श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 19 आरंभ
राजा ही अतीत को ज्ञान उत्पन्न होना श्री सुखदेव जी बोले बहुत दिनों तक राज आई अतीत विषय भोग में लिप्त रहे तब एक दिन मन में विचार कर देवयानी से पानी लाने के प्रिय मेरी दशा बहुत काम मैंने बकरे के समान है जो कुएं में गिरी थी बकरी को खुलने से बाहर निकाल दिया बकरी उससे अपना स्वामी समझने लगी हो उसी से सांसारिक सुख प्राप्त करने लगे कुछ दिन पश्चात वह बकरा अपने बकरी के साथ बिहार करने लगे यादें करवा बकरी जिसे बकरी ने कुएं से बाहर निकाला था आपने पालक के पास चली गई और बकरे की कथा बताइए तब बकरे को पालने वाले ब्राह्मण ने बकरे का अंडकोष निकाल लिया किंतु बकरे के अनुनय विनय करने पर वापस कर दिया बकरा पुनः पुनर वृत्ति हो गया और पुनः बकरियों से भोग विलास करने लगा वही दशा मेरी हो रही है अतः हे देवयानी हम सांसारिक सुखों का त्याग कर श्री नारायण के चरणों का ध्यान कर अपने लोगों के ऊपर लोग को सवारी यह कह कर उन्होंने अपने चारों पुत्रों को चार दिशा का राज प्रदान कर पुर को रात सिहासन पर बैठाकर तब करने के लिए वन में चले गए
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Nava Skandha Chapter 19 Beginning
Lord Sukhdev ji said that for a long time, the king came to the past and indulged in enjoyment, then one day after thinking in my mind, my condition is like a goat that fell in the well. The goat has started thinking of him as his master, after a few days that goat started doing Bihar with his goat, remembering the goat whom the goat had taken out of the well, you went to the foster and Tell the story of the goat, then the brahmin who raised the goat took out the testicles of the goat, but on the request of the goat, the goat again became instinct and again started enjoying the pleasures of the goats, the same condition is happening to me, so O Devyani, we After renouncing worldly pleasures and meditating on the feet of Shri Narayan, saying this, he gave the rule of four directions to his four sons and then went to the forest to do the night sitting on the throne.
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