श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 13

श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 13 आरंभ

वशिष्ठ ऋषि का राजा निमि को श्राप देने का वृतांत

श्री सुखदेव जी बोले हे राजन मिश्रा गुप्त वंश में कई पीढ़ियों बाद राजा निमि हुए उन्होंने गुरु वशिष्ट से प्रार्थना की हे गुरुदेव मैंने एक यज्ञ करने का विचार किया उसी यज्ञ हेतु आपको बुलाने आया हूं राजा निमि के कथन को सुनकर वशिष्ठ जी बोले हे राजन् तुम्हारे आने से पहले देवराज इंद्र का निमंत्रण आ चुका है अतः मैं उनका यज्ञ पराया कर तुम्हारा यज्ञ कर आऊंगा या करवे इंद्रलोक चले गए तब राजा निमि ने विचार किया कि इस जांच पर शरीर का क्या भरोसा कब ईश्वर की माया हो और इस तन का त्याग कर ना पड़े और यज्ञ करने का मनोरथ पूर्ण ना हो या विचार कर उन्होंने गौतम ऋषि को कुलगुरू मना कर यज्ञ किया जब वशिष्ठ वापस आए तो गौतम ऋषि को राजा नाभि को यज्ञ करते थे अत्यंत क्रोधित हुए और मेरा जान अभी पैसा डाला कि तेरा यह तन गुरु की आज्ञा ना मानने के कारण छूट जाएगा तब राजा निमि बोले हे गुरुदेव आप लाचा के वशीभूत हो मेरा यज्ञ छोड़कर इंद्र की यज्ञ में चले गए जबकि आप मेरे गुरु हैं उचित तो यह था कि प्रथम आप मेरा यज्ञ संपन्न कराते तत्पश्चात देवराज इंद्र का किंतु आपने ऐसा नहीं किया इसलिए मैं आपको श्राप देता हूं कि मेरी तरह आपको भी तन छूट जाए श्राप के कारण वशिष्ठ जी एवं राजा निमिका प्रांत हो गया कुछ काल के अतीत होने के पश्चात एक बार अप्सरा उर्वशी को देख कर मित्रा वरुण कामना सख्त हो गए और उनका वीर्य स्खलित हो गया उसे ऋषि यों ने एक घटना डे में रख दिया उस घड़ी से वशिष्ठ का जन्म हुआ तत्पश्चात गौतम आदि ऋषि ने राजा निमि को पुनर्जीवित करने के लिए यज्ञ किया और देवताओं ने आकर आशीर्वाद प्रदान किया भगवत कृपा से राजा ने में जीवित हो गए तब राजा ने में बोले हे ऋषि गण एवं देवघर नाथ और शरीर को प्राप्त करने का बिल आसान नहीं इस बंधन रूपी शरीर को प्राप्त कर अपने सुख सागर में डूबना नहीं चाहता आप लोग कोई ऐसा उपाय कीजिए जिसे मैं सदैव अमर रहे राज्यों के वचनों को सुन देवताओं ने आशीर्वाद देते हुए कहा हे राजा निम्मी तुम प्राणियों के नेत्रों में सदा निवास करोगे और वहां रहकर अपने सुषमा शरीर से श्री हरि नारायण के चरणों का ध्यान करो उसके बाद विश्व में रजा मूवी के मृतक शरीर का मंथन किया माथे में से एक बालक उत्पन्न हुआ राजा जनक हुआ हुए मंथन से उत्पन्न हुए थे इसलिए उनका एक नाम नितिन

हुआ और उन्होंने मिथिलापुरी बसाई मिथिलापुरी को जनकपुरी भी कहते हैं

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Nava Skandha Chapter 13 Beginning

Story of Vashistha Rishi cursed King Nimi

Shri Sukhdev ji said, O Rajan Mishra became king Nimi after many generations in the Gupta dynasty, he prayed to Guru Vashisht, O Gurudev, I thought of performing a yagya, I have come to call you for the same yagya, after listening to the statement of King Nimi, Vashisht ji said, O Rajan, you Before coming, the invitation of Devraj Indra has come, so I will come to perform your sacrifice by performing his yajna or Karve went to Indralok, then King Nimi thought that on this investigation, when the body's trust should be the illusion of God and sacrificing this body Do not fall and the desire to perform the Yagya is not fulfilled or considering that he performed the yajna by forbidding Gautam Rishi as the vice-chancellor, when Vashistha came back, Gautam Rishi used to offer sacrifice to the king's navel, became very angry and just put money in my life that this body of yours is Guru. Due to disobeying the order, then King Nimi said, O Gurudev, you are under the control of greed and left my sacrifice and went to Indra's yajna, while you are my guru, it was appropriate that you first performed my yagya, then Devraj Indra's but you Didn't do this, so I curse you that like me, you too have a body. Due to the curse, Vasistha ji and King Nimika became province. Vashishtha was born from the clock, after that Gautam Adi Rishi performed a yajna to revive King Nimi and the gods came and blessed the king, by the grace of God, the king became alive, then the king said in me, O Rishi Gana and Devghar Nath and the body. It is not easy to get the bill of getting this bonded body and do not want to drown in your ocean of happiness, you guys take some such remedy, listening to the words of the immortal kingdoms, the gods blessed me and said, O King Nimmi, in the eyes of you beings You will always reside there and stay there meditate on the feet of Shri Hari Narayan with your Sushma body, after that in the world, the dead body of Raja Movie was churned, a child was born from the forehead, King Janak was born from the churning, hence his name. Nitin

happened and he settled Mithilapuri Mithilapuri is also called Janakpuri

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