श्रीमद् भागवत कथा पुराण सातवां स्कंध अध्याय 11

श्रीमद् भागवत कथा पुराण सातवां स्कंध अध्याय 11 आरंभ

नारद जी द्वारा युधिष्ठिर को वार्ड उपदेश उपरोक्त कथा सुनने के पश्चात श्री सुखदेव जी बोले राजा परीक्षित भक्त पहलाद का चरित्र सुनकर तुम्हारे दादा धर्मराज युधिष्ठिर अत्यंत प्रसन्न होकर नाराजी से पूछने लगे हे देवर से आप कृपा करके चारों वर्णों सहित चारों आश्रम की कथा सुनाएं तब देवर्षि नारदजी बोले युधिष्ठिर भगवान नारायण आदमी अंशु से अवतार ग्रहण कर बद्रिका आश्रम में तब कर रहे हैं उन्हीं के मुख से मैंने 57 धर्म की कथा सुनी है वही मैं तुम्हें सुनाता हूं ब्राह्मण को प्रतिदिन वेद शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए तथा भागवत चर्चा करते हुए दूसरों को विद्या प्रदान करना चाहिए स्वयं यज्ञ करें और दूसरों से भी यज्ञ करवाएं दान लेना और दान देना ब्राह्मण धर्म कहा गया है छतरी वंश के अनुसार साधु संतों एवं ऋषि-मुनियों की सेवा करें वेद अध्ययन करें शूरवीर एवं धर्मात्मा बने और सदैव अपनी इंद्रियों को वश में रखने भोग विलास में कदापि लिफ्ट ना हो वैसे उनके मनुष्य को व्यापार करना चाहिए तथा वाणिज्य विद्या में निपुण प्राप्त करें किंतु किसी तरह ब्राह्मण एवं छतरी की समानता ना करें और शूद्रों को चाहिए कि वह ब्राह्मण छतरी आदि तीनों वालों की सेवा भक्ति भाव से करें सूत्र को वेद मंत्र द्वारा हवन कराना वर्जित है ब्राह्मणों को देव तुल्य स्थान प्राप्त है इसलिए उनमें से सेवा लेना वर्जित है यदि कोई महान द्रोणाचार्य का उदाहरण प्रस्तुत करके कहे कि उन्होंने दुर्योधन के पास नौकरी क्योंकि तू इसका कारण यह है कि बाल्यकाल में उनका पुत्र अश्वत्थामा एक बार किसी बालक को दूध पीते देखकर दूध के लिए रोने लगा तब द्रोणाचार्य जी ने सफेद खड़िया मिट्टी खोलकर उसे दिया जिससे दूध समझकर अश्वत्थामा की गया यह देखकर द्रोणाचार्य जी को बहुत गाली हुई इसी कारण हुए दुर्योधन के पास गए किंतु वेतन स्वरूप कभी पूछना लिया नारद जी बोले युधिष्ठिर अब तक मैंने चारों वनों का धर्म सहित वर्णन किया इस्त्री धर्म का वर्णन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है आप ध्यान पूर्वक सुने स्त्रियों के धर्म अनुसार उन्हें सदैव पति को देवता एवं भगवान समझकर पूजा करना चाहिए और उसकी आज्ञा का पालन करना चाहिए कुटुंब में वृद्ध जनों की शुद्ध मन से सेवा करें आशीर्वाद प्राप्त करें पति से सदैव सत्य बोले घर को साफ सुथरा रखें तथा सुहागिन स्त्रियों सदैव सिंगार से विभूति रहे जो स्त्री कर्मानुसार विधवा हो गई हो उसे उचित है कि जो कुछ भी मिल जाए उसी से पेट भरे फटा पुराना जैसे भी वस्त्र मिले उसी से अपने तन को ढकने सिंगार करना विधवा स्त्रियों के लिए वर्जित है चोरी आदि कर्म से चारों वर्णों को दूर रहना चाहिए तथा रजस्वला स्त्री से प्रार्थना करें जो ऐसा करता है उसे महा पापी जाना चाहिए धोबी चमार चांडाल आदि जिस वंश परंपरा से धर्म कर्म करते आ रहे हैं उसी के अनुसार करें इसके विरुद्ध कार्य करना धर्म है

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Seventh Skandha Chapter 11 Beginning

After listening to the above story by Narad ji to Yudhishthira, Shri Sukhdev ji said, listening to the character of King Parikshit devotee Pahlada, your grandfather Dharmaraja Yudhishthira was very pleased and started asking angrily, O God, please tell the story of the four ashrams along with the four varnas, then Devarshi Naradji said that Yudhishthira, Lord Narayana, taking incarnation from the man Anshu, is doing it in the Badrika ashram, from his mouth I have heard the story of 57 religions, the same I tell you, a Brahmin should study the Vedas daily and talk to others while discussing Bhagwat. One should impart knowledge, perform sacrifices themselves and make sacrifices to others as well, it is said to be Brahmin religion, according to the umbrella lineage, serve the sages, saints and sages, study the Vedas, become brave and virtuous and always control your senses. There should never be a lift in keeping the luxury of enjoyment, however, their person should do business and become proficient in commerce, but in any way do not equate Brahmin and umbrella and Shudras should that Brahmin umbrella etc. Serve the three people with devotion, it is forbidden to make the sutras with the help of Veda Mantra, Brahmins have a place equal to God, therefore it is forbidden to take service from them, if someone presents the example of the great Dronacharya and says that he got a job with Duryodhana because you are the reason for this. It is that in his childhood, his son Ashwatthama once started crying for milk after seeing a child drinking milk, then Dronacharya ji opened the white clay soil and gave it to him, seeing that Ashwatthama was considered as milk, Dronacharya was very abused due to this reason for Duryodhana. Went near but took some time to ask as a salary, Narad ji said Yudhishthira, till now I have described the four forests with religion. His orders should be obeyed, serve the old people in the family with a pure heart, get blessings, always speak the truth to the husband, keep the house clean and married, and the married women who are widowed according to their deeds. It is appropriate that whatever she gets, she should wear torn old clothes full of her stomach, covering her body with the same clothes, it is forbidden for widowed women to stay away from theft etc., and from menstruating women. Pray that one who does this should be known as a great sinner, Dhobi Chamar Chandal etc. Do according to the lineage tradition with which religious deeds have been done, it is religion to act against it.

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