नन्हे हाथों में कंगन बाजूबंद गले में 1 माला और हाथ में दही भात का को अत्यंत शोभायमान हो रहा है कि स्वामी हे जगत के पालनहार अग्नि अज्ञान के कारण मैंने आपकी परीक्षा लेना चाहा आप मेरे इस अपराध को क्षमा करें मैं आपकी शरण में आया हूं मैं अपने आप को सृष्टि कर्ता समझने की भूल किया इसलिए मैं लज्जा को प्राप्त हुआ इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण जी की स्तुति करके ब्रह्मा जी आपने लोग चले गए
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Tenth Skandha Chapter 14 Beginning
Praise of Lord Shri Krishna by Brahma Ji
Shri Sukhdev ji started saying, O King Parikshit, by the grace of Lord Shri Krishna, Brahma ji got knowledge, after that while praising he started saying that one Lord, you are the doer and loser of the whole world, I bow to you and Brahma Parmeshwar has given you his own. I have assumed the body as per desire or body, I could not know the glory of you even after being Brahma, 1 garland around the bracelet armband in your small hands and a piece of curd rice in my hand is getting very beautiful that Lord, O Lord of the world, due to ignorance I have made fire. Wanted to test you, you forgive my offense, I have come under your shelter, I made the mistake of considering myself as the creator, so I got ashamed, thus by praising Lord Shri Krishna Ji, Brahma Ji, you people left
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