श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 14

श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 14 आरंभ

श्री सुखदेव जी द्वारा प्रीता सूर के पूर्व जन्म का वृतांत राजा परीक्षित ने श्री सुखदेव महाराज से प्रश्न किया हे ज्ञान के भंडार महात्मा कृपा करके यह बताएं कि देखते वृत्रासुर कोचावा स्त्रोत के वशीभूत होकर उत्पन्न किया था फिर उसे युद्ध के समय किस तरह ज्ञान की प्राप्ति हुई राजा के वचन सुनकर वे कहने लगे हे राजा निरुत्तर सूर पूर्व जन्म में चित्रकेतु नामक शूरसेन देश में राजा था उसने सातो दिनों में राज किया और राज है चित्रकेतु के पास एक करोड़ रानियां थी वह धर्म कर्म करते हुए प्रजा का पालन करते थे फिर भी उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हुई जिससे वह अत्यंत उदास रहते थे एक बार राजा चित्रकेतु के राजभवन में अंगिरा ऋषि पधारे राजा ने उनका आदर सत्कार करते हुए आसन पर बैठाया कुछ क्षण बाद अंगिरा ऋषि राजा चित्रकेतु का मालिनी मुक्त देखकर बोले हे राजन् आप चक्रवती सम्राट होकर भी उदास रहते हो इसका कारण क्या है तब राजा चित्रकेतु अपने दुखी रहने का कारण बतलाते हुए विनय पूर्वक बोले हे ऋषिराज आपकी कृपा से मुझे सर्वश्रेष्ठ ईश्वर तथा संपत्ति प्राप्त है किंतु एक पुत्र के बिना सारी संपत्ति एवं सुख व्यर्थ लगता है इसी कारण मैं उदास रहता हूं आप जिस तरह कृपा करके मेरे भवन में पधारे हैं उसी तरह मेरे युद्ध को दूर करें चित्रकेतु के वचन सुनकर अंगिरा ऋषि कहने लगे की राजन तुम्हें भाग्य में संतान सुख प्राप्त करना नहीं लिखा है इसलिए तुम भागवत भजन करो जिससे तुम्हारा परलोक सुधर जाएगा तब राजा चित्रकेतु बोले हे ऋषिराज पुत्र के बिना मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता उसका हट देखकर अंगिरा ऋषि करने लगे हे राजन आप हट कर रहे हैं आप एक यज्ञ करें तुम्हें एक पुत्र प्राप्त होगा किंतु बाद में वह महान दुख प्राप्त होगा राजा चित्रकेतु ने कहा है महात्मा एक बार पुत्र सुख दिखला दीजिए फिर चाहे जो हो तब अंगिरा ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए राजा से यज्ञ कराया था तब प्राप्ति के पश्चात शेष बचे संकल्प को प्रसाद स्वरूप राजा को देखकर बोले इस प्रसाद को ले जाकर अपनी एक रानी को खिला दे भागवत कृपा से आपको पुत्र होगी राजा ने वैसा ही किया प्रसाद ग्रहण कर रानी गर्भवती हुई हर 10 माह में 1 पुत्र ने जन्म लिया राजा को पुत्र से आती थी किंतु राजा की रानी रानियों के मन में सौतेले ईसिया उत्पन्न हो गई क्योंकि राजा पुत्र मोह में इतना अधिक लीन हुए कि वह रानियों की तरफ देखते भी ना थी तब रानिया ने आपस में सलाह करके बालक को एकांत में पाकर 20 दे दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई रानी प्रीत गीत दूध पान कराने हेतु जब गई तो बालक को मृत देखकर प्रोग्राम करने लगी राजा चित्रकेतु को जब ज्ञात हुआ तो रोते फिरते हुए धरती पर गिर कर मूर्छित हो गए इतने कथा सुनकर सुखदेव जी बोले हे राजन् की स्त्रियां अपने पति एवं उनका सुख नहीं चाहती उन्हें अपने सुख मात्र से सरोकार होता है

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Sixth Skandha Chapter 14 Beginning

Story of Preeta Sur's previous birth by Shri Sukhdev ji, King Parikshit asked Shri Sukhdev Maharaj, the storehouse of knowledge, please tell the Mahatma that Vritrasura was born under the control of Kochava source, then how he attained knowledge at the time of war. Hearing the words of the king, he started saying, O king Niruttar Sur, in his previous birth, there was a king in Shurasen country named Chitraketu, he ruled for seven days and the kingdom is Chitraketu had one crore queens, he used to follow the subjects while doing religious deeds. He did not get the son Ratna, due to which he used to be very sad. Despite being sad, what is the reason for this, then King Chitraketu while explaining the reason for his unhappiness said humbly, O Rishi Raj, by your grace I have got the best God and wealth, but without a son all the wealth and happiness seems useless. Because I remain sad, just as you have kindly come to my house, remove my war in the same way, listening to the words of Chitraketu, Angira Rishi started saying that Rajan has not written you to get child happiness in fate, so you should do Bhagwat Bhajan so that your next world Then King Chitraketu said, O sage, I do not like anything without a son, seeing his departure, Angira sage started doing, O king, you are doing a yajna, you will get a son, but later he will get great sorrow. King Chitraketu It is said that Mahatma once show the son happiness, then whatever happens, Angira Rishi had made a sacrifice to the king to get a son, then after attaining the remaining resolution, seeing the king as a prasad, he said, taking this offering to one of his queens. Feed me, you will have a son by the grace of Bhagwat, the king did the same, after receiving the prasad, the queen got pregnant, every 10 months, 1 son was born, the king used to come from the son, but the queen of the king was born in the mind of the queens because the king's son So much engrossed in infatuation that he When she did not even look at him, then Rania, after consulting among themselves, found the child in solitude and gave her 20, due to which she died. On hearing so many stories, Sukhdev Ji said, O king's women, they do not want their husbands and their happiness, they are only concerned with their own happiness.

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