श्रीमद् भागवत कथा पुराण आठवां स्कंद अध्याय 12 आरंभ
भगवान के मोहनी रूप पर शिवजी का मोहित होना श्री सुखदेव जी बोले हे राजन् नाम उसी का सिर काटने के पश्चात इंद्र ने देवर्षि नारद से कहने पर युद्ध बंद कर दिया और अन्य देवताओं सहित आपने लोग चले गए तत्पश्चात युद्ध में जीवित बचे हुए थे तूने देते राज दानवीर बलि के मृतक शरीर को लेकर शुक्राचार्य जी के पास गए शुक्राचार्य जी ने संजीवनी विद्या से उन्हें पुनर्जीवित कर दिया राजा बलि ज्ञानी थे उनके लिए जय पराजय एक समान थी इसलिए उन्हें कोई दुख ना हुआ तब राजा परीक्षित ने सुख जी से पूछा है महात्मा प्रभु का मोहिनी रूप कैसा था तक सुखदेव जी ने कहने लगे हे राजन प्रभु का मोहनी स्वरूप इतना सुंदर था कि दित्य अमृत पीना भूल गए मैं कितना वर्णन करूं उनकी सुंदरता का उस ग्रुप को देखकर देवता दानव एवं मनुष्य तो क्या भगवान शंकर भी मुदित हो गए या कथा इस प्रकार था एक बार पार्वती जी ने भगवान शंकर से कहा इसमें भगवान त्रिलोकीनाथ ने इस तरह मोहिनी का रूप धारण कर असुरों को मोहित किया था उनके मोहनी स्वरूप को देखने की अभिलाषा मेरे मन में बलवान हुई है पार्वती के वचन सुनकर नंदीश्वर पर सवार होकर पार्वती सहित शिवजी बैकुंठ लोक जा पहुंचे उन्हें देखकर श्री नारायण जी ने प्रसन्न मुख से बोले रे भोलेनाथ इस तरह आज आप कहां जा रहे हैं तब शिवजी ने करने लगे हे जगत पिता आप सर्व शक्तिमान और अंतर्यामी हैं फिर भी आप पूछते हैं तो बताता हूं आपने असुरों को चलने के लिए जो मोहिनी रूप धारण किया था उस स्वरूप को देखने की मेरी प्रबल इच्छा है शिव जी के इस प्रकार के वचनों को सुनकर भगवान श्री नारायण बोले थे महादेव जी मेरे मोहिनी रूप को देखकर आपने कामदेव के वश में होकर बाहुबल हो जाएंगे तब शिव जी बोले हे भगवान कामदेव को मैंने पूर्वकाल में ही जला दिया है इसलिए काम शक्ति का प्रभाव मुझ पर नहीं होगा श्री सुखदेव जी बोले हे राजा परीक्षित शिव जी के वचनों को सुनकर प्रभु उसी क्षण अंतर्ध्यान हो गए तब पार्वती जी ने मन में विचार किया कि क्या मोहिनी का रूप मुझसे भी सुंदर है पार्वती जी अपनी सुंदरता के सामने हर स्त्री की सुंदरता को ना के बराबर समझती थी उधर प्रभु की माया रुचि लीला आरंभ हो गई पल भर में प्रभु की इच्छा से वहां एक रस में सरोवर का निर्माण हो गया उसके चारों ओर पुष्प वाटिका एवं फलों से लदे हुए उपवन पर पक्षी विहार करते हुए दिखाने देने लगे भवर पुष्पों का पराग अमन उसने लगे उसी समय एक परम सुंदरी स्त्री वस्त्र आभूषण से अलंकृत होकर गेंद उछाल दी हुई दिखाई दी वह धूप दार जड़ों करधनी पहने थी उसके चलने से पैरों के नाखूनों से अत्यंत मधुर संगीत में स्वर को भर रहा था पीठ वस्त्रों में उसकी सुंदरता नहीं कर रही थी चलते हुए वह शिवजी के निकट आई और कटाक्ष करके शिवजी से नजरें चार करके मुस्कुराए उसकी तिरछी चितवन एवं रूप सौंदर्य को देखकर शिवजी उस पर मोहित हो गए उसके इधर-उधर दौड़ने से उसकी कमर इस प्रकार लगती हुई दौड़त हो जाए किंतु वह शिवजी के प्रति तनिक भी प्रेम ना दिखा कर आगे बढ़ गए उस समय शिवजी पूर्ण रूप से पार्वती को भूल गए और वशीभूत होकर उसके पीछे चलने लगे तब वह हद होती तब शिवजी उसके पीछे इस तरह दौड़न लगे जैसे आदमी के पीछे हाथी दौड़ता है दौड़ते दौड़ते उस स्त्री की साड़ी शीशा कार करधनी तक आ गई उसके इस रूप को देखकर शिवजी के मन में काम खेड़ा का संचार हुआ वह दौड़कर मोहनी को पकड़ने की चेष्टा करने लगे किंतु वह शिव जी के हाथों से बजती हुई इधर उधर भागती रही उसके रूप को देखकर पार्वती जी विचार ने लगे कि ऐसे सुंदर स्त्री मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी थी जिस समय पार्वती जी इस तरह विचार कर रही थी उसी समय शिवजी ने मोहिनी को पकड़कर अपने घंटों से लगा लिया किंतु पल भर में वह सी जी के हाथ से छूटकर अलग हो गई और पुनः दूर भागने लगे और शिव जी की विफलता पर हंसने लगी यह देख शिवजी राम पुरोहित होकर पुनः उसे पकड़ने के लिए दौड़ते और कुछ समय बाद उसे पकड़ लिया मोहिनी उसके बाद ऊपर से छूटने का प्रयास करने लगे इस खींचातानी में मोहिनी के वस्त्र ढीले होकर पृथ्वी पर गिर गए मोहिनी की नाक अवस्था देखकर शिवजी की भी हवा होता और काम शक्ति तीव्र हो गई जिस कारण उसका वीर्य प्लान होकर की थी पर जा गिरा जिस स्थान पर उसका वीर्य गिरा था वह सोने चांदी की पत्नी बन गई उसी समय भगवान किलो कीमत अंतर्ध्यान हो गए तब शिवजी निराश होकर विचार करने लगे कि शायद वह मोहिनी से तात्पर्य है फिर प्रगट हो हो उसी समय पार्वती जी उसके निकट आ गई भगवान श्री नारायण की माया की पार्वती को देखते ही उनके मन से मोहनी के प्रति आसक्ति का भावना पल भर में नष्ट हो गई तब भगवान श्री नारायण हंसते हंसते हुए प्रकट हुए और शिवजी से बोले हे महादेव जी आप कदाचित चिंता ना करें मेरे इस मोहनी रूप को देखकर ऋषि मुनि एवं बड़े-बड़े तपस्वी का मन चलायमान हो जाता है केवल आप ही ऐसे हैं जो मेरी माया में फस कर उससे निकल सके इसलिए अब आपको मेरी माया नहीं सताएगी इस तरह भगवान श्री नारायण ने शिवजी को बोध कराया तब शिवजी ने उन्हें दंडवत प्रणाम कर किया और पसंद आमुख होकर पार्वती सहित अपने स्थान को प्रस्थान कर गए
TRANSLATE IN ENGLISH
Shrimad Bhagwat Katha Purana VIII Skanda Chapter 12 Beginning
Lord Shiva was fascinated by the enchanting form of God, Shri Sukhdev ji said, O king, after beheading him, Indra stopped the war on the request of Narada, and you along with other gods left, after that you were alive in the war. Raj Danveer went to Shukracharya ji with the dead body of Bali, Shukracharya ji revived him with Sanjeevani Vidya. How was the form of the Lord, till Sukhdev Ji started saying, O Rajan, the form of Prabhu was so beautiful that the demons forgot to drink the nectar, how much should I describe their beauty, seeing that group of gods, demons and human beings, even Lord Shankar became impressed. Or the story was as follows: Once Parvati ji told Lord Shankar, in this, Lord Trilokinath had enchanted the Asuras by taking the form of Mohini in this way. Shiva along with Parvati reached Baikunth Lok Seeing them, Shri Narayan ji said with a happy mouth, where are you going like this today, then Shiva started doing it, O world father, you are all powerful and inner, yet if you ask, I will tell you the siren who walks the demons. I had a strong desire to see that form, after listening to such words of Shiva ji, Lord Shree Narayan said, Mahadev ji, seeing my Mohini form, you will become muscular by being under the control of Cupid, then Shiva said, oh Lord Cupid I have burnt it in the past, so the effect of sex power will not be on me. Shri Sukhdev ji said, O King Parikshit, listening to the words of Shiva ji, the Lord became intrigued at that very moment, then Parvati ji thought in her mind whether the form of Mohini was from me. It is also beautiful Parvati ji used to understand the beauty of every woman as little as possible in front of her beauty, on the other hand, the love interest of the Lord started. Birds roaming on a park laden with fruits, started showing flowers. Parag Aman He engaged at the same time a supremely beautiful woman adorned with clothes ornaments appeared to toss the ball. She was wearing a sun-studded girdle. Her foot-nails were filling the tone in very melodious music with her feet. Her beauty in clothes She was not doing walking, she came near Shiva and smiled at Shiva, seeing her oblique chitwan and beauty of form, Shiva was fascinated by her running here and there, her waist should run like this but He went ahead without showing any love for Shiva, at that time Shiva completely forgot Parvati and started walking behind her under control, then that would have been the limit, then Shiva started running after him like an elephant running behind a man. The woman's sari glass came to the girdle while running, seeing this form of her, there was a communication of Kama Kheda in Shiva's mind, he started trying to catch Mohani by running, but she kept running here and there playing with Shiva's hands to see her form. Seeing Parvati ji thought that I had never seen such a beautiful woman in my life. At the time Parvati ji was thinking like this, at the same time Shivaji caught Mohini and put it to her hours, but in a moment she got separated from CG's hand and started running away again and started laughing at Shiva's failure. Shivji Ram being priest again ran to catch him and after some time Mohini caught him and after that Mohini started trying to get out from above. The sex power intensified, due to which his semen was planned but fell at the place where his semen had fallen, she became the wife of gold and silver. It means to be revealed again at the same time Parvati ji came near him, on seeing Parvati of Lord Shree Narayan's Maya, the feeling of attachment towards Mohini was destroyed in a moment, then Lord Shree Narayan appeared laughing and Shivaji Said to Mahadev ji, you probably should not worry, seeing this sage form of me, the sage Muni and elders The mind of the ascetic becomes moving, only you are the only one who can get out of my illusion, so now you will not be harassed by my illusion. He left for his place along with Parvati.
0 टिप्पणियाँ