श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 11

श्रीमद् भागवत कथा पुराण छठवां स्कंध अध्याय 11 आरंभ

देवराज इंद्र और ब्रिता सुर का घर संग्राम देवराज इंद्र को युद्ध भूमि में आया देख अति बलशाली बिता सूर सोचने लगा कि यह तो युद्ध में विमुख होकर भाग गया था फिर ऐसा यह पुनः युद्ध करने आया तत्पश्चात बृत्तास शुरू ने नियमों की ध्रुवित दीक्षित आदि देव को लेकर देवताओं से युद्ध करने लगा किंतु ब्रज शक्ति से उसके समस्त अस्त्र-शस्त्र नष्ट हो गए तब देवताओं ने पेड़ों को उखाड़कर देवताओं पर प्रहार करने लगे किंतु उसकी एक न चली और वे भागने लगे तब देवताओं ने ललकार कर कहा अरे बेतियों मृत्यु के हाथ से कोई नहीं बच सकता जिसमें दो प्रकार की मृत्यु उत्तम मानी गई है एक योग साधना द्वारा मृत्यु को प्राप्त होना तथा दूसरी युद्ध भूमि में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त होना उसके बाद बृत्तास उसने भी आपने सेनाएं देशों को समझाया किंतु वे रुके नहीं तब वह स्वयं इंद्र को ललकार ते हुए इंद्र के सामने जा पहुंचे और बोल मेरे साथी भाग गए किंतु मुझे कोई चिंता नहीं मैं अकेला ही तुमको मारूंगा या काकर हाथ में त्रिशूल लेकर इंद्र की बुरी तरह रोने लगा जिससे देवराज जी ने अत्यंत क्रोधित में आकर वित्त फूल के ऊपर गधा का प्रहार किया लेकिन गधा मृत्यु तक पहुंचना सकी और उसकी पहले ही उसी गदा पकड़ ली और एरावत हाथी के माथे पर दे मारा जिससे एरावत हाथी व्याकुल होकर अथवा इस कदम पीछे हट गया और मुंह से रक्त वामन करने लगा देवराज ने अपना हाथी एरावत के माथे पर फिर कर उसकी पीड़ा शांत की तब रसूल ने हंसकर इंद्र का माखौल उड़ाते हुए कहा अरे दोस्त तूने मेरे भाई और अपने गुरु 20 स्वरूप की हत्या की है आज तुझे अन्य देवता सहित अपने त्रिशूल से मारकर अपने भाई की हत्या का बदला लूंगा मैं तेरे सम्मुख खड़ा हूं तू अपने अघोर ब्रज को चला जो श्री नारायण की शक्ति से संपन्न है तुझे मारने से वैसे भी जगत में कोई यश प्राप्त नहीं होगा किंतु तेरे हाथों से मारकर श्री नारायण के चरण में पहुंच जाऊंगा जो यहां के झाड़ भंगुर एशिया से उत्तम है यह कह कर वह भागवत प्रेम में लीन होकर कहने लगा हे परमात्मा मुझे अपने चरणों में हंस रहे दीजिए मुझे मृत्यु का भय नहीं मैं केवल यही चाहता हूं कि आपके चरणों में सदैव मेरे प्रति बने रहे

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Sixth Skandha Chapter 11 Beginning

Devraj Indra and Brita Sur's house Sangram Devraj Indra came to the battlefield and saw the very powerful Bita Sur thinking that he had run away in the war, then he came to fight again like this, after that Brittas started the rules of the polarized Dixit to Adi Dev. He started fighting with the gods, but all his weapons were destroyed by the power of Braj, then the gods uprooted the trees and started attacking the gods, but he did not move and they started running away, then the gods shouted and said, Oh daughters from the hand of death. No one can survive in which two types of death are considered to be the best, one is death by yoga practice and the other attains martyrdom while fighting in the battlefield, after that Brittas he also explained to your armies countries but they did not stop then he himself Indra He went in front of Indra and said, my companions ran away, but I do not worry, I will kill you alone or Kakar started crying badly for Indra with a trident in his hand, due to which Devraj ji came very angry and raised the donkey on the finance flower. hit but donkey dead She was able to reach Yuu and already grabbed the same mace and hit Airavat on the elephant's forehead, due to which the Airavat elephant got distraught or retreated from this step and started vomiting blood from the mouth. Then the Rasool laughingly mocked Indra and said, oh friend, you have killed my brother and your guru 20 forms, today I will avenge the murder of my brother by killing you with my trident along with other deities, I am standing in front of you. Go to Braj, who is endowed with the power of Shri Narayan, by killing you, you will not get any fame in the world, but by killing you with your hands, I will reach the feet of Shri Narayan, who is better than the brittle Asia here, saying that God's love I got absorbed and started saying, O God, let me laugh at your feet, I have no fear of death, I only want that to remain always at your feet towards me.

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