श्रीमद् भागवत कथा पुराण आठवां स्कंध अध्याय 11

श्रीमद् भागवत कथा पुराण आठवां स्कंध अध्याय 11 आरंभ

देवताओं की विजय श्री सुखदेव जी मधुर वचनों का उच्चारण करते हुए राजा परीक्षित को संबोधित करके बोले हे राजन् श्री हरि नारायण की कृपा प्राप्त कर देवता गण प्रसन्न हो गए उनकी सारी व्याकुलता दूर हो गई और देवराज बली की समस्त माया का नाश हो गया और पुनः हुए सम्मुख होकर घोर संग्राम करने लगे देवराज इंद्र ने उस समय देश के राजबली को भी करते हुए कहा अरे मूर्ख तू लौट के समान गति एवं चालबाज है अपनी माया से हमें धोखा देकर हमें जीतना चाहता है यदि शूरवीर है तो धर्म युद्ध कर आज मैं सारे राक्षसों का मार कर बदला शुक्ला लूंगा यह सुनते ही भयानक 28 करके बलि ने कहा रे देवराज इंद्र 4 दिन पहले तू मुझ से हार कर मारा मारा फिर रहा था तुझे इस तरह के अहंकार भरे वचन नहीं कहनी चाहिए थोड़े से सुख की प्राप्ति होने पर आऊंगा करने वाला महामूर्ख कहलाता है इस वचनों के साथ देते राजबली ने देवराज इंद्र पर आने के अनुसार छोड़े जिससे वह घायल हो गया तंत्र व्याकुल होने लगे और अत्यंत क्रोधित होकर सुधार वाले जज को देते शिरोमणि बलि के ऊपर चला दिया ब्रज के भीषण प्रहार से पर कटे पक्षी की भांति विमान सहित राजा बलि पृथ्वी पर आगी रे राजा बलि की दुर्दशा देखकर जमवा नामक राक्षस ने अपनी गदा से इंद्र के हाथी एरावत के मस्तक पर भयंकर प्रहार किया गदर लगाते ही ऐरावत अर्ध मूर्छित होकर पृथ्वी पर बैठ गया इंद्र का सारथी मातली अपनी रण कौशल का परिचय देते हुए तुरंत एक रत ले आया देवराज रथ पर सवार होकर युद्ध करने लगे और ब्रज से यम का सिर काट लिया यह देख नाम ऊंची नामक दैत्य ने इंद्र पर त्रिशूल से प्रहार किया इंद्रदेव को क्रोध आया उन्होंने अपने बाण से उसका त्रिशूल काट दिया और उसका सिर काटने के लिए ब्रज का प्रयोग किया किंतु नाम उचित शिवसेना कटा या को दुख देख इंद्र के आश्चर्य की सीमा न रही वे विचार करने लगे कि जिस भ्रष्ट नेता सूर जैसे महान पराक्रमी नीतियों को मार डाला किंतु इस नाम उसी का पूछना बिगाड़ा उसी समय आकाशवाणी हुई है देवराज यादव सुखी तथा गीली वस्तुओं से नहीं मरेगा तब इंद्र ने विचार किया कि समुद्र का फोन ना सूखे सुखा है ना ही गिला है तत्पश्चात उसके सेना मोची का सिर काट लिया

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Eighth Skandha Chapter 11 Beginning

Shri Sukhdev ji uttering sweet words addressed to King Parikshit and said, O king, the gods were pleased by receiving the blessings of Shri Hari Narayan, all their distractions went away and all the illusions of Devraj Bali were destroyed and again Devraj Indra started fighting fiercely in front of him and said at that time to the king Bali of the country, hey fool, you are a speed and trickster like a return, you want to win us by deceiving us with your illusion, if you are a warrior, then today I will fight with religion. On hearing this, I will take revenge of Shukla by killing the demons. After hearing this, Bali said, Devraj Indra, 4 days ago, you defeated me and killed you. The doer is said to be a great fool. With these words, Rajbali left Devraj according to the arrival of Indra, due to which he got injured. Like a bird, King Bali along with the plane came forward on the earth. Seeing her plight, a demon named Jamwa hit the head of Indra's elephant Airavat with his mace. Seeing this, the demon named Uchi attacked Indra with a trident. There was no limit to Indra's surprise seeing the right Shiv Sena cut or sad, he started thinking that the corrupt leader who killed the great mighty policies like Sur, but the question of this name was spoiled, at the same time there is a Akashvani Devraj Yadav not from happy and wet things. Then Indra thought that the phone of the ocean is neither dry nor wet, after that his army cobbler beheaded.

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