श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 3

श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 3 आरंभ

यमदूत ओं का धर्मराज से आज मिल का वृतांत कहना सुखदेव जी से इतनी कथा सुनकर महाराज परीक्षित ने पूछा है महात्मा यमदूत ने वापस लौट गाकर धर्मराज से क्या कहा कृपा करके यह भी बताएं कि धर्मराज नहीं हम दूधो को कौन सा उत्तर दिया परीक्षित के वचन सुनकर श्री सुखदेव जी बोले हे राजा नियम दूतों ने धर्मराज से जाकर कहा कि के स्वामी जगत में प्राणी द्वारा कई तरह के कर्म किए जाते हैं आप हम पर दया करके यह बताने का कष्ट करें कि जीवो को कर्म फल प्रदान करने वाला सुख एवं दुख के अधिकारी कौन हैं हम तो आपको ही मानते हैं किंतु इस समय संसार में आपका भी न्याय नहीं माना जा रहा है हाथ चार भुजाएं वाले सिद्ध पुरुषों ने महा पापी अजमल को हमारे हाथों से छुड़ा लिया क्योंकि एक बार उसके मुख से नारायण शब्द निकल गया था यह स्वामी इसका रहस्य बताएं दूधों के मुख से इस प्रकार के वचन सुनकर भगवान दंड प्रीत बोले हेतु तुम लोग नारायण के नाम की महिमा से अनजान हो वह संपूर्ण जगत के स्वामी है उसके प्रताप से मेरी उत्पत्ति हुई है उन्होंने इंद्र कुबेर वरुण अग्नि ब्रह्मा शंकर चंद्रमा वायु सूर्य बारहवें आदित्य रूद्र ब्रिंग प्रजापति आदि देवताओं का उत्पन्न किया है उन्हीं की प्रेरणा से प्राणियों को कर्मानुसार में दंड देता हूं यमदूत ने नारायण जी की महिमा सुनने के पश्चात पूछा है स्वामी जब नारायण जी का नाम लेने से प्राणी पाप मुक्त हो जाता है तो वेद शास्त्रों में पाप छुड़ाने के लिए कठिन प्रयास ईद का वर्णन क्यों किया है यमदूत ओं के वचन सुनकर धर्मराज मुस्कुराए और कहने लगे हैं अनु चारों जो मनुष्य प्रभु श्री नारायण के नाम की महिमा नहीं जानते उनके लिए वेदों में तप यज्ञ दान आदि का वर्णन किया गया है जिससे उनका मन परमेश्वर की पूजा करने में लगे भगवान का भगवत धर्म अत्यंत गोपनीय है जिसे हमें ब्रह्मा जी देवर्षि नारद भगवान शिव संत कुमार यीशु मनु मनु कपिल जी भक्त पहलाद जनक भीम पितामह राजा बलि तथा श्री सुखदेव जी भी जानते हैं अन्य किसी को भागवत धर्म का ज्ञान नहीं है कलयुग वासियों को वैदिक लाने के लिए प्रभु ने कठिन जब तक एवं यज्ञ का विधान बनाया जिससे वह धर्म कर्म ना करें अन्यथा मनुष्य निर्भय होकर पहले आ धर्म करता है और सांसारिक सुखों का भोग करने के पश्चात प्रभु के नाम का स्मरण करके पाप मुक्त होकर बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है तब धर्मराज के दूतों ने पूछा कि आप हमें मनुष्यों को लेने के लिए क्यों भेजते हो जूतों के वचन सुनकर धर्मराज बोले हेतु तो हम उन मनुष्यों को ले ले आने के लिए तुम्हें आज्ञा देते हैं जिससे जीवन भर पाप कर्म की आया और परमात्मा के नाम का स्मरण एक बार भी ना किया हो आज से तुम लोग विचार करके ऐसे पापियों को लाया करो जिसने कभी परमेश्वर का नाम लिया ना हो श्री सुखदेव जी बोले हे राजा परीक्षित भगवान श्री वासुदेव के नाम का स्मरण करने से पापियों के समस्त पाप छूट जाते हैं इस कलिकाल के पापी रूप माल को धोने वाला केवल हरि नाम कीर्तन ही है या कथा मुझे अगस्त्यमुनि ने सुनाई थी सो मैंने तुम्हें बतलाए

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Sixth Skandha Chapter 3 Beginning

After hearing so many stories from Sukhdev ji, Maharaj Parikshit has asked what Mahatma Yamdoot said to Dharmaraj after singing back and please also tell us what answer we gave to the milkmen, not Dharmaraj. Shri Sukhdev ji said, O king, the messengers went to Dharmaraj and said that in the world of lords, many types of deeds are done by the creatures, you should take pity on us and tell that the ones who give the fruits of action to the living beings are entitled to happiness and sorrow. Who are we believe in you, but at this time your justice is not being considered in the world Tell the secret of this, after hearing such words from the mouth of milk, Lord Dand Preet said that you are unaware of the glory of the name of Narayan, he is the master of the whole world, I have originated from his majesty, he Indra Kuber Varun Agni Brahma Shankar Moon Vayu Surya Twelfth Aditya Rudra Bringing Prajapati is the birthplace of gods etc. I have given punishment to the living beings according to their deeds, with their inspiration, the Yamdoot has asked after listening to the glory of Narayan ji, Swami, when the creature becomes free from sin by taking the name of Narayan ji, then in the Vedas, hard efforts are made to get rid of the sins. Why has it been described, Dharmaraja smiled after hearing the words of the eunuchs and started saying that all the four human beings who do not know the glory of the name of Lord Shri Narayan, have been described in the Vedas for performing penance, sacrifice, donation etc., so that their mind is able to worship God. The Bhagvat religion of God is very secret, which we know as Brahma ji Devarshi Narad Lord Shiva Sant Kumar Jesus Manu Manu Kapil ji Bhakt Pahlada Janak Bhim Pitamah King Bali and Shri Sukhdev ji also no one else has the knowledge of Bhagwat religion. To bring it, the Lord made a law of yajna till difficult and so that he does not perform dharma, otherwise a person becomes fearless and does religion first and after enjoying worldly pleasures, remembering the name of the Lord, he becomes free from sin and attains the abode of Baikunth. Then the messengers of Dharmaraja asked So why do you send us to pick up human beings, after hearing the words of the shoes, Dharmaraja said, then we order you to bring those human beings, from whom sinful deeds came throughout life and not remembering the name of God even once. Thinking from today, you people bring such sinners who have never taken the name of God, Shri Sukhdev ji said, O King Parikshit, by remembering the name of Lord Shri Vasudev, all the sins of sinners are washed away. It is only the chanting of Hari Naam or the story was told to me by Agastyamuni, so I told you

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