श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 9 आरंभ
राजा भागीरथ ही का ताप एवं गंगा अवतार का वृतांत श्री सुखदेव जी बोले हे राजन् आपने 60000 पूर्वजों का उद्धार करने हेतु गंगाजी को पृथ्वी पर लाने के लिए आयुष्मान ने कठिन तपस्या की और मृत्यु को प्राप्त हुआ तब उनके पुत्र दिलीप राजा वा और अपने पिता आयुष्मान की तरह तब करके गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रयत्न किया किंतु वह भी असफल हुए तपस्या करते हुए उनकी मृत्यु हो गई फिर भी गंगा जी पृथ्वी पर ना आए दिलीप के शरीर त्यागने के पश्चात दिलीप के पुत्र भागीरथ ने घनघोर तपस्या की भागीरथी पुस्तक से प्रसन्न होकर गंगा जी उन्हें दर्शन देकर बोली तेरी क्या इच्छा है तब भागीरथी जी बोले मेरे 60000 पुत्र पिता मां कपिल मुनि के गोद अग्नि में जलकर भस्म हो गए उनकी उधार हेतु आप पृथ्वी पर पधारें आपकी कृपा होगी माता भागीरथी के वचनों को सुनकर गंगा जी बोले हे भागीरथी मैं पृथ्वी पर चलने को तैयार हूं किंतु मेरे आकाश से गिरने पर पृथ्वी रफ्तार हो चले जाएगी दूसरी बात यह है कि मेरे जल में पापी जाना अपने पापा को धोकर पाप मुक्त रहेंगे मैं उस पाप को कहां धूम तब राजा भागीरथी बोले हैं माता मैं श्री महादेव जी की स्तुति करूंगा हुए आपके वे को सहन करने में समास हैं हे माता जी तरफ आप ही अपने बाप को आप के जल में दोपहर बाद में करेंगे उसी तरह हरि भक्त साधु जाने एवं ऋषि तपस्वी भी आप के जल में स्नान करेंगे उनकी स्पर्श मात्र से पापियों का पाप रूपी माइल आपको प्राप्त नहीं होगा तत्पश्चात गंगा जी अंतर्ध्यान हो गई तब राजा भागीरथी भगवान शिव जी का तप करना आरंभ किया भगवान रुद्र ने प्रसन्न होकर भागीरथी प्रदर्शन दिया और बोले हे राजा भागीरथ मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न वर मांगो भागीरथी बोले हे भगवान कपिल मुनि के ग्रुप से मेरे साथ हजार को व जलकर भस्म हो गए उनके धार है तो मैं गंगा जी को पृथ्वी पर लाना चाहता हूं आप उनकी टीम को अपने मस्तक पर धारण करें शिव जी ने भागीरथी रोशनी को मानकर गंगा जी को अपनी जटाओं में रोक दिया और भागीरथी द्वारा पूर्ण प्रार्थना करने पर अपनी जटा से एक दिया तब आगे आगे राजा भगीरथ ने अपने पीछे पीछे हर हर करती गंगा जी चरण सर्श पाते ही भागीरथी के साठ हजार पुत्रों का उद्धार हो गया तत्पश्चात प्रयाग होते हुए गंगा जी पूर्व दिशा में चली गई हे राजा परीक्षित तब से गंगा जी नित्य करोड़ों पापियों के पाप को निरंतर धोती आ रही है उन्हें धर्मात्मा भागीरथी के वंशज में राजा रितु हुए चोर आज राजा नल के परम मित्र थे रितु पांडे राजा नल को जुआ खेलने की विद्या सीख लाया और कुणाल ने उन्हें घोड़े पर चढ़ने की विद्या सीख लाइटर रितु पुत्र सदस्य हुए एक बार सूरदास वन में शिकार खेलने गए और एक असुर को मार डाला और सूर के भाई ने राजा सुदास से बदला लेने का निश्चय किया जिसमें राजा सुदास से युद्ध करने की शक्ति ना थी इसलिए उन्हें ब्राह्मण का वेश धारण कर राजा सुदास के समक्ष सामने जाकर बोला हे राजन मैं बहुत अच्छा रसोईया हूं आप मुझे राजमहल में नियुक्त कर लें उनकी बात मान कर राजा सुदास उसे अपने साथ ले गए और रसूल का काम सौंप दिया एक बार राजा ने अपने यहां बहुत से ऋषि-मुनियों को भोजन कराने के लिए आमंत्रित किया और 16 प्रकार का व्यंजन तैयार कराया वशिष्ठ आदि ऋषि गण भोजन करने के लिए आए उधर रसोई के काम पर नियुक्त असुर ने राजा से बदला लेने का उचित अवसर जान भोजन में सूअर का मांस मिला दिया ऋषि गण के सम्मुख उठाकर भोजन परोसा गया उन्हें जल्द से भोजन करने के लिए यूं ही हाथ आगे बढ़ाएं उसी समय आकाशवाणी हुई है रिसीव यह भोजन तुम सबकी योग्य नहीं है इसे सूअर का मांस मिला है यह सुनते ही डिसीजन खुद हो गए और भोजन छोड़ कर उठ खड़े हुए और राजा को शराब दिया राजा सुदास तुमने हमें राक्षस समझकर मांस परोसा इसलिए जा तू राक्षस हो जा और 12 वर्ष तक मांस भक्षण कार ऋषि द्वारा शराब सुनकर राजा सुदास बोले हैं ऋषिराज मेरी जानकारी के बिना किसी ने भोजन में मांस मिला दिया है मेरा कोई दोस्त नहीं है फिर भी आपने मुझे शराब दिया इसलिए मैं आपको भी शराब देता हूं यह कह कर उन्होंने वशिष्ठ को श्राप देने के लिए जिओ की हाथ में जल डाला उसी समय उनकी पत्नी ने जाकर उन्हें रोक दिया और तब उन्होंने यह जला अपने पैरों पर डाल दिया जिससे उनके ऊपर काले हो गए हे राजा परीक्षित ऋषि के श्राप के कारण राजा सुदास की बुद्धि राक्षसों के समान हो गई जिससे उनका नाम कल बात हुआ 1 दिन मन में एक ब्राम्हण एवं उनकी स्त्री को बिहार करते हुए देखा कल बाद ने ब्राह्मण को पकड़ लिया और बहनों से निवेदन करने पर भी वह नाम आना और ब्राह्मण को खा गया तब ब्राह्मण ने उसे श्राप दिया एक कल रात जब तू अपनी स्त्री विश्वास करेगा उसी समय तेरी मूर्ति हो जाएगी धीरे-धीरे 12 वर्ष का समय बीत विदित हो गया और राजा सुदास ऋषि के श्राप से मुक्त हो गए और वापस राजमहल है परंतु ब्राह्मणी के श्राप से स्त्री संवर्ग करके पुत्र उत्पन्न नहीं कर सकते थे तब एक दिन वशिष्ठ जी का आगमन हुआ और राजा ने उनकी बहुत सेवा की तब गुरु वशिष्ट ने प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया हे राजन बिना भूख की ही तेरी स्त्री के गर्भ से पुत्र उत्पन्न होगा उसी दिन रानी गर्भवती हो गई और 7 वर्ष बाद अशमक नामक पुत्र उत्पन्न हुआ अशोक का पुत्र मूलांक हुआ जब परशुराम जी सारी पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर रहे थे स्त्रियों ने मूलांक को छुपा लिया और उसी से छतरी वंश चला
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Nava Skandha Chapter 9 Beginning
King Bhagirath's story of heat and Ganga incarnation Shri Sukhdev ji said, O king, to bring Gangaji to earth for the salvation of 60000 ancestors, Ayushman did hard penance and died, then his son Dilip Raja and his father Ayushman Like then he tried to bring Ganga to earth, but he also failed, he died while doing penance, yet Ganga ji did not come to earth. After seeing him, Ganga ji said what is your wish, then Bhagirathi ji said that my 60000 sons, father mother Kapil Muni's lap was burnt to ashes in the fire, you come to earth for his loan, you will be pleased to hear the words of mother Bhagirathi, Ganga ji said. Bhagirathi I am ready to walk on the earth, but when I fall from the sky, the earth will speed up, the second thing is that going to my water a sinner will wash my father and remain sin-free, where do I smoke that sin, then King Bhagirathi has said, Mother, I am Mr. I will praise Mahadev ji. O Mother, you will be able to bear your father in your water later in the afternoon, in the same way Hari devotees go to the sadhus and the sage ascetics will also bathe in your water, by the mere touch of them you will get the mile of sinners. It would not happen after that Ganga ji became contemplative, then King Bhagirathi started doing penance to Lord Shiva, Lord Rudra was pleased and gave Bhagirathi performance and said, oh King Bhagirath, I am pleased with your tenacity, ask for a boon Bhagirathi said, oh Lord Kapil with me from the group of sages. Thousands were burnt to ashes, so I want to bring Ganga ji to earth, you should wear his team on your head, Shiva stopped Ganga ji in his hair by accepting Bhagirathi light and praying full prayer by Bhagirathi. But when he gave one from his hair, then King Bhagirath followed him every step of the way. She has been continuously washing away the sins of crores of sinners. King Ritu became a thief in the descendant of Mata Bhagirathi, today Ritu Pandey was the best friend of King Nal. And killed an Asura and Sur's brother decided to take revenge on King Sudas, who did not have the power to fight with King Sudas, so he disguised as a Brahmin and went in front of King Sudas and said, O king, I am a very good cook. You should appoint me in the palace, obeying them, King Sudas took him with him and handed over the work of Rasool. Adi Rishi Gana came to have food, while the Asura appointed on the kitchen work, knowing the right opportunity to take revenge on the king, mixed pork in the food, the food was raised in front of the Rishi Gana and he was handed over to eat quickly. Increase it at the same time AIR has been received, this food is not worthy of all of you, it is like pork. On hearing this, the decision itself was made and after leaving the food, stood up and gave wine to the king, King Sudas, you considered us a monster and served meat, so you become a demon and after listening to the wine by the sage who eats meat for 12 years, King Sudas has said. Rishiraj, without my knowledge, someone has mixed meat in the food, I have no friends, yet you gave me alcohol, so I give you alcohol, saying that he put water in the hands of Jio to curse Vashistha at the same time. The wife went and stopped them and then she put this burn on her feet, which turned black on her, O King Sudas's intellect became like demons due to the curse of the sage Parikshit, due to which his name was spoken yesterday, 1 day a day in his mind. Saw the brahmin and his wife doing Bihar yesterday, the latter caught the brahmin and even after requesting the sisters, he came and ate the brahmin, then the brahmin cursed him one last night when you will believe your woman, at the same time your idol It will be known that gradually the time of 12 years has passed and King Sudas will be free from the curse of Rishi. Gone and returned to the palace, but could not produce sons by cadre of women due to the curse of Brahmin, then one day Vashisht ji arrived and the king served him a lot, then Guru Vashisht was pleased and blessed him, O Rajan without hunger. A son will be born from your woman's womb, on the same day the queen became pregnant and after 7 years a son named Ashmak was born, Ashoka's son was Moolank, when Parashuram ji was making the whole earth devoid of Kshatriya, the women hid the radiance and from that the Chhatri dynasty walked
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