श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय नव

श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय नव आरंभ

इंद्र द्वारा विश्वरूप का वध नारायण कवच की कथा सुनने के पश्चात श्री सुखदेव जी बोले हे राजा परीक्षित एक बार देवराज इंद्र ने यज्ञ किया इंद्र के आगे अनुसार 3 सिर एवं तीन मुख वाले विश्वरूप ने यज्ञ कार्य आरंभ किया हुए एक मुख से सोमरस पीते थे दूसरे मुझसे मदिरा तथा तीसरे मुख से हम यदि खाद्य पदार्थों का भक्षण करते थे 1 दिन किसी दैत्य ने विश्वरूप के पास जाकर कहा है महाराज आप असुर पुल की कन्या से उत्पन्न हुए हैं इसलिए हम असुरों के कल्याण हेतु कुछ ऐसा कार्य यज्ञ की आहुति देते समय करें जिससे आहुति का भाग देशों को ही प्राप्त हो उस देश के के कथन मानकर देवताओं की प्रसन्नता के लिए मंत्र उपचार उचित स्वर्ग में करते किंतु देशों के नाम का उच्चारण भी धीमी स्वर्ग स करते जिस कारण यज्ञ समाप्ति होने के पश्चात भी देवताओं का तेज ना बड़ा गुप्त रूप से यज्ञ का भाग असुरों की अर्पित करने का हाल जब इंद्रदेव को ज्ञात हुआ तो वह अत्यंत क्रोधित और तलवार से विश्वरूप के तीनों सिर को काट लिया उन तीनों सीटों में से सोमरस पीने वाला शिल्पापीठा मदिरा पीने वाला सीन गौरव तथा अन्य का भक्षण करने वाला सिर्फ तीतर बनकर उड़ गए किंतु ब्रह्म हत्या के पाप के बोझ तले दबकर इंद्रदेव का स्वरूप बदल गया और देवताओं के 1 वर्ष तक वह ब्रह्मा हत्या का पाप मुक्त नहीं हो सके तब इंद्र सहित अन्य देवताओं ने जाकर ब्रह्मा जी से अनुदान विनायकी ब्रह्मा जी ने हत्या के पाप को चार टुकड़ों में बांट कर एक भाग पृथ्वी को दे दिया जिससे पृथ्वी पर कहीं-कहीं उसूल हो गया ऐसे ही स्थान पर पूजा आदि शुभ कार्य नहीं करना चाहिए और पृथ्वी को यह वरदान दिया कि तेरे ऊपर आ खबरा गड़े कुछ दिन में स्वयं भर जाए करेंगे पाप का दूसरा टुकड़ा वृक्षों के प्रदान किया जिस कारण काटने पर या बिछाने पर अथवा होता है वो खून निकलता है जो पाप का अंत होता है और यह वर दिया कि तेरे कटे हुए भाग पुनः ठीक हो जाएंगे तीसरा भाग स्त्रियों को दिया जिस कारण स्त्रियों का मासिक धर्म के रूप में रक्त का स्त्राव निकलना होता है इसी कारण प्रत्येक माह में स्त्रियां e16 होती है और यह वरदान दिया कि उसका कामदेव सदा सर्वदा जागृत रहेगा पहले स्त्रियों केवल रितु काल में सहवास करती थी किंतु ब्रह्मा से सदैव सहवास सुख प्राप्त करने का वरदान मिल गया तब बाप का चौथा भाग उन्होंने जल को दिया जो पाप रूप में जल का ₹10 अदा पर दिखाई देते हैं पुणे ब्रह्मा जी ने जल को वरदान दिया कि उसकी जल सदा वृद्धि होती रहेगी जब भी स्वरूप के पिता श्री स्वास्थ महाराज के पुत्र के मारे जाने का समाचार प्राप्त हुआ तो अत्यंत क्रोधित हुए क्रोध व उनके नेत्र लाल हो गए और इंद्र कुमार ने हेतु हवन किया और आपने मंत्र बल से एक काले रंग के भयानक देते को अग्नि कुंड में उत्पन्न किया उसके नेत्र भयानक थे और अत्यंत विकराल थी उसके चिल्लाने से पृथ्वी कमान हो जाती मुंह खोलने से प्रतीत होता जैसे भयंकर गुफा हो यह भयानक दैत्य का आकार पर्वत के समान था अग्निकुंड सेवा हाथ में खड़ा दिया हुआ बाहर निकला वह 13 के बराबर प्रतिदिन बढ़ता थ तू अष्टांग जी ने उसका नाम बिता असुर रखा और आज्ञा देते हुए आपने उस तामसी पुत्र से बोला है पुत्र तेरे भाई विश्वरूप को इंद्र ने मारा है इसलिए तू जाकर इंद्र को मारकर आपने भाई का बदला ले तो अष्टांग की आज्ञा पाकर उसने इंद्र के पास जाकर ललकार कर अकेले ही समस्त देवताओं को हरा दिया इंद्र समय सभी देवता जानबच्चा कर भागे और श्री नारायण की शरण में जाकर विनती करने लगे हे स्वामी हे जगत के पालनहार आप अंतर्यामी है प्रभु हमें देवता गण वृद्धा शुरू से भयभीत होकर आप की शरण में आए हैं बिदासर को मारने में केवल आप ही सामर्थ्य यदि आप शीघ्र कोई उपाय नहीं करेंगे तो समस्त सृष्टि के प्राणियों वह मार डालेगा देवताओं का बिना पुरवा की स्तुति सुनकर श्री हरिनारायण प्रसन्न होकर बोले हे देवराज तुमने अज्ञातवास एक ब्राह्मण की हत्या की है यह उसी का परिणाम है वृद्धा सूर पर तुम्हारे अस्त्र शास्त्र का प्रभाव नहीं होगा उसे मारने का एकमात्र उपाय है कि तुम जाकर ऋषि राज दादी जी की हड्डी मांग लो उनकी हड्डी कठिन तप के कारण अत्यंत भिन्न है तुम उससे बज्र का निर्माण करो इस कार्य में विश्वकर्मा जी तुम्हारी सहायता करेंगे उस बाजरा के प्रीतम सूरज मारा जाएगा यह कहकर तीनों लोगों को सुख प्रदान करने वाले शुभ निधान अंतर्ध्यान हो गए

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Sixth Skandha Chapter New Beginning

After listening to the story of Narayan Kavach killing Vishwaroop by Indra, Shri Sukhdev ji said, O King Parikshit, once Devraj Indra performed a Yagya in front of Indra. If we used to eat liquor from me and food items from the third mouth, one day a demon went to Vishwaroop and said, Sir, you are born from the daughter of Asur bridge, so we should do something for the welfare of the demons while offering sacrifice. So that only the countries get the part of the sacrifice, following the words of that country, for the happiness of the gods, they used to do mantra treatment in the proper heaven, but they also used to pronounce the names of the countries slowly, due to which even after the completion of the yagya, the deities did not grow up. When Indradev came to know about the secret offering of the portion of the yagya to the Asuras, he became very angry and cut off the three heads of Vishwaroop with a sword, from those three seats, the drinker of Shilpapeetha, the drinker of wine, Seen Gaurav and others. Vala flew away just like a pheasant but brah Under the burden of the sin of killing Indra, the form of Lord Indra changed and he could not get rid of the sin of killing Brahma for 1 year of the gods, then other deities including Indra went to Brahma ji to grant Vinayaki Brahma ji cut the sin of killing into four pieces. Divided and gave a part to the earth, due to which it has become a principle somewhere on the earth, worship etc. should not be done in such a place and gave the boon to the earth that the news coming on you will be filled in a few days itself, will do the second of sin. The piece was given to the trees, due to which the blood comes out when it is cut or laid, which is the end of sin and gave the boon that your cut parts will be cured again, the third part was given to the women, due to which the women should not stop their menstrual cycle. Blood has to be released in the form, that is why women are e16 in every month and given this boon that her Kama Dev will always be awake forever. Earlier women used to cohabit only during Ritu period but got the boon of getting cohabitation pleasure from Brahma. He gave the fourth part of the father to the water, which in the form of sin was ₹ 10 rupees of water. It is visible at Pune, Brahma ji gave a boon to the water that its water would continue to increase. Kumar did a havan for this purpose and you created a black colored pyre in the fire pit with the help of mantra, his eyes were terrible and very terrible, his shouting would command the earth, opening the mouth seemed as if it was a terrible cave of a terrible monster. The size was like a mountain, the fire pit, the service came out standing in the hand, it grew every day equal to 13, you Ashtanga ji named him as Bita Asura and while giving orders, you have spoken to that vengeful son, son your brother Vishwaroop has been killed by Indra. That's why you go and kill Indra and take revenge of your brother, then after taking the orders of Ashtanga, he went to Indra, challenged and defeated all the gods alone. You are the savior of the world, Lord, we are the gods. Fearing from the beginning, you have come under your protection, only you have the power to kill Bidasar. A Brahmin has been killed, it is the result of that, the old age will not be affected by your weaponry, the only way to kill her is that you go and ask for the bone of Rishi Raj Dadi ji, her bone is very different due to hard tenacity. Vishwakarma ji will help you in this work

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