श्रीमद् भागवत कथा पुराण पंचम स्कंद अध्याय 6 आरंभ
सहारा बागी धर्म की उत्पत्ति का वर्णन श्री सुखदेव जी से राजा परीक्षित कहने लगे ए असंतुलित ज्ञान के भंडार से आत्मज्ञानी महात्मा जो व्यक्ति काम क्रोध मद लोभ एवं अहंकार को अपने वश में रखता है उन अष्ट सिद्धियों को इस रामदेव ने अपने वश में कर लिया था फिर उन्होंने उन्हीं की तरफ क्यों नहीं देखा राजा परीक्षित के वचनों को सुनकर श्री सुखदेव जी बोले हे राजन् यह मन अत्यंत चंचल होती है वह संगति से वश में नहीं रहता कुसंगति में सबसे बलवान योद्धा कामदेव हैं जिसके मन में प्राणी अंधा हो जाता है और अपना हानि लाभ मान मर्यादा सभी कुछ बोला जाता है रामदेव ने ऋषि-मुनियों के हजारों वर्षों की तपस्या को क्षण मात्र में नष्ट कर दिया है अति तीव्र गति से चलने वाले मन पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए मन एवं इंद्रियां अष्ट सिद्धियों का पोषण प्राप्त होने से जागृत हो जाती है और कुकर्म की तरफ प्रेरित करती है यह विचार कर ऋषभदेव जी ने अष्ट सिद्धियों की तरफ नहीं देखा था जिससे काम की इच्छा ना उत्पन्न हो जड़ भरत के रूप में रहने से धर्म कर्म करने का प्रयोजन नहीं रहता ऋषभदेव जी का स्वभाव और चलन देखकर बहुत से मुनियों ने वेद अध्ययन करना तथा इस उन्नाव करना त्याग दिया तभी से सर बिंगी मटका प्रचार हुआ अब वही लोग जैन धार्मिक का हाल लाने लगे कुछ समय बाद ऋषि भाग देव जी के शरीर में आग लग गई और वह अपने नश्वर शरीर को त्याग कर परमधाम को चले गए
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Shrimad Bhagwat Katha Purana Pancham Skanda Chapter 6 Start
The description of the origin of Sahara Bagi Dharma started saying to Shri Sukhdev ji, King Parikshit started saying that the person who keeps the enlightenment of the enthusiasm and ego under the store of imbalanced knowledge, was subdued by this Ashta Siddhis by this Ramdev. Then why did he not look at him, after listening to the words of King Parikshit, Mr. Sukhdev ji said, this mind is very fickle, he does not live in a company, the most powerful warrior is Kamadeva in Kusangati, whose creature becomes blind and its own Loss gain is dignity. Rishabhdev ji did not look at the Ashta Siddhis, considering that it is awakened and inspires the misdeed, so that the desire of work is not generated, it does not have the purpose of doing religion by being rooted as Bharata, there is no purpose of doing religion deeds and the nature of Rishabhdev ji and the nature of Rishabhdev ji and Seeing the trend, many sages studied Veda Since doing this and doing this unnapped, Sir Bing Matka was publicized, now the same people started bringing the condition of Jain religious, after some time the sage Bhag Dev ji's body caught fire and he abandoned his mortal body and went to the supreme abode.
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