श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 6 आरंभ
दक्ष की 60 कन्याओं की उत्पत्ति का वर्णन नारद जी के चले जाने के पश्चात जगत के रचयिता ब्रह्मा जी के पास 10 जी जाकर कहने लगे हे पितामह तुम्हारा पुत्र नारद मेरे पुत्रों को ज्ञान का उपदेश देकर संसार से विरक्त कर देता है मैं किस प्रकार से सृष्टि की वृद्धि करने का कार्य पूर्ण स्वरूप दक्ष के वचनों को सुनकर ब्रह्मा जी बोले हैं दक्ष प्रजापति तुम कन्याओं की उत्पत्ति करो कि स्त्रियों वैसे भी अज्ञानी होती हैं नारद के ज्ञान उपदेश का प्रभाव उन पर ना होगा इतनी कथा सुनकर सुखदेव जी राजा परीक्षित से बोले हे राजन् ब्रह्मा जी की आज्ञा शिरोधार्य कर दक्ष ने 60 कन्याओं की उत्पत्ति की उसम से 10 कन्याएं धर्म को 27 कन्याएं चंद्रमा को दो भूत को 17 कश्यप को दो अंगिरा ऋषि को दो तीन सुआ को विवाह दिया उनमें से अनेक जीवो की उत्पत्ति हुई धर्म की दास्तां स्त्रियों के नाम भानु लंबा विश्वा का कार्य भी संध्या एवं वसु मुहूर्त संकल्प और मृत युवती थे भानु का पुत्र देव ऋषि तथा देव ऋषि का पुत्र इंद्रसेन था लंबा का पुत्र विद्युत तथा विद्युत के मैदान हुए का करके पुत्र संकट और उसे की किट उत्पन्न हुए की किट से अभिमानी देवता उत्पन्न हुए दक्ष कन्या जाभ के पुत्र स्वर्ग और स्वर्ग से नाक पर हुए विश्वा का पुत्र विश्वदेव सानिया का पुत्र संध्या नगर तथा उनसे अति शब्द की उत्पत्ति हुई मृत्यु होती के पुत्र मारू स्थान तथा जयंत हुए जिन्हें इंद्र और उपद्र भी कहते हैं मुहूर्तो से मुहूर्त के देवता संकला से संकल्प नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई तत्पश्चात संकल्प को काम नामक पुत्र हुआ वसु के पुत्र अष्ट वसु हुए उसके नाम द्रोणा प्राण ध्रुव अग्नि द्रोणा वसु विभास वस्तु आदि हुए भूत की स्त्री के गर्भ से अनेक रूद्र उत्पन्न हुए जिसमें 11 मुख्य रूद्र है रेवत आज भाई भीम वाम अग्रि वृक्षा आने का उत्पात अहीर बुध बहुरूपी और महान हुए हे राजन चंद्रमा की 27 स्त्रियों नक्षत्र हुए अंगिरा की स्त्रियों स्वर्ग धार के गर्व से प्रीत गाड़ी सब की पत्नी से कांग्रेस तथा भीषण से देवल वेद सिरा वायु तथा मानव की उत्पत्ति हुई कश्यप जी की पत्नी विनीता के गर्व से गरुड़ तथा क्रोध के गर्भ से सांपों की उत्पत्ति हुई तो समस्त जगत में फैल गया कश्यप की क्रीमी से जल जीव तथा सराय से बाघ आदि वन्य जीव उत्पन्न हुए सुरभि से गाय एवं तांबा के गर्व से वाज आदि बिच्छू ने जन्म लिया दक्ष पुत्री इला से वृक्ष लता ईयूनी के गर्व से अप्सराएं तथा उदवंत से बिच्छू आदि उत्पन्न हुए सुरसा से राक्षस कास्ट से असवा अरिष्ठा से गंधर्व तथा जूती के गर्व से महाबली देते हिरण्याक्ष हिरण शिशु की उत्पत्ति हुई जिसमें अपने प्रताप से ब्रह्मांड को आकार मचा दिया अदिति के गर्व से देवगढ़ उत्पन्न हुए विश्व रचित मानव की स्त्री सीधी का के गर्व से राहू नामक देते उत्पन्न हुआ जिसका सिर भी श्री नारायण ने सुदर्शन चक्र से काट दिया थ 20 जवान की स्त्री से छाया के गर्व से सनीचर और सर्वविदित नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए आर्यम की स्त्री मृतिका के जर्मनी उत्पन्न हुए उन्होंने वर्ण व्यवस्था का प्रचलन किया पुष्पा संतान हिंद रहे तो दस्त की पत्नी कुमारी रचना थी उसके गर्व से सनी वेद और विश्वरूप नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए तथा बृहस्पति के रुठ जाने पर देवताओं ने विश्वरूप को अपना पुरोहित बनाया उपयुक्त कथा सुनकर राजा परीक्षित श्री सुखदेव जी से बोले हे महात्मा सरवन का क्या वृतांत है परीक्षित के वचन सुनकर श्री सुखदेव जी बोले हे राजन् सरवन अपने पति सूर्य देव का तेज सहन नहीं कर सकी इसलिए मंत्र बल से आपने सम्मान स्त्री की रचना कर बोली है मेरे बदले तू यहां पर निवास कर और स्वयं पिता के घर चली गई जब यह बात विश्वकर्मा जी को ज्ञात हुआ ईश्वर अपने स्वामी की आज्ञा के बिना चली आई तबियत पूर्वक बोले तू अपनी इच्छा अनुसार मेरे घर आई है तेरे स्वामी की आज्ञा सम्मिलित नहीं है इसलिए मैं तुम्हें नहीं रखूंगा निराश होकर शर्मा यहां से निकल कुरुक्षेत्र चली गई और घोड़ी का रूप बनाकर रहने लगे कुछ समय पश्चात जब सूर्य देव को याद हुआ तब उन्होंने घोड़े का रूप बनाकर कुरुक्षेत्र में पहुंचकर श्रवण से बुक करना चाहा तब घोड़ी रूप श्रवण ने अपना मुंह फेर लिया जिससे उसका वीर्य घोड़ी के गर्दन और नाक पर गिरा जिस कारण गर्दन के बाल से अश्वनी और नाक के से कुमार की उत्पत्ति हुई
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Sixth Skandha Chapter 6 Beginning
The description of the origin of the 60 daughters of Daksha, after the departure of Narad ji, went to Brahma ji, the creator of the world, 10 ji and started saying, O father, your son Narada dissociates my sons from the world by preaching knowledge. After listening to Daksha's words, Brahma ji has said that Daksha Prajapati, you should create girls that women are ignorant anyway, the effect of Narada's teachings of knowledge will not affect them, after hearing this story, Sukhdev ji said to King Parikshit. Daksha gave birth to 60 girls by order of King Brahma ji, out of which 10 girls were given to religion, 27 girls to the moon, two ghosts, 17 to Kashyap, two to Angira sage, two to three sage were born, out of which many creatures were born. Women's names Bhanu Lamba Vishwa's work was also Sandhya and Vasu Muhurta Sankalp and dead girl Bhanu's son was Dev Rishi and Dev Rishi's son Indrasen was Lamba's son Vidyut and Vidyut's field took place after the son crisis and his kit was born. Arrogant god generated from kit Swarga, the son of the Daksh girl Jabha, and Vishwadev, the son of Vishva on the nose from heaven, Sandhya Nagar, the son of Sania, and from him the word Ati was born, the son of Maru became the place and Jayant, who is also called Indra and Updra, the god of Muhurta from Muhurto. A son named Sankalp was born from Sankala, after that Sankalp had a son named Kama, Vasu's son became Ashta Vasu, his name was Drona, Prana, Dhruv, Agni, Drona, Vasu, Vibhas, etc. Many Rudras were born from the womb of a ghost woman, in which 11 main Rudras are Revat today. Brother Bhima left the fire tree, Ahir, Mercury became multi-formed and great, O Rajan, 27 women of the moon became stars, the women of Angira were proud of heaven's edge, the car was proud of everyone's wife, Congress and from the fierce Deval Veda, Sira Vayu and human were born Kashyap. From the pride of Vineeta's wife, snakes were born from the womb of Garuda and anger, then the water creatures from Kashyap's creamy and wild creatures like tigers were born from the inn. born skilled From daughter Ila, tree Lata was born from Euni proudly Apsaras and from Udvant, scorpions etc. were born from Sursa, from Asva Aristha, Gandharva from Gandharva and with the pride of shoe, Hiranyaksha deer child was born, in which with his majesty the universe was shaped by Aditi's. Proudly born Devgarh, the world-made man's woman was born with the proud name of Rahu, whose head was also beheaded by Shree Narayan with Sudarshan Chakra. 20 From the young woman's woman, Sanichar and Sarvvidt gave birth to two sons named Aryam. The woman was born in Germany of the deceased, she practiced the caste system, if Pushpa's children remained Hind, then the wife of Dasta was a virgin creation, she proudly gave birth to two sons named Sunny Veda and Vishwaroop, and when Jupiter became angry, the gods made Vishwaroop their priest. Hearing the story, King Parikshit said to Shri Sukhdev ji, what is the story of Mahatma Sarwan, after hearing the words of Parikshit, Shri Sukhdev Ji said, O Rajan Sarvan could not bear the effulgence of her husband Surya Dev, so with the power of mantra, you created a respectable woman and said You have taken my place instead of me and you have gone to your father's house, when Vishwakarma came to know about this thing, God came without the permission of his master and said, you have come to my house according to your wish, your master's order is not included. That is why I will not keep you, disappointed Sharma left here and went to Kurukshetra and started living in the form of a mare. He turned his face so that his semen fell on the neck and nose of the mare, due to which Ashwani was born from the hair of the neck and Kumar from the nose
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