श्रीमद् भागवत कथा पुराण सातवां स्कंध अध्याय 12 आरंभ
नारद जी द्वारा धार में व्यवस्था का वर्णन धर्म व्यवस्था का वर्णन करते हुए नारद जी बोले हैं धर्मराज जब कोई मनुष्य ब्रह्मचारी व्रत धारण करे तब वह गुरु के आश्रम में जाकर गुरु की सेवा करें और उसकी आज्ञा का पालन करते हुए विद्या अध्ययन करें सायं काल एवं प्रातः काल में गुरु को प्रणाम करें और सूर्यदेव अग्नि देव नारायण आदि की विविधता पूजा करें तेल को प्रांशु राम चंदन आदि का लेप ना करें किसी भी अंग के बालों को ना कटवाए स्त्रियों से व्यर्थ बातचीत ना करें तथा जो भिक्षा मांग कर लाए सब गुरु के सम्मुख रखते हैं जब तक गुरु आ गया ना दे तब तक भोजन ग्रहण ना करें ग्रुप की निंदा ना करें तथा किसी को भी दूर वचन ना बोले ब्रम्हचर्य अवस्था समाप्त कर जब विद्या अध्ययन पूर्ण कर ले तब गुरु को गुरु दक्षिणा अर्जित कर अपने नगर हो जाए यदि गृहस्थाश्रम बनने की इच्छा उत्पन्न हो तो अपने कुल के अनुसार श्रेष्ठ स्कूल में विवाह कर गृहस्थ ही बताए पर स्त्री पर उठ दृष्टि ना डालें जब 50 वर्ष की अवस्था हो जाए तब वानप्रस्थ आश्रम ग्रहण करें और इस्त्री सहित वन में जाकर श्री नारायण के चरणों का ध्यान एवं स्मरण करें तथा कंदमूल आदि खा कर रहे मिलकर मादीधा रन करें केसना कटवाए और तेल आदि लगाकर स्नान ना करें मन में भी मान भाव का त्याग कर शुद्ध मन से भगवान श्री हरि नारायण का ध्यान एवं चिंतन करें इस तरह का तक 1 वर्ष 2 वर्ष 4 वर्ष 8 अथवा 12 वर्ष तक करें
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Seventh Skandha Chapter 12 Beginning
Narad ji describes the arrangement in Dhar, while describing the religious system, Narad ji has said that Dharmaraja, when a person observes a celibate fast, then he should go to the guru's ashram and serve the guru and following his orders, study education in the evening and In the morning, bow to the Guru and worship the variety of Sun God, Agni, Narayan, etc. Keep it in front, do not take food until the Guru has arrived, do not criticize the group and do not speak distant words to anyone, after completing the state of brahmacharya, then after completing the study of learning, then earn Guru Dakshina to the Guru and go to his city. If the desire to become a householder arises, then marry in the best school according to your family and tell the householder only, but do not stare at the woman when she attains the age of 50, then take the Vanprastha Ashram and go to the forest with iron and follow the feet of Shri Narayan. Meditate and remember and keep eating tubers etc. Let's run Madidha together and don't take bath by applying oil etc.
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