श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 20

श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 20 आरंभ



पूर्व वास के राजा दुष्यंत का वृतांत

श्री सुखदेव जी बोले हे राजा परीक्षित जी श्वास में तुमने जन्म लिया इससे पूर्व वर्ष में कई पीढ़ियों के पश्चात राजा दुष्यंत नामक एक महान यशस्वी राजा हुए एक दिन शिकार हेतु वह जंगल में गए थे वहां उन्होंने एक अत्यंत सुशील एवं सुंदर कन्या को कांड ऋषि के आश्रम में पक्षियों को दाना डालते हुए देखा उन्हें देखते ही राजा दुष्यंत उस पर मोहित हो गए और उसके निकट जाकर पूछ रहे सुंदरी तुम किसकी पुत्री हो राजा दुष्यंत को देखकर वह संकोच भाव से नजरों को झुका कर बोली है राजन मैं ऋषि विश्वामित्र और स्वर्ग की अप्सरा मेनका के सहयोग से उत्पन्न हुई गाना ऋषि ने मेरा पालन पोषण किया मेरा नाम शकुंतला है ऋषि कन्या ने दुष्यंत जी का आदर सत्कार किया वह भी राजा दुष्यंत पर मुक्त हो गई उसी समय राजा दुष्यंत ने शकुंतला से गंधर्व विवाह का संभोग किया तत्पश्चात हुए अपने राजमहल लौट आए उस 1 दिन के संभोग से उसे गर्व रह गया और समय अनुसार एक बालक ने जन्म लिया गाना ऋषि ने उस बालक का नाम भारत रखा वह बालक निर्भय होकर सी हंसी इन बच्चों के बीच खेलता था भरत की वीरता और निडरता देखकर और इसी अत्यंत प्रसन्न थे एक दिन वह शकुंतला से बोला एक पुत्री तू अपने पुत्र को लेकर राजा दुष्यंत के पास चली जा शकुंतला ने उसकी बात मान कर भारत को साथ लेकर जल्दी मार्ग में उसे बहुत जोर से प्यास लगी और निकट एक सरोवर देखकर पानी पीने चली गई पानी पीते समय राजा दुष्यंत द्वारा चिह्न स्वरूप दिए गए अंगूठी शक्कर सरवर में गिर गई जिससे एक मछली निकल गई पानी पीकर शकुंतला चली गई उसी सरोवर पर मछलियां पकड़ने के लिए एक मछुआरा आया और अपना जाल सरोवर में डाल दिया उसके जाल मोहम्मद अली भी आ गई और शकुंतला की अंगूठी निकल गई थी मछुआरे ने जब उस बड़ी मछली के टुकड़े किए तब वह राजघराने की अंगूठी मिली उधर जब शकुंतला राज दरबार में पहुंची तो राजा दुष्यंत उसे पहचान ना सके और बोले हे सुंदरी तुम हमको तक शकुंतला बोली हे राजा क्या आप मुझे भूल गए मैं आपकी शकुंतला हूं हिंदू राजा दुष्यंत को फिर भी याद ना आया तब राजा परीक्षित ने श्री सुखदेव जी से पूछा है महात्मा राजा दुष्यंत जी शकुंतला को क्यों भूल गए तब सुखदेव जी बोले हे राजन् एक बार दुर्वासा ऋषि मिलने हेतु कारण ऋषि के आश्रम में आए उसी समय काशीनाथ है तो केवल शकुंतला थी और वह राजा दुष्यंत की यादों में खोई हुई थी उस कारण दुर्वासा ऋषि को प्रणाम ना किया आप जानते ही हैं कि दुर्वासा ऋषि अत्यंत क्रोधित स्वभाव के हैं शकुंतला द्वारा प्रणाम ना किए जाने पर उन्होंने क्रोधित होकर श्राप दे दिया की कन्या जिसकी याद में खो कर तूने मुझे प्रणाम नहीं किया वह तुझे भूल जाएगा तब शकुंतला ने बहुत प्रकार से ऋषि दुर्वासा से बिना की तरह शांत होकर लेकर आना होगा हां यह हो सकता है कि उचित समय पर उसे भूली हुई है बातें याद आ जाएगी और वह तुझे शिवहर कर लेगा हे राजन जब शकुंतला राजा दुष्यंत के पहना जाने से इंकार कर दिया तो हाथी दुखी होकर बिना करने लगी उसी समय मछली के पेट से निकली स्वर्ण अंगूठी लेकर मछुआरा राज दरबार में उपस्थित हुई अंगूठी देखते ही राजा दुष्यंत खुली हुई शकुंतला की याद आ गई तब उन्होंने शकुंतला को सम्मान के साथ रखा बालक भारत को राज्य स्तर पर उत्तराधिकारी बना दिया राज सिंहासन पर आसीन होने के उपरांत भारत में यज्ञ और ब्राह्मणों को बहुत सारी हुए एवं रखना आदि दान में दिए और की रात मच्छर आदि को पराजित की फ्री यमुना तट पर थार यज्ञ किस देश के राजा ने अपने 3 कन्याओ का विवाह राजा भरत से कर दिया रानियों से कई पुत्र उत्पन्न हुए किंतु उन रानि ने कई पुत्र उत्पन्न हुए किंतु उन रानि ने बालकों की उर्वरता देखकर या कहा गंगा में फेंक दिए राजन कहेंगे कि यह मेरे पुत्र नहीं है तब राजा कांग्रेसी के कहने पर संतान की उत्पत्ति के लिए मारु तो उसमें नामक यज्ञ कराया जी से प्रसन्न होकर देवताओं एवं मारुति गणों ने भारद्वाज नामक पुत्र उन्हें प्रदान किया वहीं बालक भारत के राज सिहासन का उत्तराधिकारी हुआ

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Nava Skandha Chapter 20 Beginning

Story of King Dushyanta of Purva Vasa

Shri Sukhdev ji said, O King Parikshit ji, you were born in the breath. Earlier in the year, after many generations, there was a great successful king named King Dushyant, one day he went to the forest for hunting, where he killed a very intelligent and beautiful girl as a Kand Rishi. Seeing the birds in the ashram, seeing them, King Dushyant was fascinated by him and after going near him, the beauty, whose daughter are you, seeing King Dushyant, she bowed her eyes with hesitation and said, Rajan, I am sage Vishwamitra and heaven. The song originated with the help of Apsara Menaka, the sage nurtured me, my name is Shakuntala. Returning to the palace, he was proud of that one day's intercourse and according to the time a child was born, the sage named that child Bharat, that child used to play fearlessly among these children, seeing Bharat's valor and fearlessness and so on. He was very happy. One day he spoke to Shakuntala, a son. Ri you took your son and went to King Dushyant, Shakuntala accepted his words and took India along with him on the way, he felt very thirsty and went to drink water after seeing a lake near by King Dushyant while drinking water. The ring fell into the sugar sarovar, due to which a fish came out after drinking water, a fisherman came to catch fish on the same sarovar and put his net in the sarovar, his net Muhammad Ali also came and Shakuntala's ring was removed when the fisherman When Shakuntala reached the royal court, King Dushyant could not recognize her and said, O beautiful lady, Shakuntala spoke to us, O king, have you forgotten me, I am your Shakuntala to Hindu king Dushyant. Still did not remember, then King Parikshit has asked Shri Sukhdev ji, why did Mahatma King Dushyant ji forgot Shakuntala, then Sukhdev ji said, O Rajan, once the reason for meeting Durvasa Rishi came to the sage's ashram, at the same time Kashinath was there, only Shakuntala was there. And she was lost in the memories of King Dushyanta, because of that Durvasa Rishi He did not bow down, you know that Durvasa Rishi is of a very angry nature. From sage Durvasa will have to be brought calmly as without At the same time without being sad, the fisherman with a golden ring coming out of the stomach of the fish remembered Shakuntala, after seeing the ring, opened Shakuntala, then he kept Shakuntala with respect. After sitting on the throne, many sacrifices were done in India and donated to the Brahmins and kept etc. And that night the mosquito etc. were defeated and the Thar Yagya on the banks of the Yamuna, the king of which country married his 3 daughters to King Bharat. Many sons were born from the given queens, but those queens gave birth to many sons. The sons were born, but those queens, seeing the fertility of the children or threw them in the Ganges, said that Rajan would say that this is not my son, then at the behest of the king Congressman, then Maru for the birth of children, then he was pleased with the gods and maruti ganas. gave him a son named Bharadwaj, while the child was the heir to the throne of India.

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