श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 17 आरंभ
राजा पुरवा का वंश वर्णन श्री सुखदेव जी बोले ही राजा परीक्षित एक बार देवराज इंद्र के मन में दुराचार उत्पन्न हो गया उसके मन में गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या को देखकर उसके साथ पर विचार करने की इच्छा उत्पन्न हुई किंतु ऋषि के तेज से भयभीत होने के कारण उनके घर ना जा सके तब और चंद्रमा के पास गए और अपने मन की बात उसे बदला हाई देवराज ने उन्हें मुर्गा बनाकर हर समय भांग बोलने देने के लिए प्रेरित किया देवराज इंद्र का कथन स्वीकार कर चंद्रमा ने मुर्गे का रूप धारण कर हर रात्रि को भाग देना आरंभ किया मुर्गे की आवाज सुनकर गौतम ऋषि की निद्रा भंग हो गई और वे उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर गंगा स्नान के लिए चले गए गौतम ऋषि को आश्रम से निकलकर बाहर जाते हुए थे कर देवराज इंद्र ने गौतम ऋषि का वेश धारण कर लिया के पास जाकर बुक किया किंतु राहिल्या को शीघ्र ही यह ज्ञात हो गया कि इस समय मेरे साथ भोग करने वाले प्राणी मेरा पति नहीं है वह अत्यंत क्रोधित हुए और उसे फटकार कर बोली अरे दुष्ट प्रवृत्ति वाले तू कौन है चल निकल कर भाग जा यहां से अहिल्या को जनों को सुनकर इंद्र आश्रम से बाहर निकले किंतु उसी समय वापस आते हुए द्वार पर गौतम ऋषि मिल गए जो अधिक रात्रि होने का अनुमान कर मार्ग से लौट आए और इंद्र को देखते ही बोले नरेंद्र तूने अति सुंदर इंद्राणी एवं अप्सराओं के होते हुए ऋषि की पत्नी से आकर बुक किया तेरा यह अपराध असहनीय है इसलिए हम तुझे श्राप देते हैं कि जिस तरह तूने एक भांग के लिए उचित अनुचित का विचार ना किया और अपनी मर्यादा को त्याग कर भूखी आता है तेरे शरीर में सॉन्ग हो जाए तत्पश्चात उन्होंने अपनी रिक्शाला खींचकर चंद्रमा कुमार जिसने मुर्गा बनाकर आशा में भाग लिया तभी से चंद्रमा के चेहरे पर दाग पड़ गए इंद्र के श्राप से दुखी होकर लगाके मारे देवराज इंद्र एक सरोवर पर जाकर कमल के नाम में छिप गए जिससे इंद्रासन सूना हो गया तब ऋषि ने राजा पुरवा का वंश में उत्पन्न राजा नारू को इंद्रासन का स्वामी बना दिया इंद्र का पद प्राप्त करने के पश्चात राजा नहुष नींद रानियों को अपना मनाने का विचार किया क्योंकि वह अति सुंदर थी तब इंद्राणी ने देव गुरु बृहस्पति के कथन अनुसार राजा नारू के पास संदेश भिजवाया कि यदि वे पालकी में बैठकर सप्त ऋषि यों से उठाकर मेरे पास आए तब मैं उसके साथ रहूंगी राजा निरहुआ विरानी ऊपर मोहित थे ही उसकी बात मानकर रिसीवर से पालकी उठवा कर चले डिसीजन पालकी उठाकर धीरे-धीरे चल रहे थे तब नाह उसने उन्हें लात मार कर सर्व सर्व कहा अर्थात जल्दी जल्दी चलो इस परिजनों ने क्रोधित होकर उसे शराब दे दिया अरे दोस्त तू सर्प सर्प कहता है इसलिए तुसी ग्रेट हो जा ऋषि ओके सर आपसे वह सिर्फ होगा पृथ्वी पर गिर पड़ा तत्पश्चात कमलनाथ से बाहर निकलकर इंद्र एक यज्ञ किया जिसमें उसकी भांगे नेत्रों के समान गुणकारी हो गई
TRANSLATE IN ENGLISH
Shrimad Bhagwat Katha Purana Nava Skandha Chapter 17 Beginning
King Purva's lineage description Shri Sukhdev ji spoke as soon as King Parikshit once arose in the mind of Devraj Indra, seeing Ahilya, wife of Gautam Rishi, a desire arose to think with him, but was afraid of the sage's brilliance. Because he could not go to his house, he went to the moon and changed his mind. Hai Devraj inspired him to make a cock and let him speak cannabis at all times. By accepting the statement of Devraj Indra, the moon took the form of a rooster every night. After listening to the rooster's voice, Gautam Rishi's sleep was disturbed and he got up after retiring from daily activities and went to bathe in the Ganges. But Rahilya soon came to know that at this time the living beings with me are not my husband, she became very angry and reprimanded her and said, "Who are you with evil tendencies, walk away and run away from here." Hearing Ahilya from the people, Indra came out of the ashram, but while coming back at the same time, Gautam Rishi was found on the road, who returned by the way anticipating that it would be more night and on seeing Indra said, Narendra, you came and booked the sage's wife, having a very beautiful Indrani and Apsaras, this crime of yours is unbearable, so we curse you. It is that just as you did not think of right and wrong for a cannabis, and leaving your dignity comes hungry, your body becomes a song, then he pulled his rickshaw, Chandra Kumar, who took part in the hope by making a rooster, from then on the face of the moon Devraj Indra went to a lake and hid in the name of lotus after being tainted by Indra's curse, due to which Indrasan became deserted, then the sage made King Naru, who was born in the dynasty of King Purva, the lord of Indrasan, to attain the position of Indra. After this, King Nahush thought of celebrating the sleeping queens because she was very beautiful, then Indrani sent a message to King Naru according to the statement of Dev Guru Brihaspati that if he sat in a palanquin, picked up the seven sages like this and came to me, then I would accompany him. King Nirhua Virani was fascinated by her After taking the palanquin from the receiver, the decision was taken by the receiver and he was walking slowly, then he kicked them and said everything, that means, hurry up, this family got angry and gave him alcohol, hey friend, you say snake snake, that's why you are great Ho ja sage ok sir, he will only fall on the earth, then after coming out of Kamal Nath, Indra performed a yagya in which his cannabis became as virtuous as his eyes.
0 टिप्पणियाँ