श्रीमद् भागवत कथा पुराण पंचम स्कंध अध्याय 8 आरंभ
राजा भरत के प्राण त्यागने की कथा हे राजा परीक्षित उस हिरण के शिशु के आश्रम पर लाकर राजा भरत उसे गाय का दूध पिलाते और स्वयं उस बच्चे के लिए गाना फल कर ले आते हैं उस बच्चे से उन्हें अत्यधिक प्रेम हो गया उसे आठों पहर हुए अपने पास रखते एक पल के लिए अलग ना करते थे हिरण के कुछ बच्चे से अत्यधिक प्रेम होने के कारण यादव एवं पूजा पाठ करने में ध्यान उत्पन्न होने लगा एक पल के लिए भी वह बच्चा उसे दूर चला जाता तो वह उदास हो जाते थे जिस बात का डर था वही बात 1 दन हो गए वह बच्चा वहां से छूटकर हीरोइनों के रूम में जा मिला और वापस ना आया बहुत ढूंढने के बाद भी जब बच्चा ना मिला तो अत्यधिक शोकाकुल होकर कहने लगे मैंने बहुत बड़ी भूल की जो बच्चों को अकेला छोड़ दिया हे ईश्वर मुझ पर दया करके बच्चे को मेरे पास ला दो यह पृथ्वी तूने उसे अकेला देख कर उठा लिया रात्रि काल के आगमन पर चंद्रमा की तरफ देख कर कहते हैं यह चंद्रमा तुम्हारी दृष्टि चारों तरफ रहती है आपने उस बच्चे को अवश्य देख होगा जहां मेरा बच्चा है कृपा करके बतला दो अन्यथा मेरे प्राण निकाले जाएंगे इस तरह मिलाप करते हुए राजा भरत में हिरण शिशु के रूप में अपने प्राण त्याग दिए
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Pancham Skandha Chapter 8 Start
The story of King Bharat's life, King Parikshit, bringing him to the ashram of that deer, King Bharata gives him the milk of the cow and he himself sings for that child, he has fallen in love with that child, he has loved him. Keeping nearby, he did not separate for a moment, due to excessive love for some child of deer, he started to pay attention to Yadav and worshiping, even for a moment, the child would go away, then he would become depressed. Fearing the same thing was 1 day, the child left from there and got to the heroines' room and did not come back even after searching a lot, when the child was not found, I started very shocked and said that I made a big mistake who left the children alone. God, bring me to me and bring the child to me. Please be pleased and say, otherwise my life will be removed, in this way, in the form of deer baby in King Bharat Reniced the body
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