श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 6 आरंभ
पूरा नियम एवं माधव अता का वृतांत दुर्वासा ऋषि के चले जाने तक की कथा सुनने के बाद श्री सुखदेव जी महाराज भोले परीक्षित राजा अमरीसा के वंश में छूट नामक राजा वा हुए बहुत प्रभावित थे एक बार आजा ही छवि ने अपने पुत्र को 1 से पशुओं को मारकर लाने का आदेश दिया दीक्षित न 1 में जाकर एक हिरण मारा और अत्यधिक भूख लगने के कारण हिरण का थोड़ा सा मांस खा लिया और शेष बचे भाग को पितरों को श्रद्धा करने हेतु लाकर आ जाए इस सवाल को दे दिया गुरु वशिष्ठ ने देखा कि हिरण का मांस जूठा है तब हुए राजा से बोले हे राजन् यह मां श्रद्धा करने योग्य नहीं है इसमें से थोड़ा सा मांस खाकर तुम्हारे पुत्र ने अशुद्ध कर दिया है बिछा यूपी इस कार्य से को अतीत होकर इच्छाओं ने उसे देश से निकाल दिया कुछ काल बादशाहों की मृत्यु हो गई तब वशिष्ठ जी ने विष्णु को बुलाकर उसका राज अभिषेक करा दिया राजा विष्णु को कुछ दिनों के पश्चात पुरानी झाइयों नामक पुत्र उत्पन्न हुआ एक बार देवता एवं दैत्यों के संग्राम में देवता हार गए तब ब्रह्मा जी के कहने पर पूरा अंजू के पास जाकर अपनी सहायता के लिए कहा तब वह बोले हे देवराज इंद्र मैं तुम्हारी सहायता करूंगा किंतु युद्ध करते समय मेरा पल इतना अधिक पड़ेगा कि हाथी घोड़ा हाथी मेरे भार को नहीं उठा सकेंगे इसलिए तुम्हें बैल बांधकर होगा जिस पर सवार होकर मैं युद्ध करूंगा राजापुर अंजू के वचनों को शिवहर पर इंद्र जी बाल बने और उस पर सवार होकर कुरान जाए उन्हें संग्राम किया और दैत्यों को परास्त कर किया वाहन बनने के कारण इंद्र का नाम तू और पूरा नियम का नाम इंद्र वा हुआ यीशु वंश में कुछ काल बाद श्रावस्ती नामक राजा हुआ उसने श्रावस्ती पूरी बसाया राजस्वास्थ्य के पुत्र वृद्ध आश्रम वृद्धाश्रम के कुल वंशम एवं उत्तंग ऋषि की प्रशंसा के पुल वासन ने ढूंढूं नामक महाबली देते को मारा जिससे उसका नाम दोनों मार हुआ दोनों देख कर के मुख से निकली अग्नि में वालसा में 21000 पुत्र जल भरे हो गए केवल 3 पुत्र शेष बचे दृष्टांत कपिल सा एवं भद्रासा उड़ीसा से निकुंभ निकुंभ से वाराणसी उससे विश्वा विश्वा से संजीत तथा उसने ऐसा उत्पत्ति हुई किंतु राजा युवान सा को पुत्र प्रार्थना हुई राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए ऋषि यों से प्रार्थना की तब रिसीवर ने राजा से इंद्र देवता का यज्ञ कराया और यज्ञशाला के कलश को अभिमंत्रित कर राजा को देकर बोले हे राजन् इस जल को ले जाकर रानी को पिला देना रानी गर्भवती हो जाएगी और समय अनुसार पुत्र उत्पन्न होगा किंतु होनहार कुछ और था राजा ने कलश पूजा कर रख दिया और स्वयं सो गए रात्रि को उन्हें बहुत जोर से प्यास लगी और भूल वह क्लास में रखे जल को उठाकर पी गए प्रातः काल विषयों को यह बात ज्ञात हुई तब हुए राजा से बोले हे राजन् श्री हरि नारायण की इच्छा हुई थी अब तुम्हारे पेट से पुत्र उत्पन्न होगा 10 मई माह में रिज्यूमे राजा युवान सा की दाहिनी आंख फाड़ कर बच्चे को बाहर निकाल लिया और घाव को सीन दिया बालक जब भूख व्याकुल होकर रोने लगा तब इंद्र ने आकर अपना अमृत माय अंगूठी उनके मुंह में दे दिया इंद्र ने बालक के लिए माता का कार्य किया जिस कारण बालक का नाम माता हुआ तत्पश्चात मतदाता को अमरीसा पूर्व कुल मुंजिद कुल आदि पुत्र एवं 50 कन्या उत्पन्न हुए उन्होंने उन 50 कन्याओं को सौभारी ऋषि यों के कहने पर शराब के डर से उन्हें दिया दिया सर अभी कृषि न अपनी योग बल से सुंदर स्वस्थ शरीर धारण कर उन कन्याओं के साथ सुख भोग विलास किया काल इसी तरह व्यतीत हो गया तब सोमवार ऋषि ने विचार किया कि भोग विलास में आयुष समाप्त करना उचित नहीं है इसलिए आप प्रभु के श्री चरणों का ध्यान करना चाहिए जिसमें मेरा लोक परलोक सुधर जाए तत्पश्चात वे पत्नियों सहित वन में जाकर तब करने लगे और योगाभ्यास द्वारा स्थान का त्याग वैकुंठधाम को चले गए उनकी पत्नियां ने भी उनके साथ देह का त्याग कर दिया
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Nava Skandha Chapter 6 Beginning
After listening to the complete rules and the story of Madhav Ata till Durvasa Rishi left, Shri Sukhdev Ji Maharaj was very impressed by the name of Chhuti in the lineage of Bhole Parikshit King Amrisa. Dixit ordered to bring it to death and killed a deer in no 1 and due to excessive hunger ate a little meat of the deer and asked the question to bring the remaining part to the ancestors for reverence, Guru Vashistha saw that the deer When the flesh of the king was left, he said to the king, Rajan, this mother is not worthy of reverence, by eating a little meat out of it, your son has made it impure. When he died, Vashistha called Vishnu and got him anointed. After a few days, a son named Old Jhai was born to King Vishnu. Asked for his help, then he said, O Devraj Indra, I will help you. But while fighting, my moment will be so much that elephant horse elephant will not be able to lift my load, so you will have to tie a bull on which I will fight on which I will fight Rajapur Anju's words on Shivhar become Indra ji and riding on him the Quran goes to him. fought and defeated the demons, because of becoming a vehicle, the name of Indra became you and the entire rule was named Indra and the whole rule, after some time in the Jesus dynasty, there was a king named Shravasti, he established the whole of Shravasti, the son of Rajswastha, the family of the old age home, the family and the great sage. Vasan, a bridge of praise, killed Mahabali Dete named Khundoon, due to which both his names were killed, seeing both of them, 21000 sons were filled with water in Valasa in the fire that came out of his mouth, only 3 sons left Illustration Kapil Sa and Bhadrasa from Orissa Nikumbha from Nikumbh Varanasi was blessed with Vishwa Vishwa and he was born like this, but the son was prayed to King Yuvan Sa, the king prayed to the sage like this to get a son, then the receiver made the king perform a yajna to the god Indra and invited the urn of the yagyashala and gave it to the king. said hey Take this water and give it to the queen, the queen will become pregnant and according to the time a son will be born, but something else was promising. After picking up the water and drinking it in the morning, the subjects came to know about this, then the king said to the king, Shri Hari Narayan had a desire, now a son will be born from your stomach, in the month of May 10, tearing the right eye of the king Yuvan Sa, the child out. Removed and sewed the wound, when the child started crying after being hungry, then Indra came and gave his nectar my ring in his mouth Indra acted as a mother for the child, due to which the name of the child was mother, after that the voter was given the name of the former Kul Munjid. A total of Adi sons and 50 girls were born, they gave those 50 girls to them because of fear of alcohol at the behest of the sage sage. When Monday was over, the sage thought that it is not appropriate to end Ayush in the pleasures. That is why you should meditate on the feet of the Lord, in which my world is improved, after that he started doing it in the forest with his wives and went to Vaikunth Dham by practicing yoga, his wives also left the body with him.
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