श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय 10

श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा स्कंध अध्याय दस आरंभ

भगवान राम की लीलाओं का संक्षिप्त वर्णन श्री सुखदेव जी बोलेंग राजा परीक्षित मौलाना के पुत्र कारवा कारवा चौठ दिलबारो दिलबारो के पुत्र राजा रघु हुए जिसे रघुवंश नाम हुआ राजा रघु के पुत्र आज और आज से राजा दशरथ अयोध्या नरेश राजा दशरथ तीन रानियां थी कौशल्या कैकेई सुमित्रा कौशल्या के गर्भ से श्री रामचंद्र जी ने अवतार लिया जो भी सेनगुप्ता इकाई से भारत और सुमित्रा के गाड़ी से श्री शिव शंकर भगवान का अवतार लक्ष्मण जी के जन्म लिए लक्ष्मण जी के साथ शत्रुघ्न का भी जन्म हुआ बचपन में ही रामचंद्र जी लक्ष्मण जी ने ताड़का नामक राक्षसी विवाद सुबह 24:00 शेखर कुमार कर ऋषि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की और गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर जाकर रचना द्वारा रचे गए स्वयंवर में शिव जी के धनुष को तोड़कर सीता से विवाह किया तथा परशुराम के गर्भ हो चूर किया तत्पश्चात पिता की आज्ञा मानकर लघु ब्रांच लक्ष्मण एवं पत्नी जानकी सहित 14 वर्ष के लिए वन में चले गए और पंचवटी में उल्टी बनाकर रहने लगे एक दिन लंकाधिपति रावण की बहन शूर्पणखा वहां पर हाय और काम के वशीभूत होकर उन चंद्र जी से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की तब लक्ष्मण में भाई राम की आज्ञा पाकर उसके नाक कान काटे वह रोती बिलखती और दूसरा तीसरा के पास गए हुए अपने साथ बहुत बड़ी सेना लेकर रामचंद्र जी को मारने आए और स्वयं मर गए तब सीता ने रावण से जाकर सप्ताह तक रावण ने मामा जी को सोने का मेल बनाकर राम को भटकाने के लिए कहा और स्वयं माया से साधु का वेश धारण कर सीता का हरण करके लंका ले गया जब रामचंद्र जी और लक्ष्मण लौट कर आए तो पानी शूटिंग देख सीता को ढूंढने लगे विलाप करते हुए पर्वत के गद्दारों आदि में देखा किंतु सीता कहीं ना मिली जब ढूंढते हुए आगे बढ़े तो मार्ग में गीत राज जटायु घायल अवस्था में मिले उन्होंने बताया कि लंकाधिपति रावण सीता को हर कर ले गया है उसी ने मेरी यह गति की है यह काकर जटायु ने प्राण त्याग दिया तब श्री राम चंद्र जी ने अपने हाथों से जटायु का अंतिम संस्कार किया और आगे बढ़े और वहां उन्हें 1 वानर राज सुग्रीव मिले उसमें मित्रता करके उन्होंने सीता की खोज करने के लिए वाहनों को चारों तरफ फैला दिया और हनुमान जी को लंका भेज हनुमान चेतना स्वरूप रावण की लंका जलाई और श्री रामचंद्र जी बहादरपुरा समाचार बताओ कब तक अनुमान जयंत चौधरी संगीत आदि व वीरों को साथ लेकर प्रभु श्री रामचंद्र जी घर पर आए और उस पार उतरने के लिए समुद्र मार्ग बढ़ाने * समुद्र मे मार्ग ना दिया तब श्री राम जी को जीत हो उठे और धनुष पर बाण चलाकर समुद्र का जल सुखाने के लिए छोड़ते ही जा रहे थे कि मनुष्य रूप धारण करते हुए समुद्र देव प्रगट हुए और बोले हैं तो हमें आपकी सेना में माल और मूल्य नामक वालों को ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त है कि जिस पत्थर को छूते वह पत्थर पानी में तैरने लगेगा आप उनकी सहायता से फूल बना बांध पर अपनी विशाल सेना सहित उस पार उतर जाएंगे हे राजा परीक्षित अपनी सेना शहीद रामचंद्र जी लंका जा पहुंचे और रावण से संग्राम किया युद्ध में एक-एक कर लंका के सारे वीर मर गए कुंभकरण मेघनाथ के मरने के पश्चात रावण ने युद्ध किया तब भी राम के हाथों मारा गया राम ने विभीषण को लंका राहत प्रदान किया तत्पश्चात लक्ष्मण सीता हनुमान आदि सहित पुष्कर विमान में बैठकर अयोध्यापुरी लौट आए

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Nava Skandha Chapter Ten Beginning

A brief description of the pastimes of Lord Rama, Shri Sukhdev Ji Boleng, son of King Parikshit Maulana, Karwa Karwa Chauth Dilbaro Dilbaro's son became King Raghu, who was named Raghuvansh, the son of King Raghu, today and from today King Dasharath Ayodhya King Dasharatha had three queens Kaushalya Kaikeyi Sumitra Shri Ramchandra ji incarnated from Kausalya's womb, whoever was born from Sengupta unit to India and Sumitra's incarnation of Shri Shiva Shankar Bhagwan Lakshman ji was born along with Lakshman ji. In the morning of 24:00, Shekhar Kumar protected the yajna of Rishi Vishwamitra and went to Janakpur with Guru Vishwamitra, broke the bow of Shiva in the swayamvar composed by Rachna, married Sita and broke the womb of Parashurama. After obeying the small branch, Lakshman and wife Janaki went to the forest for 14 years and started living in Panchavati by vomiting. One day, Surpanakha, the sister of Lankadhipati Ravana, waded there and expressed her desire to marry Chandra ji. in Lakshmana On getting the orders of brother Ram, she cried and went to the third, taking a huge army with her and came to kill Ramchandra ji and died herself, then Sita went to Ravana and for a week, Ravana gave gold to maternal uncle. Asked Rama to make him go astray and disguised himself as a sage, took Sita to Lanka, when Ramchandra ji and Lakshmana came back, seeing the shooting of water, started looking for Sita, lamenting in the traitors of the mountain, but Sita When he went ahead while searching, he found Geet Raj Jatayu in an injured state on the way, he told that Lankadhipati Ravana has taken Sita away, he has done this movement of mine, this Kakar Jatayu gave up his life, then Shri Ram Chandra Ji He performed the last rites of Jatayu with his own hands and went ahead and there he found 1 monkey king Sugriva, befriending him, he spread the vehicles around to search for Sita and sent Hanuman ji to Lanka, lit Ravana's Lanka in the form of Hanuman consciousness and Shri Ramchandra ji tell Bahadarpura news till when estimate Jayant Chaudhary take music etc and heroes along Lord Shri Ramchandra ji came to the house and did not give a way to the sea to land across it, then Shri Ram ji got victorious and was leaving the sea water to dry by shooting arrows at the bow that human form. Wearing the ocean god appeared and said, then we have the blessings of the sage in your army to the people named Mal and Price, that the stone that touches the stone will float in the water, with their help you make a flower on the dam with your huge army. O King Parikshit, his army martyr Ramchandra ji reached Lanka and fought with Ravana, all the heroes of Lanka died one by one in the battle. Provided relief to Vibhishana, after that Lakshmana returned to Ayodhyapuri in Pushkar aircraft along with Sita, Hanuman etc.

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