श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंद अध्याय 8

श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंद अध्याय 8 आरंभ

विश्वरूप द्वारा नारायण कवच का उपदेश श्री सुखदेव जी से राजा परीक्षित ने पूछा एक ज्ञान चक्षु किस प्रकार पुरोहित विश्वरूप की कृपा से देशों का परास्त करके इंद्रदेव ने अपने राज को स्थिर रखा श्री सुखदेव जी बोले हे राजन् देवताओं के पुरोहित बनने के पश्चात विश्वरूप ने देवराज इंद्र को नारायण कवच नामक मंत्र का ज्ञान प्राप्त किया नारायण कवच मंत्र को लिखकर भुजा पर बांधने से अस्त्र शस्त्र का कुछ असर नहीं होता विधि के अनुसार हाथ मुट्ठी धोकर आज मन करने के पश्चात उसकी पुत्री पहनकर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठे और ओम नमो नारायण से अग्नि याद कर के द्वार 10 अक्षर के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का मन में स्मरण करने और कहे जल से मत्स्य अवतार रक्षा करो पताल से वारा अवतार रक्षा करो जहां किला एवं जंगल है वहां नरसिंह भगवान रक्षा करो योग्य मार्ग से दैत्य जी एवं पर्वत से पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी मेरी रक्षा करेंगे पूजा विधान में नारद जी की सहायक हो तथा देवताओं के अपराध से संत कुमार जी मेरी रक्षा करेंगे कृपया से धन्वंतरि जी अज्ञान से वेद व्यास जी मेरी रक्षा करेंगे नारायण भगवान मारण मोहन आदि से रक्षा करेंगे और आठों पहर मेरी समस्त आंतरिक एवं इंद्रियों की रक्षा करेंगे भगवान प्रवचन अर्कोसे सेठ जी साहू ने एवं बलभद्र जी बलराम मनुष्यों से मेरी रक्षा करें तथा कालिका भगवान कलयुग के पापों से मेरी रक्षा करें हे राजा परीक्षित यदि नारायण कवच पुरोहित विश्वरूप ने देवराज इंद्र को बतलाया था जिसे धारण कर उन्होंने असुरो पर विजय पाई इस मंत्र के पढ़ने और धारण करने से समस्त शोक संताप मिट जाते हैं इस कवच को धारण करने वाला सदैव युद्ध भूमि में विजई होता है

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Shrimad Bhagwat Katha Purana 6th Skanda Chapter 8 Beginning

Vishwarup preached Narayan Kavach to Shri Sukhdev ji, King Parikshit asked a knowledgeable eye, how by defeating the countries by the grace of the priest Vishwaroop, Indradev kept his kingdom stable Shri Sukhdev ji said, O king, after becoming the priest of the gods, Vishwaroop made Devraj Indra got the knowledge of a mantra named Narayan Kavach, by writing Narayan Kavach mantra and tying it on the arm, there is no effect of the weapon, according to the method, after washing the hands and fists, after contemplating today, wear his daughter and sit facing the north direction and Om Namo By remembering the fire from Narayan, remember the 10-letter mantra Om Namo Bhagwate Vasudevaya in the mind and say, protect the Matsya avatar from the water, protect the incarnation from Patal, protect Lord Narasimha, where there is a fort and forest, protect the demon from the right path and Purushottam Shri Ramchandra ji will protect me from the mountain, be the helper of Narad ji in worship and Sant Kumar ji will protect me from the crime of the gods, please Dhanvantari ji, Ved Vyas ji will protect me from ignorance, Narayan will protect me from Lord Maran, Mohan etc. God will protect all my inner and senses at eight o'clock, God discourses Arkose Seth ji Sahu and Balabhadra ji Balaram protect me from human beings and Lord Kalika protect me from the sins of Kali Yuga, O King Parikshit if Narayan Kavach priest Vishwaroop had told Devraj Indra Wearing which he conquered Asura

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