श्रीमद् भागवत कथा पुराण दसवां स्कंध अध्याय 12 आरंभ
अघासुर वध का वृत्तांत
श्री सुखदेव जी बोले हे राजन 1 दिन प्रातः काल श्री कृष्ण जी आपने बालसखा उनके साथ गांव कराने हेतु वन में जा रहे थे कल का भेजा राक्षस उन्हें मारने के लिए विशाल अजगर का रूप धारण कर मार्ग में आ बैठा उसका नाम अघासूर था ग्वाला बालको ने उसे देखकर आश्चर्य किया उसके नीचे का वोट पृथ्वी पर और ऊपरी भाग आकाश को छू जाने रहा था वाला बाल आपस में कहने लगे कितनी विशाल गुफा तो जिसकी पहले यह ना थी ना उसक ग्वाले वालों ने कहा हो सकता है पर्वत की कोई विशाल शीला सरकारी यहां पड़ी हो हुए इस तरह की बातचीत करते हुए अघासुर के मुंह के पास जा पहुंचे तब उसने बड़े जोर से सुहास खींची जिसे समस्त गाय बछड़े और वाला माल उसकी मुख में समा गए उस समय भगवान श्री कृष्णा और बलराम जी बाहर खड़े थे जब उन्होंने देखा कि समस्त वाला बाल एवं गाय बछड़े अजगर के मुंह में समा गए तब वे स्वयं उसके मुख्य में चले गए कृष्णा और बलराम को मारने के लिए वह आया ही था उसके मुख में प्रवेश करते ही प्रसन्न होकर लगा अघासुर ने अपने झगड़ों को बांध कर लिया और विचार करने लगा कि आज सुनता वात्सल्य सूर बकासुर आदि का बदला पूरा हो जाएगा और महाराजगंज भी मुझ पर प्रसन्न होंगे यह महाराज परीक्षित जिस समय अघासुर इस तरह विचार कर रहा था उसी समय भगवान नंद नंदन ने अपने तन का विस्तार करना आरंभ किया और कुछ ही क्षण में उनके विशाल शरीर से अघासुर का पेट फट गया और उसकी मृत्यु हो गई उस अजगर के शरीर से एक ज्योतिपुंज निकालकर भगवान श्री कृष्ण जी के चरणों में समा गई
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Tenth Skandha Chapter 12 Beginning
Aghasura Slaughter
Shri Sukhdev ji said, O Rajan, on the 1st day of the morning, Shri Krishna ji, you were going to the forest to get Balsakha with him. He was surprised to see that the vote below him was going to touch the earth and the upper part was going to touch the sky, the hair started saying amongst themselves, what a huge cave, which did not have it before, nor the people of its cowherd may have said that there is a huge Sheela of the mountain government here. While lying while talking like this, he reached near the mouth of Aghasur, then he drew loudly all the cows, calves and all the goods in his mouth, at that time Lord Shri Krishna and Balaram were standing outside when they saw that All the hair and cow calves got into the mouth of the dragon, then they themselves went to its main, he had come to kill Krishna and Balarama, as soon as he entered his mouth, Aghasur tied up his quarrels and thought. Started saying that listening to Vatsalya Sur, Bakasur etc. will be completed today and Maharajganj will also be pleased with me. Will be this Maharaj Parikshit, at the time when Aghasura was thinking like this, at the same time Lord Nand Nandan started expanding his body and in a few moments Aghasura's stomach burst from his huge body and he died from the body of that dragon. Taking out a light beam, it fell at the feet of Lord Shri Krishna.
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