श्रीमद् भागवत कथा पुराण आठवां स्कंध अध्याय 2

श्रीमद् भागवत कथा पुराण आठवां स्कंध अध्याय 2 आरंभ

गजेंद्र एवं ग्राहक की कथा का वर्णन श्री सुखदेव जी श्री गजेंद्र एवं ग्रह की कथा का वर्णन राजा परीक्षित के पूछने पर महात्मा सुखदेव जी कहने लगे हैं राजन 10000 योजना के विस्तार में में शिरसागर के मध्य में त्रिकूट नामक पर्वत है पर्वत के सोने चांदी एवं लोहे के तीन शिखर हैं अनेक प्रकार के रत्नों से पर्वत का शिखर जगमग करता है सुंदर वृक्ष तथा पुष्पा लताओं के शुभम से वहां का वायुमंडल महकता है जिन पर पशु पक्षी एव क्षेत्र से फल उद्यान है जहां पर अनेक फल एवं मधुर मेवा आदि प्राप्त होते हैं उसी उद्यान के निकट एक सरोवर है जिस में मगरमच्छ कछुआ आदि जल जीव रहते हैं उसी त्रिकूट पर्वत पर रहने वाले गजेंद्र हाथियों का राजा को एक बार जेष्ठ मास में बहुत जोर की प्यास लगी वह हजारों हाथियों तथा बच्चों सहित पानी पीने के लिए सरोवर पर गया और जल पीने के पश्चात अपने हाथ निया एवं बच्चों को स्कूल से पानी पिलाया कलोल करने लगा गजेंद्र में 10 हाथियों का बल था किंतु उससे भी अधिक शक्तिशाली ग्रह उत्तर वर्क में रहता था उस ग्रह ने चुपके से आकर गजेंद्र के सांप को पकड़ लिया गजेंद्र ने ग्रह के मुंह से अपने गांव को छुड़ाने का लाख प्रयत्न किया किंतु ग्रह की पकड़ से छूट ना सका तब दोनों में युद्ध होने लगा कभी ग्रह को घसीटते गजेंद्र बाहर ले आता तो कभी गजेंद्र को गजल मेघा सिस्टर ले जाता इस तरह बहुत दिनों तक दोनों के मध्य युद्ध चलता रहा गजेंद्र की हथिनी और बच्चों ने भी छुड़ाने का प्रयास किया किंतु बलशाली ग्रह से उसके पांव को ना छुड़ा सके बहुत समय बीत जाने पर हथनी एवं उनके बच्चे अधीर होकर जंगल में चले गए और गजेंद्र की शक्ति में चीन हो चली उसके प्राण कंठ में आ गए उस विपत्ति की घड़ी में उनके विचार किया कि अब मुझे बचाने वाला कोई नहीं है केवल श्री नारायण ही मेरे प्राणों की रक्षा करने में समर्थ है यह विचार करके वह ग्रह के मुंह से पांव छुड़ाने के प्रयत्न को छोड़कर श्री नारायण की स्तुति करने लगा अंधारवादी बिहार करते हैं अप्सराएं नृत्य करते हैं चित्रकूट पर्वत से तरह

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Eighth Skandha Chapter 2 Beginning

Description of the story of Gajendra and the customer, Shri Sukhdev ji, on the request of King Parikshit, narrating the story of Shri Gajendra and the planet, Mahatma Sukhdev ji has started saying that in the expansion of Rajan 10000 plan, there is a mountain named Trikut in the middle of Shirsagar, the gold, silver and iron of the mountain. There are three peaks of the mountain, the summit of the mountain lit up with many types of gems, the atmosphere there smells with the blessings of beautiful trees and flowering vines, on which there are animals, birds and fruit gardens from the area, where many fruits and sweet nuts etc. are obtained. There is a lake near the park, in which water creatures like crocodile, turtle etc. live on the same Trikut mountain. After drinking water, he gave water to his hands and children from school. Lakhs of rupees to get rid of your village from the mouth of Tried but could not get rid of the grip of the planet, then both of them started fighting, sometimes Gajendra would drag the planet out and sometimes Gajendra would take Ghazal Megha sister, thus the war continued between the two for many days. Gajendra's elephant and children He also tried to get rid of him, but could not get rid of his feet from the powerful planet. After a long time, Hathni and her children went to the forest impatiently and Gajendra's power went to China. Thought that now there is no one to save me, only Shri Narayan is able to save my life, considering that he left the effort to get rid of the feet from the mouth of the planet and started praising Shri Narayan. like chitrakoot mountain

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