श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 15

श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 15 आरंभ

ऋषि अंगिरा एवं देवर्षि नारद का चित्रकेतु उपदेश देना 100 ग्रस्त राजा चित्रकेतु पृथ्वी पर पड़े हुए थे उसी समय देवर्षि नारद और ऋषि अंगिरा का आगमन हुआ चित्रकेतु को उठाकर उन्हें कहा हे राजा जी बालक के लिए तुम इतना ब्लॉक कर रहे हो उसे तुम्हारा क्या संबंध था यह संसारी जीव पूर्व जन्म का बदला लेने के लिए जन्म लेते हैं जब बदला पूरा हो जाता है तब एक चल जाते हैं प्रभु की कृपा से प्राणी उत्पन्न होते हैं तथा नष्ट हो जाते हैं जीवात्मा सदैव अमर रहती है उसका ना तो जन्म होता है और ना ही मृत्यु केवल मकान शरीर से तात्पर्य है का बदलाव होता है इसलिए आप शौक रूपी अग्नि का त्याग कर प्रसन्न मुख हो जाए उनके वचनों को सुनकर सुख शांति राजा चित्रकेतु बोले हे महान अनुभव आप लोग कौन हैं मैंने आपको पहचाना नहीं तब अंगिरा ऋषि बोले राजन मैं अंगिरा ऋषि हूं मैंने आपको पहले ही बताया था कि पुत्र प्राप्त होने पर आपको प्रसन्नता होगी किंतु यह प्रसन्नता ज्यादा दिन की नहीं होगी मेरे साथ देवर्षि नारद जी भी हैं मैं आपको उसी समय बतलाना चाहता हूं किंतु पुत्र प्राप्ति की इच्छा तुमने बहुत ज्यादा थी इसलिए मैंने तुम्हें पुत्र प्रदान करना ही उचित समझा यह राज सुख धन संपत्ति है इस्त्री पुत्र आदि सब स्वप्नात व मिथ्या है तुम इन सब का त्याग कर श्री हरि के चरण का ध्यान करो उसी में तुम्हारा कल्याण है

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Sixth Skandha Chapter 15 Beginning

Sage Angira and Devarshi Narad's Chitraketu preaching 100 afflicted King Chitraketu was lying on the earth at the same time Devarshi Narad and Sage Angira came and picked up Chitraketu and said to them, O king, you are blocking so much for the child, what was your relation to him? These worldly beings take birth to avenge the previous birth, when the revenge is complete, then they go away, by the grace of the Lord, beings are born and are destroyed, the soul is always immortal, it is neither born nor Only death means the body of the house, there is a change, so you should be happy after giving up the fire of hobby, listening to their words, happiness, peace, king Chitraketu said, O great experience, who are you, I did not recognize you, then Angira Rishi said, I am Rajan. I am sage Angira, I had already told you that you will be happy if you get a son, but this happiness will not be for long, I have Devarshi Narad ji with me, I want to tell you at the same time but you had a lot of desire to get a son, so I give you a son I thought it right, this secret is happiness, wealth, iron, son etc. All are dream and false, you leave all these and meditate on the feet of Shri Hari, in that is your welfare.

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