श्रीमद् भागवत कथा पुराण पंचम स्कंध अध्याय 25

श्रीमद् भागवत कथा पुराण पंचम स्कंध अध्याय 25 आरंभ

सकारण भगवान की महिमा पाताल लोक में 30000 योजन नीचे सेठ जी अपनी नृत्य कला से विराजमान है इनका नाम सकारण भी है जो 11 रूद्र में से एक रूद्र है महा प्रलय काल के समय उसके मुख से अग्नि ज्वाला निकलती है सरकार जी के सहस्त्र मस्तक है और 14 भुजा का भार उसके मस्तक पर है हजारों नागकन्या उसकी सेवा करती है फिर भी शक अरुणा भगवान के मन में कामदेव उत्पन्न नहीं होता काम क्रोध मद लोभ आदि इंद्रियों उन्होंने अपने वश में किया है ऋषि मुनि नुस्खे चरणों का ध्यान आठों पहर करते हैं भगवान अत्यंत देव से जी अपनी आंख क भारत पर पीतांबर धारण किए हुए और फाड़ फाड़ वैजयंती माला सुशोभित होती है कोई भी पापी एक भी बार उसका नाम ले ले तू उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं श्री सुखदेव जी राजा परीक्षित से बोले हे राजन् भगवान अत्यंत देव की महिमा अत्यंत है वह दिन-रात बैकुंठधम प्रभु के नाम का ध्यान वही स्मरण करते रहते हैं जब उन्हें क्रोध उत्पन्न होता है तू समय क्रोध से युक्त त्रिशूल लिए हुए 11 रूद्र प्रगट होते हैं हे राजन से जी की पूजा परमेश्वर से मिलने के लिए उत्तम होती है

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Pancham Skandha Chapter 25 Beginning

The glory of God is 30000 yojans down in Hades, Seth ji is seated in his dance art, his name is also Sakaran, which is one of the 11 Rudras, Rudra, a flame of fire emanates from his mouth at the time of the Great Holocaust, the government has a thousand heads and 14 The weight of the arm is on his head, thousands of serpents serve him, yet, doubt, Aruna, Kamadev does not arise in God's mind, he has controlled the senses, anger, greed, etc. Lord of God, wearing a yellow garland on India with his eyes, and tearfully adorns Vaijayanti garland, if any sinner takes his name even once, all his sins are destroyed, Shri Sukhdev ji said to King Parikshit, O King, God extremely God. His glory is immense, he keeps meditating on the name of Lord Baikunthadham day and night only when anger arises, 11 Rudras with a trident with anger appear at the time, O worship of Rajan to God, the best to meet God it occurs

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