श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंद अध्याय 16 आरंभ
परशुराम जी द्वारा माता रेणुका का वध श्री सुखदेव जी बोले हे राजा परीक्षित एक बार परशुराम जी की माता रेणुका जल मारने के लिए गंगा के किनारे वहां चित्ररथ नामक गंधारवा अपनी स्त्रियों सहित जाल खेड़ा कर रहा था चित्ररथ एवं स्त्रियों का जल क्रीड़ा करना रेणुका देखने लगी उस समय व्यतीत होने के बाद उसमें स्मरण हुआ कि मैं जल लेने आई थी स्मरण याद आना होते ही वह जल लेकर आश्रम में पहुंची जमदग्नि ऋषि ने अपने योग बल से विलंब होने के कारण हो जान लिया कि रेणुका के मन पर पुरुष के लिए प्रेम भावना जागृत हुई वह अपने पुत्रों को बुलाकर कहने लगी के पुत्रों तुम अपनी माता का वध करो उस उनके पुत्रों ने मन में विचार किया कि जन्म दात्री माता का वध करना सर्वथा अनुचित है और उन तीनों भाइयों ने जग अग्नि ऋषि की आज्ञा को अस्वीकार कर दिया उसी समय परशुराम उपस्थित ना थे जब उसका आगमन हुआ तो ऋषि ने उनको भी यही आज्ञा दी पिता की आज्ञा सुनकर परशुराम ने यह भी ना पूछा कि माता का अपराध किया है उन्होंने तुरंत अपने फरसे से माता रेणुका का शीश काट लिया माता का वध करने की साथ जमदग्नि ने यह भी आदेश दिया था कि अपने भाइयों को भी मार डालो परशुराम ने पिता की आज्ञा का पूर्ण रुप से पालन करते हुए भाइयों को भी मार डाला तब जमदग्नि ऋषि अत्यंत प्रसन्न हुए और कहने लगे हे पुत्र परशुराम तूने मेरी आज्ञा का पालन कर हमें अति प्रसन्न किया है वह मांगो यह सुनकर परशुराम जी वह दोनों की प्रकृति पर बैठ गए और जमदग्नि ऋषि के चरणों में शीश नवा कर बोले हे पिता श्री यदि आप मुझ पर प्रसन्न है और मुझे वरदान देना चाहते हैं तो यही वर्ग है कि मेरी माता एवं भाई पुनर्जीवित हो जाएं और अपने मारे जाने की बात भूल कर जाएं जमदग्नि ऋषि ने एवं वस्तु अर्थात ऐसा ही हो कहकर उसे पुनर्जीवित कर दिया हे राजन तत्पश्चात परशुराम जी ने विचार किया कि माता एवं भाइयों की हत्या का पाप मुझे लगा है इसलिए पिता से आज्ञा लेकर व्यतीत करने चले गए उधर सहस्त्रबाहु के 100 पुत्र जीवित बच गए थे उन सभी ने आपस में निर्णय करके जमदग्नि ऋषि के आश्रम पर आए और बदला लेने के उद्देश्य से जमदग्नि ऋषि को मारकर उनका मुस्ताक तलवार से काट कर अपने साथ ले गए जब परशुराम जी तीर्थ भ्रमण करके लौटे तो अपनी माता को रुद्रन करते देखा और रोने का कारण पूछा माता रेणुका के मुख से पिता की मृत्यु का वृत्तांत सुनकर अत्यंत क्रोधित होकर पृथ्वी को छेदी हीन करने हेतु वचनबद्ध होकर अपने दिव्य पर से को उठा लिया और महिता पूरी जाकर सहस्त्रबाहु के पुत्रों को मार डाला तत्पश्चात 21 बार शत्रुओं का नाश किया
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Nava Skanda Chapter 16 Beginning
Mata Renuka killed by Parashuram Shri Sukhdev ji said, O King Parikshit, once on the banks of the Ganges, a Gandharva named Chitrarath, along with his women, was making a net to kill Parashuram's mother Renuka. After that time, it was remembered that I had come to get water. Awakened, she called her sons and started saying that sons, you should kill your mother, that their sons thought in their mind that it is completely unfair to kill the mother who was born and those three brothers rejected the order of the sage Jagagni. Parashuram was not present at the time, when he arrived, the sage gave him the same order, listening to the father's order, Parashuram did not even ask that he had committed the crime of the mother, he immediately cut the head of mother Renuka with his ax to kill the mother. Jamadagni had also ordered that Parashu should kill his brothers too. The sage Jamadagni was very pleased and started saying, O son Parshuram, you have pleased us very much by following my orders, ask him to hear this, Parshuram ji, that is the nature of both. But he sat down and bowed at the feet of the sage Jamadagni and said, O father, if you are pleased with me and want to grant me a boon, then this is the class that my mother and brother should be revived and forget about their death, Jamadagni. The sage revived him by saying more object, that is, O Rajan, after that Parshuram ji thought that I have felt the sin of killing mother and brothers, so after taking permission from the father, he went to spend, while 100 sons of Sahastrabahu survived. All of them decided among themselves to come to Jamdagni Rishi's ashram and for the purpose of taking revenge, after killing Jamdagni Rishi, cut his mustache with a sword and took him with him, when Parashuram returned from pilgrimage, he saw his mother crying and crying. Asked the reason why it was very sad to hear the story of father's death from the mouth of mother Renuka. Enraged, committed to pierce the earth, lifted it from his divine plane and went to Mahita Puri and killed the sons of Sahastrabahu, then destroyed the enemies 21 times.
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